Monday, January 28, 2013

तीर्थ मक्का के बारे में कहते हैं कि वह मक्केश्वर महादेव का मंदिर था

मुसलमानों के सर्वोच्च तीर्थ मक्का के बारे में कहते हैं कि वह मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। वहां काले पत्थर का विशाल शिवलिंग था जो खंडित अवस्था में अब भी वहां है। हज के समय संगे अस्वद (संग अर्थात पत्थर, अस्वद अर्थात अश्वेत अर्थात काला) कहकर मुसलमान उसे ही पूजते और चूमते हैं। इसके बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार स्व0 पी.एन.ओक ने अपनी पुस्तक ‘वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास’ में बहुत विस्तार से लिखा है।

अरब देशों में इस्लाम से पहले शैव मत ही प्रचलित था। इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद के चाचा उम्र बिन हश्शाम द्वारा रचित शिव स्तुतियां श्री लक्ष्मीनारायण (बिड़ला) मंदिर, दिल्ली की ‘गीता वाटिका’ में दीवारों पर उत्कीर्ण हैं। । राडार एवं उपग्रह सर्वेक्षण से सत्य प्रकट हो जाएगा।
 — with Janardan Mishra and 48 others.





  • Venktesh Pandit ग्रन्थ 'रामावतारचरित' के युद्धकांड प्रकरण में उपलब्ध एक अत्यंत अद्भुत और विरल प्रसंग 'मक्केश्वर लिंग' से संबंधित हैं, जो प्राय: अन्य रामायणों में नहीं मिलता है। वह प्रसंग जितना दिलचस्प है, उतना ही गुदगुदानेवाला भी। शिव रावण द्वारा याचना करने पर उसे युद्ध में विजयी होने के लिए एक लिंग (मक्केश्वर महादेव) दे देते हैं और कहते हैं कि जा, यह तेरी रक्षा करेगा, मगर ले जाते समय इसे मार्ग में कहीं पर भी धरती पर नहीं रखना।

    लिंग को अपने हाथों में आदरपूर्वक थामकर रावण आकाशमार्ग द्वारा लंका की ओर प्रयाण करते हैं। रास्ते में उन्हें लघुशंका की आवश्यकता होती है। वे आकाश से नीचे उतरते हैं तथा इस असमंजस में पड़ते हैं कि लिंग को कहाँ रखें? तभी ब्राह्मण वेश में नारद मुनि वहाँ पर प्रगट होते हैं, जो रावण की दुविधा भाँप जाते हैं। रावण लिंग उनके हाथों में यह कहकर पकड़ाकर जाते हैं कि वे अभी निवृत्त हो कर आ रहे हैं।... रावण लघु-शंका से निवृत्त हो ही नहीं पाता! संभवत: वह प्रभु की लीला थी। काफ़ी देर तक प्रतीक्षा करने के उपरांत नारद जी लिंग धरती पर रखकर चले जाते हैं। तब रावण के खूब प्रयत्न करने पर भी लिंग उस स्थान से हिलता नहीं है और इस प्रकार शिव द्वारा प्रदत्त लिंग की शक्ति का उपयोग करने से रावण वंचित हो जाता है।(पृ.-295-297)
    22 hours ago · Like · 4
  • Venktesh Pandit यह स्थान वर्तमान में सऊदी अरब के मक्का नामक स्थान पर स्थित है सऊदी अरब के पास ही यमन नामक राज्य भी है इसका उल्लेख श्रीमद्भागवत में मिलता है श्री कृष्ण ने कालयवन नामक राक्षस के विनाश किया था यह यमन राज्य उसी द्वीप पर स्थित है
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  • Venktesh Pandit भगवान शिव के जितने रूप और उपासना के जितने विधान संसार भर में प्रचलित रहे हैं, वे अवर्णनीय हैं। हमारे देश में ही नहीं, भगवान शिव की प्रतिष्ठा पूरे संसार में ही फैली हुई है। उनके विविध रूपों को पूजने का सदा से ही प्रचलन रहा है। शिव के मंदिर अफगानिस्तान के हेमकुट पर्वत से लेकर मिस्र, ब्राजील, तुर्किस्तान के बेबीलोन, स्कॉटलैंड के ग्लासगो, अमेरिका, चीन, जापान, कम्बोडिया, जावा, सुमात्रा तक हर जगह पाए गए हैं। अरब में मुहम्मद पैगम्बर से पूर्व शिवलिंग को 'लात' कहा जाता था। मक्का के कावा में संग अवसाद के यप में जिस काले पत्थर की उपासना की जाती रही है, भविष्य पुराण में उसका उल्लेख मक्केश्वर के रूप में हुआ है। इस्लाम के प्रसार से पहले इजराइल और अन्य यहूदियों द्वारा इसकी पूजा किए जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। ऐसे प्रमाण भी मिले हैं कि हिरोपोलिस में वीनस मंदिर के सामने दो सौ फीट ऊंचा प्रस्तर लिंग था। यूरोपियन फणिश और इबरानी जाति के पूर्वज बालेश्वर लिंड के पूजक थे। बाईबिल में इसका शिउन के रूप में उल्लेख हुआ है।
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  • Venktesh Pandit काबा से जुड़ी एक और हिन्दू संस्कृति परम्परा है “पवित्र गंगा” की अवधारणा। जैसा कि सभी जानते हैं भारतीय संस्कृति में शिव के साथ गंगा और चन्द्रमा के रिश्ते को कभी अलग नहीं किया जा सकता। जहाँ भी शिव होंगे, पवित्र गंगा की अवधारणा निश्चित ही मौजूद होती है। काबा के पास भी एक पवित्र झरना पाया जाता है, इसका पानी भी पवित्र माना जाता है, क्योंकि इस्लामिक काल से पहले भी इसे पवित्र (आबे ज़म-ज़म) ही माना जाता था। आज भी मुस्लिम श्रद्धालु हज के दौरान इस आबे ज़मज़म को अपने साथ बोतल में भरकर ले जाते हैं। ऐसा क्यों है कि कुम्भ में शामिल होने वाले हिन्दुओं द्वारा गंगाजल को पवित्र मानने और उसे बोतलों में भरकर घरों में ले जाने, तथा इसी प्रकार हज की इस परम्परा में इतनी समानता है? इसके पीछे क्या कारण है।

    किसी मुस्लिम भाई ने मुझे बताया की ज़म" -ज़म झरना नही है...वो एक कुआं है जनाब "

    18x14 फ़ीट और 18 मीटर गहरा है...

