Friday, January 25, 2013

ये कैसा गणतंत्र दिवस - भाग १

हमेँ 26 जनवरी का उत्सव मनाना सिखाया जाता है ताकि हमारी एक ऐसे घटिया संविधान मेँ श्रद्धा बनी रहे जिसने पिछले 63 वर्षोँ मेँ साढ़े चार करोड़ से ज्यादा मुकद्दमोँ का कोई फैसला नहीँ किया, वो अपराध तो दूर हैँ जिनपे कोई मुकद्दमा ही दायर नहीँ है । भारतीयोँ को ये पहले से पता था पर इस बार शायद कुछ इंडियंस को भी पता चल गया । 




क्या अब भी आप ये सोचते हैँ कि ये घटिया संविधान आपको कभी कुछ दे पाएगा ? यदि आप कोर्ट कचहरी के चक्कर मेँ नहीँ पड़े हैँ और हाँ कहते हैँ तो मैँ आपकी मासूमियत के लिये उन पापियोँ को जिम्मेदार मानता हूँ जिनसे आपका अभी तक पाला नहीँ पड़ा और अगर आप सहमत हैँ तो इसे अधिक से अधिक शेयर करेँ व इस घातक संविधान (जिसे थॉमस बैबिग्टन मैकॉले या टी.बी. मैकॉले ने लिखा है) को ऐसी कुरान माने जिस पर पुलिस व सरकार आपको गुलाम बनाए हुए है । लिखते वक्त मेरा मन बहुत दुःखी है । यदि आपका मन पढ़ते वक्त दुःखी ना हो तो पिछले 26जनवरी से आज तक की सिर्फ मीडिया द्वारा दिखाई गई खबरोँ को एक बार फिर से दोहरा लेँ । शायद आप भी इसे शेयर करने को तैयार हो जाएँ । आपकी आत्मा को सरकार ने सुलाया जरुर है पर आपकी आत्मा मरी नहीँ है अभी
.

देश के गण की जो भावना सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस वर्मा को दिखाई दी वो इस देश के तंत्र को नहीं दिखाई दी ---सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने कहा की मेरा वश चलता तो मै खुद प्रदर्शन में शामिल होता ---जस्टिस वर्मा ने भी अपनी रिपोर्ट में देश के गण के द्वारा शांतिपूर्ण आंदोलन को न्यायोचित ठहराया ----वहीँ दूसरी ओर आंदोलन के वक्त देश के गृह मंत्री ने आंदोलनकारियों से मिलने को इनकार कर दिया था -----और उनको नक्सली के बराबर कहा था ------
आज दिल्ली के लगभग सभी अखबारों में सरकार का विज्ञापन निकला है की "राजपथ" गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य परआम जनता के लिए बंद रहेगा ------आपकी जानकरी के लिए बता दूँ --इण्डिया गेट से राष्ट्रपति भवन जाने के लिए जो रास्ता "राजपथ " कहलाता है --पिछले एक महीने से ज्यादा समय से आम जनता
के लिए बंद है----और ऐसा पिछले ६३ सालों में पहली बार हुआ है ----आज आंदोलन को कुचला जा रहा है --अभ्व्यक्ति की आज़ादी --पर अंकुश लगाया जा रहा है ---सोसल मीडिया --फेसबुक ,ट्विटर आदि पर से सरकार विरोधी टिपण्णी को हटाया जा रहा है --ऐसे लोगो को ग्रिफ्तार किया जा रहा है ---पिक्चरों पर बैन लगाया जा रहा है ----देश की बहुसंख्यक नागरिकों को आतंगवादी बोला जा रहा है ---कुल मिलाकर "इमरजेंसी " न होते हए भी --हालात इमरजेंसी जैसे हैं ----
ऐसे समय ---जब देश का तंत्र देश के गण के साथ बात करने को तैयार नहीं है ---कोई वार्तालाप नहीं है ----आपको गणतंत्र दिवस की बधाई -----एक ऐसे संविधान के लिए --ये दिवस मनाया जाता है --जो की अपने लागु होने के बाद --कई बार --हर रोज ---हर पल तोडा जाता है ----और हर बार इसमें संसोधन होता है --कभी तुस्टीकरण और कभी सत्ता के लिए ----ऐसे संविधान दिवस पर आपको बधाई --
जय जन जय भारत
देश के गण की जो भावना सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस वर्मा को दिखाई दी वो इस देश के तंत्र को नहीं दिखाई दी ---सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने कहा की मेरा वश चलता तो मै खुद प्रदर्शन में शामिल होता ---जस्टिस वर्मा ने भी अपनी रिपोर्ट में देश के गण के द्वारा शांतिपूर्ण आंदोलन को न्यायोचित ठहराया ----वहीँ दूसरी ओर आंदोलन के वक्त देश के गृह मंत्री ने आंदोलनकारियों से मिलने को इनकार कर दिया था -----और उनको नक्सली के बराबर कहा था ------
आज दिल्ली के लगभग सभी अखबारों में सरकार का विज्ञापन निकला है की "राजपथ" गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य परआम जनता के लिए बंद रहेगा ------आपकी जानकरी के लिए बता दूँ --इण्डिया गेट से राष्ट्रपति भवन जाने के लिए जो रास्ता "राजपथ " कहलाता है --पिछले एक महीने से ज्यादा समय से आम जनता
के लिए बंद है----और ऐसा पिछले ६३ सालों में पहली बार हुआ है ----आज आंदोलन को कुचला जा रहा है --अभ्व्यक्ति की आज़ादी --पर अंकुश लगाया जा रहा है ---सोसल मीडिया --फेसबुक ,ट्विटर आदि पर से सरकार विरोधी टिपण्णी को हटाया जा रहा है --ऐसे लोगो को ग्रिफ्तार किया जा रहा है ---पिक्चरों पर बैन लगाया जा रहा है ----देश की बहुसंख्यक नागरिकों को आतंगवादी बोला जा रहा है ---कुल मिलाकर "इमरजेंसी " न होते हए भी --हालात इमरजेंसी जैसे हैं ----
ऐसे समय ---जब देश का तंत्र देश के गण के साथ बात करने को तैयार नहीं है ---कोई वार्तालाप नहीं है ----आपको गणतंत्र दिवस की बधाई -----एक ऐसे संविधान के लिए --ये दिवस मनाया जाता है --जो की अपने लागु होने के बाद --कई बार --हर रोज ---हर पल तोडा जाता है ----और हर बार इसमें संसोधन होता है --कभी तुस्टीकरण और कभी सत्ता के लिए ----ऐसे संविधान दिवस पर आपको बधाई --
जय जन जय भारत
॥ वन्दे मातरम् ॥

