    4000 साल पुराना है...ना कभी सुखा...ना कभी स्वाद बदला...

    आज तक कभी भी कुऐं में ना कोई काई जमी और ना ही कोई पेड उगा...ना आज तक उस पानी में कोई बैक्टिरिया मिलें...

    युरोपियन लैबोरेट्री में चेक हो चुका है उन्होने इसे पीने लायक घोषित कर दिया है।

    ये छोटा सा कुआं लाखों लोगो को पानी देता है...8000 लीटर प्रति सेकेण्ड पानी की ताकत वाली मोटर 24 घण्टे चलती है....

    और सिर्फ़ 11 मिनट बाद पानी का लेवल बराबर हो जाता है

    वाण गंगा है जम जम का जल ..जो श्री राम की देन है अरब के लोगो को और वरदान भी ....
    22 hours ago · Like · 4
  • Harishchandra Tiwari very good ye sach hai
    22 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit अरब देश का भारत, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पोत्र और्व से ऐतिहासिक संबंध प्रमाणित है, यहाँ तक कि "हिस्ट्री ऑफ पर्शिया" के लेखक साइक्स का मत है कि अरब का नाम और्व के ही नाम पर पड़ा, जो विकृत होकर "अरब" हो गया।

    अरब हमेशा से रेगिस्तानी भूमि नहीं रहा है..कभी वहाँ भी हरे-भरे पेड़-पौधे लहलाते थे,लेकिन इस्लाम की ऐसी आँधी चली कि इसने हरे-भरे रेगिस्तान को मरुस्थल में बदल दिया.इस बात का सबूत ये है कि अरबी घोड़े प्राचीन काल में बहुत प्रसिद्ध थे..भारतीय इसी देश से घोड़े खरीद कर भारत लाया करते थे और भारतीयों का इतना प्रभाव था इस देश पर कि उन्होंने इसका नामकरण भी कर दिया था-अर्ब-स्थान अर्थात घोड़े का देश.अर्ब संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ घोड़ा होता है. यहाँ तक कि “अरब” शब्द भी संस्कृत की ही उत्पत्ति है, इसका मूल शब्द था “अरबस्तान” (प्राकृत में “ब” संस्कृत में “व” बनता है अतः “अरवस्तान”)। संस्कृत में “अरव” का अर्थ होता है “घोड़ा” अर्थात “घोड़ों का प्रदेश = अरवस्तान” (अरबी घोड़े आज भी विश्वप्रसिद्ध हैं) अपभ्रंश होते-होते अरवस्तान = अरबस्तान = अरब प्रदेश। अरव

    {वैसे ज्यादातर देशों का नामकरण भारतीयों ने ही किया है जैसे

    सिंगापुर,क्वालालामपुर,मलेशिया,ईरान,ईराक,कजाकिस्थान,तजाकिस्थान,आदि..} घोड़े हरे-भरे स्थानों पर ही पल-बढ़कर हृष्ट-पुष्ट हो सकते हैं बालू वाले जगहों पर नहीं..

    इस्लाम की आँधी चलनी शुरु हुई और मुहम्मद के अनुयायियों ने धर्म परिवर्त्तन ना करने वाले हिंदुओं का निर्दयता-पूर्वक काटना शुरु कर दिया..पर उन हिंदुओं की परोपकारिता और अपनों के प्रति प्यार तो देखिए कि मरने के बाद भी पेट्रोलियम पदार्थों में रुपांतरित होकर इनका अबतक भरण-पोषण कर रहे हैं वर्ना ना जाने क्या होता इनका..!अल्लाह जाने..!

    श्री राम का वरदान .......
    22 hours ago · Like · 6
  • Anop Siyag Pandit gi mara staff ka ak muslam makka madana jakar aaya to usko mana pucha to usna mana kar dia wha koi shiv ling ya murti ni ha
  • Ashusnehpriya Mukherji anoop ji ab mulla thode na khega ki wha shivling hai
    22 hours ago · Like · 2
  • Amit Dubey Itna pata h ke waha shiv ling hai ... Har har mahadev....!!!
    22 hours ago via mobile · Like · 1
  • Ashusnehpriya Mukherji subh ratri jai shri ram
    22 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit अरब देश का भारत, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पोत्र और्व से ऐतिहासिक संबंध प्रमाणित है, यहाँ तक कि “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” के लेखक साइक्स का मत है कि अरब का नाम और्व के ही नाम पर पड़ा, जो विकृत होकर “अरब” हो गया। भारत के उत्तर-पश्चिम में इलावर्त था, जहाँ दैत्य और दानव बसते थे, इस इलावर्त में एशियाई रूस का दक्षिणी-पश्चिमी भाग, ईरान का पूर्वी भाग तथा गिलगित का निकटवर्ती क्षेत्र सम्मिलित था। आदित्यों का आवास स्थान-देवलोक भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित हिमालयी क्षेत्रों में रहा था। बेबीलोन की प्राचीन गुफाओं में पुरातात्त्विक खोज में जो भित्ति चित्र मिले है, उनमें भगवान शिव के भक्त थे एवं वेदों के उत्सुक गायक तथा हिन्दू देवी-देवताओं के अनन्य उपासक करते हुए उत्कीर्ण किया गया है।इस्लाम मजहब के प्रवर्तक मोहम्मद स्वयं भी वैदिक परिवार में हिन्दू के रूप में जन्में थे, और जब उन्होंने अपने हिन्दू परिवार की परम्परा और वंश से संबंध तोड़ने और स्वयं को पैगम्बर घोषित करना निश्चित किया, तब संयुक्त हिन्दू परिवार छिन्न-भिन्न हो गया और काबा में स्थित महाकाय शिवलिंग (संगे अस्वद) के रक्षार्थ हुए युद्ध में पैगम्बर मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम को भी अपने प्राण गंवाने पड़े। उमर-बिन-ए-हश्शाम का अरब में एवं केन्द्र काबा (मक्का) में इतना अधिक सम्मान होता था कि सम्पूर्ण अरबी समाज, जो कि भगवान शिव के भक्त थे एवं वेदों के उत्सुक गायक तथा हिन्दू देवी-देवताओं के अनन्य उपासक थे, उन्हें अबुल हाकम अर्थात ‘ज्ञान का पिता’ कहते थे। बाद में मोहम्मद के नये सम्प्रदाय ने उन्हें ईष्यावश अबुल जिहाल ‘अज्ञान का पिता’ कहकर उनकी निन्दा की।
    जब मोहम्मद ने मक्का पर आक्रमण किया, उस समय वहाँ बृहस्पति, मंगल, अश्विनी कुमार, गरूड़, नृसिंह की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित थी। साथ ही एक मूर्ति वहाँ विश्वविजेता महाराजा बलि की भी थी, और दानी होने की प्रसिद्धि से उसका एक हाथ सोने का बना था। ‘Holul’ के नाम से अभिहित यह मूर्ति वहाँ इब्राहम और इस्माइल की मूर्त्तियो के बराबर रखी थी। मोहम्मद ने उन सब मूर्त्तियों को तोड़कर वहाँ बने कुएँ में फेंक दिया, किन्तु तोड़े गये शिवलिंग का एक टुकडा आज भी काबा में सम्मानपूर्वक न केवल प्रतिष्ठित है, वरन् हज करने जाने वाले मुसलमान उस काले (अश्वेत) प्रस्तर खण्ड अर्थात ‘संगे अस्वद’ को आदर मान देते हुए चूमते है।
    22 hours ago · Like · 2
  • Ashusnehpriya Mukherji subh ratri jai shri ram
    22 hours ago · Like · 1
  • Ashish Kailash Tiwari venkat bhai, yar bahut khoob. jab bhi jankari dete ho dhamakedar hi dete ho.
    22 hours ago · Like · 1
  • Anop Siyag Mulla na khega asa to buda logo ka pass sua to ha par muje yakeen na tha
    22 hours ago via mobile · Like · 1
  • Venktesh Pandit कोई यह न समजे की भगवान शिव केवल भारत में पूजित है । विदेशो में भी कई स्थानों पर शिव मुर्तिया अथवा शिवलिंग प्राप्त हुए है कल्याण के शिवांक के अनुसार उत्तरी अफ्रीका के इजिप्त में तथा अन्य कई प्रान्तों में नंदी पर विराजमान शिव की अनेक मुर्तिया है वहा के लोग बेल पत्र और दूध से इनकी पूजा करते है । तुर्किस्थान के बबिलन नगर में १२०० फिट का महा शिवलिंग है । पहले ही कहा गया की शिव सम्प्रदायों से ऊपर है। मुसलमान भाइयो के तीर्थ मक्का में भी मक्केश्वर नमक शिवलिंग होना शिव का लीला ही है वहा के जमजम नमक कुएं में भी एक शिव लिंग है जिसकी पूजा खजूर की पतियों से होती है इस कारण यह है की इस्लाम में खजूर का बहूत महत्व है । अमेरिका के ब्रेजील में न जाने कितने प्राचीन शिवलिंग है । स्क्यात्लैंड में एक स्वर्णमंडित शिवलिंग है जिसकी पूजा वहा के निवासी बहूत श्रदा से करते है । indochaina में भी शिवालय और शिलालेख उपलब्ध है । यहाँ विस्तार में जाने की आवश्यकता नहीं । शिव निश्चय ही विश्वदेव है ।
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  • Venktesh Pandit पशुपतिनाथ क्षेत्र नेपाल में हिंदुओं का सबसे पवित्र तीर्थस्थान है। यह मंदिर प्राचीन श्लेस्मान्तक वन मे बागमती नदी के किनारे अवस्थित है। यह मंदिर युनेस्को अनुसार एक विश्व धरोहर क्षेत्र है। यहां पर मंदिरों की लंबी श्रृंखला, श्मशान घाट, धार्मिक स्‍नान और साधुओं की टोलियां देख सकते हैं। भगवान शिव को समर्पित पशुपतिनाथ मंदिर बागमती नदी के किनार बना है। नेपाल में बागमती को गंगा नदी समान श्रद्धापूर्वक पवित्र माना जाता है। इस मंदिर को भगवान शिव का एक घर माना जाता है। प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं।
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  • Venktesh Pandit पाकिस्तान में जहानाबाद