आज हमारी झूठी आज़ादी का महापर्व है....
गणतंत्र दिवस.... ये वही झूठा संविधान है जो हमारी सरकार को अपने अधिकार माँगने वाली जनता पर लाठी चलने का अधिकार देता है... राजबाला की हत्या कर दी जाती है रत में 2 बजे... और हम घर में बैठे चाय पीते हुए बस न्यूज़ देखते रह जाते हैं.. क्या आप सच में मानते हैं की आप आजाद हैं...

मैं नहीं मनाता ...
जब तक मेरे देश में भूख से बच्चे मर रहे हैं..जब तक पुलिस ठाणे में जाकर FIR लिखने में मुझे डर लग रहा है ... जब तक हमारी माँ बहनों को सड़क पर चलते हुए गुंडों का भय सता रहा है ... जब तक किसी सरकारी ऑफिस में जाकर कोई करने के लिए मुझे घुश देनी पड़े...

तब तक मैं आज़ाद नहीं.....आप भी नहीं...

वन्दे मातरम..
जय श्री विष्णु मित्रों....
आपका दिन मंगलमय हो.....
आज हमारी झूठी आज़ादी का महापर्व है....
गणतंत्र दिवस.... ये वही झूठा संविधान है जो हमारी सरकार को  अपने अधिकार माँगने वाली जनता पर लाठी चलने का अधिकार देता है... राजबाला की हत्या कर दी जाती है रत में 2 बजे... और हम घर में बैठे चाय पीते हुए बस न्यूज़ देखते रह जाते हैं..  क्या आप सच में मानते हैं की आप आजाद हैं...

मैं नहीं मनाता ... 
जब तक मेरे देश में भूख से बच्चे मर रहे हैं..जब तक पुलिस ठाणे में जाकर FIR लिखने में मुझे डर लग रहा है ... जब तक हमारी माँ बहनों को सड़क पर चलते हुए गुंडों का भय सता रहा है ... जब तक किसी सरकारी ऑफिस में जाकर कोई करने के लिए मुझे घुश देनी पड़े... 

तब तक मैं आज़ाद नहीं.....आप भी नहीं...

वन्दे मातरम..
‎26 जनवरी1950 को हमारे देश में संविधान लागू हुआ था!
तब से लेकर आज तक प्रत्येक बर्ष 26 जनवरी को हम
गणतंत्र दिवस मनाते आ रहे है!15 अगस्त1947 से पहले
हमारा देश उन गोरी चमड़ी वालों का गुलाम
था जिन्होंने हमें लग-भग 200 बर्षों तक गुलाम बनाए
रखा।हमारे हजारों वीर सपूतों ने अपनी जान
की कुर्वानी देकर इस देश को आजादी दिलाई थी। तब
कहीं जाकर हमारा देश स्वतंत्र हुआ और अपना संविधान
लागू हुआ! बाबा साहब एंड कंपनी को संविधान निर्माण
का दायित्व सौपा गया।2 बर्ष 11 माह तथा 18 दिन में
बाबा साहब अम्बेडकर एण्ड कंपनी ने संविधान का पूर्ण
निर्माण 26 नबम्बर 1949को ही कर दिया था।
संविधान को 26 जनबरी को ही लागू क्यों किया गया?
क्यों कि 26 जनवरी 1929 को प.नेहरु
की अध्यक्षता वाले लाहोर अधिवेशन में अंग्रेजों के
खिलफा पूर्ण स्वराज्य की मांग तेज कर दी थी। बा साहब
अम्बेडकर को उनकी योग्यता और ज्ञान के लिए भारतीय
संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष नियुक्त
किया गया था।डा.राजेन्द्र प्रसाद संविधान
सभी की स्थाई समिति के अध्यक्ष थे।संविधान निर्माण के
पश्चात डा. अम्बेडर ने अपने उदघोषन् में कहा था कि'
संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो यदि उसे प्रयोग में
लाने वाले लोग गलत हैं तो वह गलत ही सावित
होगा,यदि सविधान कितना भी गलत क्यों न हो यदि उसे
प्रयोग में लाने वाले लोग सही हो तो वह गलत से गलत
संविधान भी अंतत: सही सावित होगा"।25
जनवरी 1950 को डा.अम्बेकर ने कहा था , “आज हमें
राजनैतिक समानता तो मिल गयी हैं लेकिन आज
भी सामाजिक और आर्थिक एकता से कोसो दूर हैं , ये
काफी हैरान करने वाली बात हैं अगर हमने जल्द ही इस
सामाजिक और आर्थिक असमानता को खत्म
नहीं किया तो एक दिन यही लोग रास्ते पर उतर कर इस
संसद को उखाड़ फेंक देगें।

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