    जहानाबाद जिला ऎतिहासिक दृषिकोण से अत्यंत महत्ववाला क्षेत्र है। प्रसिदॄ पुस्तक “आईना-ए-अकबरी” मे इस स्थान का जिक्र किया गया है। 17 वीं शताब्दी मे औरंगजेब के शासनकाल मे यहाँ एक भीषण अकाल पड़ा था। भूख के कारण प्रतिदिन सैकङों लोग काल का ग्रास बन रहे थे। ऎसी परिस्थिति मे मुगल बादशाह ने अपनी बहन जहानआरा के नेतृत्व मे एक दल अकाल राहत कार्य हेतु भेजा। जहानआरा के स्मृति मे इस स्थान का नाम जहानआराबाद जो कालांतर मे “जहानाबाद” के नाम से हुआ। प्राचीनकाल के इतिहास की ओर रुख करें तो यह क्षेत्र मगध का एक छोटा सा हिस्सा था। इस जिला के मखदुमपुर प्रखंड मे अवस्थित बराबर पहाङ भौगोलिक, ऎतिहासिक धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से प्राचीन काल से ही अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। प्रखंड मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पर्वत की चोटी के मध्य मे बाबा सिद्धेश्वरनाथ उर्फ भगवान शंकर का अत्यंत प्राचीन मन्दिर है। मगध सेनापति बाणावर ने अपने प्रवास के दौरान एक विशाल मन्दिर का निर्माण कराया था। जो आज दबा पडा है। इसी पर्वत की चोटी पर सम्राट अशोक ने अपनी एक रानी की मांग पर आजीवक सम्प्रदाय के साधुओ के लिए गुफाओ का निर्माण कराया। जो आज भी उसी स्थिति मे विद्धमान है। ये गुफाए विश्व की प्रथम मानव निर्मित गुफाओ के रुप मे जानी जाती है। अशोक के पोत्र दशरथ ने भी बोद्ध भिक्षुओ के लिए कुछ गुफाओ का निर्माण कराया गुफाओ के अदर ग्रेनाइट पत्थर चिकनाहट की कला अभूतपूर्व है। पत्थर छूने पर ऎसा प्रतीत होता है मानो मिस्त्री अभी उठकर बाहर गए हो। ऎसा माना जाता है कि इसी पर्वत पर खुदा तालाब पर ब्राहण विद्वानों के साथ शास्त्रार्थ कर बुद्ध यहाँ से फल्गु नदी के मार्ग से बोध-गया गए थे। अतः ऎतिहासिक द्रष्टि से इस स्थान का बहुत महत्व है। प्रसिद्ध पुस्तक ” ए पसेज टू इडिया” में बराबर की मालावार के रुप मे प्रस्तुत किया गया है। 01 अगस्त 1986 ई0 को इसके इतिहास मे एक नया अध्याय का श्री गणेश हुआ जो स्वर्णाक्षरों से लिखे जाने योग्य है। उपर्युक्त तिथि को जहानाबाद एक जिले के रुप मे जग- जाहिर हुआ।
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  • Venktesh Pandit चीन देश मे चम्पा
    वर्तमान ‘अनाम’ का अधिकांश भाग इस क्षेत्र में समाहित था। इसका विस्तार 140 से 100 उत्तरी देशान्तर के बीच में था। हिन्दचीन में भारतीयों का सर्वाधिक प्राचीन उपनिवेश ‘चम्पा’ था। ईसवी सन् से पूर्व ही भारतवासी इस देश में प्रविष्ट हो चुके थे। उस काल मे चम्पा राज्य सुख, वैभव और समृद्धि से भरपूर अनेक नगरों तथा अति सुन्दर हिन्दू व शिव मन्दिरों से सुशोभित था। वहाँ के ‘मिसांग’ और ‘डांग डुआंग’ नाग के दो नगर आज भी दर्शनीय मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ के हिन्दू निवासी हिन्दू देवी-देवताओं की उपासना करते थे। चम्पा की वास्तुकला और तक्षण-कला सर्वश्रेष्ठ थी। इस राज्य में संस्कृत भाषा और हिन्दू धर्म तथा संस्कृति का व्यापक प्रसार था। मंगोलों और अनामियों के भीषण आक्रमणों ने सोलहवीं सदी में भारत के इस औपनिवेशिक राज्य का अन्त कर दिया।
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  • Venktesh Pandit अफगानिस्तान में इस्लाम के आगमन के पहले अनेक हिन्दू राजाओं का भी राज रहा| ऐसा नहीं है कि ये राजा काशी, पाटलिपुत्र्, अयोध्या आदि से कन्धार या काबुल गए थे| ये एकदम स्थानीय अफगान या पठान या आर्यवंशीय राजा थे| इनके राजवंश को ‘हिन्दूशाही‘ के नाम से ही जाना जाता है| यह नाम उस समय के अरब इतिहासकारों ने ही दिया था| सन्र 843 में कल्लार नामक राजा ने हिन्दूशाही की स्थापना की| तत्कालीन सिक्कों से पता चलता है कि कल्लार के पहले भी रूतविल या रणथल, स्पालपति और लगतुरमान नामक हिन्दू या बौद्घ राजाओं का गांधार प्रदेश में राज था| ये राजा जाति से तुर्क थे लेकिन इनके ज़माने की शिव, दुर्गा और कार्तिकेय की मूतियाँ भी उपलब्ध हुई हैं| ये स्वयं को कनिष्क का वंशज भी मानते थे| अल-बेरूनी के अनुसार हिन्दूशाही राजाओं में कुछ तुर्क और कुछ हिन्दू थे| हिन्दू राजाओं को ‘काबुलशाह‘ या ‘महाराज धर्मपति‘ कहा जाता था| इन राजाओं में कल्लार, सामन्तदेव, भीम, अष्टपाल, जयपाल, आनन्दपाल, त्रिलोचनपाल, भीमपाल आदि उल्लेखनीय हैं| इन राजाओं ने लगभग साढ़े तीन सौ साल तक अरब आततायियों और लुटेरों को जबर्दस्त टक्कर दी और उन्हें सिंधु नदी पार करके भारत में नहीं घुसने दिया| लेकिन 1019 में महमूद गज़नी से त्रिलोचनपाल की हार के साथ अफगानिस्तान का इतिहास पलटा खा गया| फिर भी अफगानिस्तान को मुसलमान बनने में पैगम्बर मुहम्मद के बाद लगभग चार सौ साल लग गए| यह आश्चर्य की बात
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  • Venktesh Pandit ग्रीक की इतिहास चीनी यात्री युवानच्वांग के अनुसार- कान्यकुब्ज प्रदेश की परिधि 400 ली या 670 मील थी। वास्तव में हर्षवर्धन (606-647 ई.) के समय में कान्यकुब्ज की अभूतपूर्व उन्नति हुई थी और उस समय शायद यह भारत का सबसे बड़ा एवं समृद्धशाली नगर था। युवानच्वांग लिखता है कि नगर के पश्चिमोत्तर में अशोक का बनवाया हुआ एक स्तूप था, जहाँ पर पूर्वकथा के अनुसार गौतम बुद्ध ने सात दिन ठहकर प्रवचन किया था। इस विशाल स्तूप के पास ही अन्य छोटे स्तूप भी थे, और एक विहार में बुद्ध का दाँत भी सुरक्षित था, जिसके दर्शन के लिए सैकड़ों यात्री आते थे। युवानच्वांग ने नगर के दक्षिणपूर्व में अशोक द्वारा निर्मित एक अन्य स्तूप का भी वर्णन किया है जो कि दो सौ फुट ऊँचा था। किंवदन्ती है कि गौतम बुद्ध इस स्थान पर छः मास तक ठहरे थे।
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  • Venktesh Pandit युवानच्वांग ने कान्यकुब्ज के सौ बौद्ध विहारों और दो सौ देव-मन्दिरों का उल्लेख किया है। वह लिखता है कि ‘नगर लगभग पाँच मील लम्बा और डेढ़ मील चौड़ा है और चतुर्दिक सुरक्षित है। नगर के सौंन्दर्य और उसकी सम्पन्नता का अनुमान उसके विशाल प्रासादों, रमणीय उद्यानों, स्वच्छ जल से पूर्ण तड़ागों और सुदूर देशों से प्राप्त वस्तुओं से सजे हुए संग्रहालयों से किया जा सकता है’। उसके निवासियों की भद्र वेशभूषा, उनके सुन्दर रेशमी वस्त्र, उनका विद्या प्रेम तथा शास्त्रानुराग और कुलीन तथा धनवान कुटुम्बों की अपार संख्या, ये सभी बातें कन्नौज को तत्कालीन नगरों की रानी सिद्ध करने के लिए पर्याप्त थीं। युवानच्वांग ने नगर के देवालयों में महेश्वर शिव और सूर्य के मन्दिरों का भी ज़िक्र किया है। ये दोनों क़ीमती नीले पत्थर के बने थे और उनमें अनेक सुन्दर मूर्तियाँ उत्खनित थीं। युवानच्वांग के अनुसार कन्नौज के देवालय, बौद्ध विहारों के समान ही भव्य और विशाल थे। प्रत्येक देवालय में एक सहस्र व्यक्ति पूजा के लिए नियुक्त थे और मन्दिर दिन-रात नगाड़ों तथा संगीत के घोष से गूँजते रहते थे। युवानच्वांग ने कान्यकुब्ज के भद्रविहार नामक बौद्ध महाविद्यालय का भी उल्लेख किया है, जहाँ पर वह 635 ई. में तीन मास तक रहा था। यहीं रहकर उसने आर्य वीरसेन से बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन किया था।
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  • Venktesh Pandit प्राचीन मेसोपोटेमिया (सुरप्रदेश/सुमेरिया/सिरिया) के अभीर या सुराभीर नाग ब्राह्मणो की ओर से विश्व को कृषिशास्त्र, गोवंशपालन या पशुपालन आधारित अर्थतंत्र, भाषा लेखन लिपि, चित्र व मूर्तिकला, स्थापत्य कला (नगर शैली), नगर रचना (उन्ही के नाम से नगर शब्द), खाध्यपदार्थो मे खमीरिकरण या किण्वन (fermentation) प्रक्रिया की तकनीक (अचार, आटा/ब्रेड/नान, घोल/batter, सिरका, सुरा) इत्यादि जैसी सदैव उपयोगी भेट मिली है जो वर्तमान युग मे भी मानव जीवन और अर्थतन्त्र की द्रष्टि से अति महत्वपूर्ण है।
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  • Venktesh Pandit ग्रीक भाषा मे ओफिर का अर्थ नाग होता है। हिब्रू भाषा मे ‘अबीर’ ‘Knight’ याने शूरवीर योद्धा या सामंत के अर्थ मे प्रयोग होता है। संस्कृत मे अभीर का अर्थ नीडर होता है। भारतवर्ष मे ‘अभीर’ अभीर-वंशी-राजा के अर्थ मे भी प्रयोग हुआ है। आज भी इस्राइल मे ओफिर शीर्ष नाम का प्रयोग होता है। यह जानना भी रसप्रद होगा की कोप्टिक भाषा (मिस्र/इजिप्त) मे ‘सोफिर’ भारतवर्ष के संदर्भ मे प्रयोग होता था।सोफिर बन्दरगाह से हर तीन साल मे क्षेत्र के अभीर राजा सोलोमन को सोना, चाँदी, गंधसार (संदल), अनमोल रत्न, हाथीदांत, वानर, मयूर, इत्यादि प्राप्त होते थे। इसमे ओफिर पर्वत (वर्तमान मे गुनुङ्ग लेदान पर्वत, मुयार, मलेशिया-जहा उस काल मे अभीरों का दबदबा था) से भी सोने और अन्य वस्तुओ के प्रेषण आते थे। ओफिर नामक स्थल ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, कनाडा, यूएसए मे भी पाये जाते है और रोचक बात यह है की इनमेसे अधिक्तर कहीं न कही सोने से संबंधीत है।अभीर राजा सोलोमन द्वारा बनवाए गए मंदिरो मे गर्भगृह (holiest of the holy chamber) के मध्य मे इष्ट देवता ईश्वर के प्रतीक पवित्र पत्थर (शिवलिंग) ‘कलाल’ का स्थापन होता था जो की महारुद्र भगवान शिव के कालकाल या कालांतक स्वरूप का द्योतक है। (Kalal or Qalal actually means Sacred Stone referring to deity(Shivlinga) placed at the centre of the Holiest of the Holy inside chamber (Garbhgruha) of the temples of Soloman). यह मंदिरो की रूपरेखा आश्चर्यजनक रूप से शिवालय एवं शाकाद्वीपीय या भोजक ब्राह्मणो द्वारा बनाए गए सूर्यमंदिरो से मिलती जुलती है। माना जाता है की भोजक ब्राह्मण मूलतः अश्वका प्रदेश या प्राचीन महाद्वीप कंबोज एवं साका से आए है। विष्णुपुराण मे कंभोजको को योद्धा एवं ज्ञानी (ब्राह्मण) और मित्र दर्शाया गया है। सोलोमन के मंदिरो मे ईश्वर के प्रतीक पवित्र पत्थर (कलाल) को अतिपवित्र स्थान (गर्भगृह) के मध्य मे रखा जाता था। मंदिरो मे बाहरी पवित्र स्थान Holy Chamber (मण्डप), ब्रेज़न या मोलटन सी (कुंड), सामने ओक्सेन (नंदी), परिक्रमा पथ, इत्यादि होते थे। बेबीलोनियन (असुर/Assyrian) आक्रमणों मे इन मंदिरो को नष्ट कर दीया गया था। कलाल (शिवलिंग), पवित्र कमान, पात्र (Vessel) एवं मंदिर का अन्य सामान अक्रांताओ से बचाने के लिए छुपा दिया गया था। कुछ लोग काबा के पवित्र पत्थर को भी इसी संदर्भ मे देखते है।‘कलाल’ प्राचीन सोलोमन-बेबीलोनियन काल से भी पहले से प्रयोग किया जाता रहा अति पवित्र शब्द है जो त्रिनेत्रेश्वर रुद्र भगवान शिव के कालकाल या कालाहारी (कालांतक) स्वरूप का द्योतक है।
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  • Venktesh Pandit यह तमाम उदाहरण बताते हैं की पूरा विश्व कभी शिवमय था.धरती के कोने -कोने में शिवपूजा के प्रमाण मिलते हैं तो फिर अरब में मक्केश्वर महादेव मंदिर के होने की बात को क्यों नाकारा जा रहा है.
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  • Satyavrat Singh Ha ha ha shiv ling ko chumte h wo b prde k piche
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  • Venktesh Pandit जब इस्लाम मूर्तिपूजा के विरुद्ध है, फिर इसका क्या कारण है कि मुसलमान अपनी नमाज़ में काबा की ओर झुकते हैं और उसकी पूजा करते हैं?
    21 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit आज भी मक्का के काबा में प्राचीन शिवलिंग के चिन्ह देखे जा सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि काबा में प्रत्येक मुस्लिम जिस काले पत्थर को छूते और चूमते हैं वह शिवलिंग ही है। हालांकि अरबी परम्परा ने अब काबा के शिव मन्दिर की स्थापना के चिन्हों को मिटा दिया है, लेकिन इसकी खोज विक्रमादित्य के उन शिलालेखों से लगाई जा सकती है जिनका उल्लेख “सायर-उल-ओकुल” में है।
    21 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit जैसा कि सभी जानते हैं राजा विक्रमादित्य शिव के परम भक्त थे, उज्जैन एक समय विक्रमादित्य के शासनकाल में राजधानी रही, जहाँ कि सबसे बड़े शिवलिंग महाकालेश्वर विराजमान हैं। ऐसे में जब विक्रमादित्य का शासनकाल और क्षेत्र अरब देशों तक फ़ैला था, तब क्या मक्का जैसी पवित्र जगह पर उन्होंने शिव का पुरातन मन्दिर स्थापित नहीं किया होगा?
    21 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit मक्का शहर से कुछ मील दूर एक साइनबोर्ड पर स्पष्ट उल्लेख है कि “इस इलाके में गैर-मुस्लिमों का आना प्रतिबन्धित है…”। यह काबा के उन दिनों की याद ताज़ा करता है, जब नये-नये आये इस्लाम ने इस इलाके पर अपना कब्जा कर लिया था। इस इलाके में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश इसीलिये प्रतिबन्धित किया गया है, ताकि इस कब्जे के निशानों को छिपाया जा सके। जैसे-जैसे इस्लामी श्रद्धालु काबा की ओर बढ़ता है, उस भक्त को अपना सिर मुंडाने और दाढ़ी साफ़ कराने को कहा जाता है। इसके बाद वह सिर्फ़ “बिना सिले हुए दो सफ़ेद कपड़े” लपेट कर ही आगे बढ़ सकता है। जिसमें से एक कमर पर लपेटा जाता है व दूसरा कंधे पर रखा जाता है
    21 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit यह दोनों ही संस्कार प्राचीन काल से हिन्दू मन्दिरों को स्वच्छ और पवित्र रखने हेतु वैदिक अभ्यास के तरीके हैं, यह मुस्लिम परम्परा में कब से आये, जबकि मुस्लिम परम्परा में दाढ़ी साफ़ करने को तो गैर-इस्लामिक बताया गया है? मक्का की मुख्य प्रतीक दरगाह जिसे काबा कहा जाता है, उसे एक बड़े से काले कपड़े से ढँका गया है। यह प्रथा भी “मूल प्रतीक” पर ध्यान न जाने देने के लिये एक छद्म-आवरण के रूप में उन्हीं दिनों से प्रारम्भ की गई होगी, वरना उसे इस तरह काले कपड़े में ढँकने की क्या आवश्यकता है?
    21 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit “इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका” के अनुसार काबा में 360 मूर्तियाँ थीं। पारम्परिक अरबी आलेखों में उल्लेख है कि जब एक भीषण तूफ़ान से 360 मूर्तियाँ नष्ट हो गईं, तब भी शनि, चन्द्रमा और एक अन्य मूर्ति को प्रकृति द्वारा खण्डित नहीं किया जा सका। यह दर्शाता है कि काबा में स्थापित उस विशाल शिव मन्दिर के साथ अरब लोगों द्वारा नवग्रह की पूजा की जाती थी। भारत में आज भी नवग्रह पूजा की परम्परा जारी है और इसमें से दो मुख्य ग्रह हैं शनि और चन्द्रमा। भारतीय संस्कृति और परम्परा में भी चन्द्रमा को हमेशा शिव के माथे पर विराजित बताया गया है, और इस बात की पूरी सम्भावना है कि यह चन्द्रमा “काबा” के रास्ते इस्लाम ने, उनके झण्डे में अपनाया हो।
    21 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit काबा से जुड़ी एक और हिन्दू संस्कृति परम्परा है “पवित्र गंगा” की अवधारणा। जैसा कि सभी जानते हैं भारतीय संस्कृति में शिव के साथ गंगा और चन्द्रमा के रिश्ते को कभी अलग नहीं किया जा सकता। जहाँ भी शिव होंगे, पवित्र गंगा की अवधारणा निश्चित ही मौजूद होती है। काबा के पास भी एक पवित्र झरना पाया जाता है, इसका पानी भी पवित्र माना जाता है, क्योंकि इस्लामिक काल से पहले भी इसे पवित्र (आबे ज़म-ज़म) ही माना जाता था। आज भी मुस्लिम श्रद्धालु हज के दौरान इस आबे ज़मज़म को अपने साथ बोतल में भरकर ले जाते हैं। ऐसा क्यों है कि कुम्भ में शामिल होने वाले हिन्दुओं द्वारा गंगाजल को पवित्र मानने और उसे बोतलों में भरकर घरों में ले जाने, तथा इसी प्रकार हज की इस परम्परा में इतनी समानता है? इसके पीछे क्या कारण है।
    21 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit काबा में मुस्लिम श्रद्धालु उस पवित्र जगह की सात बार परिक्रमा करते हैं, दुनिया की किसी भी मस्जिद में “परिक्रमा” की कोई परम्परा नहीं है, ऐसा क्यों? हिन्दू संस्कृति में प्रत्येक मन्दिर में मूर्ति की परिक्रमा करने की परम्परा सदियों पुरानी है। क्या काबा में यह “परिक्रमा परम्परा” पुरातन शिव मन्दिर होने के काल से चली आ रही है? अन्तर सिर्फ़ इतना है कि मुस्लिम श्रद्धालु ये परिक्रमा उल्टी ओर (Anticlockwise) करते हैं, जबकि हिन्दू भक्त सीधी तरफ़ यानी Clockwise। लेकिन हो सकता है कि यह बारीक सा अन्तर इस्लाम के आगमन के बाद किया गया हो, जिस प्रकार उर्दू भी दांये से बांये लिखी जाती है, उसी तर्ज पर। “सात” परिक्रमाओं की परम्परा संस्कृत में “सप्तपदी” के नाम से जानी जाती है, जो कि हिन्दुओं में पवित्र विवाह के दौरान अग्नि के चारों तरफ़ लिये जाते हैं। “मखा” का मतलब होता है “अग्नि”, और पश्चिम एशिया स्थित “मक्का” में अग्नि के सात फ़ेरे लिया जाना किस संस्कृति की ओर इशारा करता है?
    21 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit यह बात तो पहले से ही स्थापित है और लगभग सभी विद्वान इस पर एकमत हैं कि विश्व की सबसे प्राचीन भाषा पाली, प्राकृत और संस्कृत हैं। कुर-आन का एक पद्य “यजुर्वेद” के एक छन्द का हूबहू अनुवाद है, यह बिन्दु विख्यात इतिहास शोधक पण्डित सातवलेकर ने अपने एक लेख में दर्शाया है। एक और विद्वान ने निम्नलिखित व्याख्या और उसकी शिक्षा को कुरान में और केन उपनिषद के 1.7 श्लोक में एक जैसा पाया है।

    कुरान में उल्लेख इस प्रकार है –
    “दृष्टि उसे महसूस नहीं कर सकती, लेकिन वह मनुष्य की दृष्टि को महसूस कर सकता है, वह सभी रहस्यों को जानता है और उनसे परिचित है…”

    केन उपनिषद में इस प्रकार है –

    “वह” आँखों से नहीं देखा जा सकता, लेकिन उसके जरिये आँखें बहुत कुछ देखती हैं, वह भगवान है या कुछ और जिसकी इस प्रकट दुनिया में हम पूजा करते हैं…”

    इसका सरल सा मतलब है कि : भगवान एक है और वह किसी भी सांसारिक या ऐन्द्रिय अनुभव से परे है।
    21 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit इस्लाम के अस्तित्व में आने के 1300 वर्ष हो जाने के बावजूद कई हिन्दू संस्कार, परम्परायें और विधियाँ आज भी पश्चिम एशिया में विद्यमान हैं। आईये देखते हैं कि कौन-कौन सी हिन्दू परम्परायें इस्लाम में अभी भी मौजूद हैं – हिन्दुओं की मान्यता है कि 33 करोड़ देवताओं का एक देवकुल होता है, पश्चिम एशिया में भी इस्लाम के आने से पहले 33 भगवानों की पूजा की जाती थी। चन्द्रमा आधारित कैलेण्डर पश्चिम एशिया में हिन्दू शासनकाल के दौरान ही शुरु किया गया। मुस्लिम कैलेण्डर का माह “सफ़र” हिन्दुओं का “अधिक मास” ही है, मुस्लिम माह “रबी” असल में “रवि” (अर्थात सूर्य) का अपभ्रंश है (संस्कृत में “व” प्राकृत में कई जगह पर “ब” होता है)। मुस्लिम परम्परा “ग्यारहवीं शरीफ़”, और कुछ नहीं हिन्दू “एकादशी” ही है और दोनों का अर्थ भी समान ही है। इस्लाम की परम्परा “बकरीद”, वैदिक कालीन परम्परा “गो-मेध” और “अश्व-मेध” यज्ञ से ली गई है। संस्कृत में “ईद” का अर्थ है पूजा, इस्लाम में विशेष पूजा के दिन को “ईद” कहा गया है। संस्कृत और हिन्दू राशि चक्र में “मेष” का अर्थ मेमना, भेड़, बकरा होता है, प्राचीन काल में जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता था तब मांस के सेवन की दावत दी जाती थी। इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस्लाम ने इसे “बकरीद” के रूप में स्वीकार किया है (उल्लेखनीय है कि हिन्दी में भी “बकरी” का अर्थ बकरी ही होता है)। जिस प्रकार “ईद” का मतलब है पूजा, उसी प्रकार “गृह” का मतलब है घर, “ईदगृह = ईदगाह = पूजा का घर = पूजास्थल, इसी प्रकार “नमाज़” शब्द भी नम + यज्ञ से मिलकर बना है, “नम” अर्थात झुकना, “यज्ञ” अर्थात पूजा, इसलिये नम + यज्ञ = नमज्ञ = नमाज़ (पूजा के लिये झुकना)। इस्लाम में नमाज़ दिन में 5 बार पढ़ी जाती है जो कि वैदिक “पंचमहायज्ञ” का ही एक रूप है (दैनिक पाँच पूजा – पंचमहायज्ञ) जो कि वेदों में सभी व्यक्तियों के लिये दैनिक अनुष्ठान का एक हिस्सा है। वेदों में वर्णन है कि पूजा से पहले, “शरीरं शुद्धयर्थं पंचगंगा न्यासः” अर्थात पूजा से पहले शरीर के पाँचों अंगों को गंगाजल से धोया जाये, इसी प्रकार इस्लाम में नमाज़ से पहले शरीर के पाँचों भागों को स्वच्छ किया जाता है।
    21 hours ago · Like · 3
  • Pradeep Kumar Bhatnagar KAHAWAT HAI HAI KI JIS DIN JO BHI WAHA JA KAR GANGA JAL CHADAYE GA US DIN ES DHARAM KA ANT HO JAYE GA ESLIYE WAHA ANDAR JANEY SE PEHLEY SABKI TALASHI LI JATI HAI AUR SIRF MULIMS KO HI JANEY KI IZAZAT HAI ITNA DARTEY HAI YEH HINDUO SE >>>>
    21 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit इस्लाम में “ईद-उल-फ़ितर” भी मनाया जाता है, जिसका मतलब है “पितरों की ईद” या पितरों की पूजा, अर्थात पूर्वजों का स्मरण करना और उनकी पूजा करना, यह सनातन काल से हिन्दू परम्परा का एक अंग रहा है। हिन्दू लोग “पितर-पक्ष” में अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिये पूजा-हवन करते हैं उन्हें याद करते हैं यही परम्परा इस्लाम में ईद-उल-फ़ितर (पितरों की पूजा) के नाम से जानी जाती है। प्रत्येक मुख्य त्योहार और उत्सव के पहले चन्द्रमा की कलायें देखना, चन्द्रोदय और चन्द्रास्त देखना भी हिन्दू संस्कृति से ही लिया गया है, इस्लाम के आने से हजारों साल पहले से हिन्दू संकष्टी और विनायकी चतुर्थी पर चन्द्रमा के उदय के आधार पर ही उपवास तोड़ते हैं। यहाँ तक कि “अरब” शब्द भी संस्कृत की ही उत्पत्ति है, इसका मूल शब्द था “अरबस्तान” (प्राकृत में “ब” संस्कृत में “व” बनता है अतः “अरवस्तान”)। संस्कृत में “अरव” का अर्थ होता है “घोड़ा” अर्थात “घोड़ों का प्रदेश = अरवस्तान” (अरबी घोड़े आज भी विश्वप्रसिद्ध हैं) अपभ्रंश होते-होते अरवस्तान = अरबस्तान = अरब प्रदेश।
    21 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit चन्द्रमा के बारे में विभिन्न नक्षत्रीय तारामंडलों और ब्रह्माण्ड की रचना के बारे में वैदिक विवरण कुरान में भी भाग 1, अध्याय 2, पैराग्राफ़ 113, 114, 115, 158 और 189 तथा अध्याय 9, पैराग्राफ़ 37 व अध्याय 10 पैराग्राफ़ 4 से 7 में वैसा ही दिया गया है। हिन्दुओं की भांति इस्लाम में भी वर्ष के चार महीने पवित्र माने जाते हैं। इस दौरान भक्तगण बुरे कर्मों से बचते हैं और अपने भगवान का ध्यान करते हैं, यह परम्परा भी हिन्दुओं के “चातुर्मास” से ली गई है। “शबे-बारात” शिवरात्रि का ही एक अपभ्रंश है, जैसा कि सिद्ध करने की कोशिश है कि काबा में एक विशाल शिव मन्दिर था, तत्कालीन लोग शिव की पूजा करते थे और शिवरात्रि मनाते थे, शिव विवाह के इस पर्व को इस्लाम में “शब-ए-बारात” का स्वरूप प्राप्त हुआ।
    21 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit ब्रिटैनिका इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार काबा की दीवारों पर कई शिलालेख और स्क्रिप्ट मौजूद हैं, लेकिन किसी को भी उनका अध्ययन करने की अनुमति नहीं दी जाती है, एक अमेरिकन इतिहासकार ने इस सम्बन्ध में पत्र व्यवहार किया था, लेकिन उसे भी मना कर दिया गया। लेकिन प्रत्यक्ष देखने वालों का मानना है कि उसमें से कुछ शिलालेख संस्कृत, पाली या प्राकृत भाषा में हो सकते हैं। जब तक उनका अध्ययन नहीं किया जायेगा, विस्तार से इस सम्बन्ध में कुछ और बता पाना मुश्किल है।
    21 hours ago · Like · 2
  • Pradeep Kumar Bhatnagar INDIA MAI BAN THI MAINEY MAHOMMAD FILM EUROPE MAI DEKHI HAI USKI SHAKAL HATA DI THI SIRF CAMEL DIKHAYA THA MAHOMMAD KA >> AAP ASLIYAT DEKHO GEY KAISEY WO BACHPAN MAI HI LOGO KI PUJA KARTEY WAQT JA KAR MUTIYA TOD DIYA KARTA THA AUR KAISEY ISLAM BANA >>>
    21 hours ago · Like · 2
  • Kalim Chanchal Mr.venktes pandit patthar ki puja karte karte apki akkal par v patthar pad gaya , ,hakikat ka samna karne ki aukat rakhte ho bahot dharam ka knowledge hai to mai tumhe apna no. Sms karta hu mujhse bat karna.. The person who can not respect of other religion ,he can't part of any religion.. A tumhari galat fahmi hai ki woha shiv ling hai aur tumhare ganga jal se phir se ji uthege,kya tumhare shiv me etni v takat nahi ki ek patthar ke chabutare ko tod ke aajad ho jaye.. Jb tumhare bhagwan ko us allah ka ek chota sipahi aakar gulam kar gaya to socho wo jisne use bheja wo kya kar sakta hai. Aur ganga jal ya koi v bahri jal hi nahi har napak chij woha le jana mana hai. Ganga ji tum nahate,lari phekte, sahar ki gandagi dalte ho islam ki najar se napak hai. Aur arab me pahle murtiya puja karte the wo v apne purvajo ya dharam guruo ki na ki shiv krisna ya kisi hindu devta.ki jb muhammad sahab aaye unhone a sb haram kam band kara diya,warna woha to log sharab v pite the..soch badlo yar.hamesa insano ko mat ladao.
    21 hours ago · Edited · Like · 2
  • Kalim Chanchal Mit gaye islam ko mitane wale ,par na mita tha na mitega islam ka jalwa jaha se.. Mai dharam koi v ho uski respect karta hu.. Par aap dusre dharam ka andadar karke kya sabit karna chahte ho ki aap mahan hai,kya hinduttva ki pahchan hai.. Dar islam ke manne walo ko nahi tumhe tavi har kahi islam ka virodh karte najar aate ho..kavi koi dharmik party banakar bhole hinduo ko hamare khilaf bhadka kar kavi hame milne wali suvidhao ka virodh kar.. Par ham aisa kuch nahi karte,kyuki hamara sabse bada yakida us upar wale pe jisne hame bheja hai wohi hamari hifajat karega.chahe lakho narendra modi paida karlo..ham roj badhege ..ek sarve batata hu.mr parndit. Aaj duniya me sabse jayda koi kitab sare mulko me padhi jati hai to wo hai kuran, duniya me sabse jayda log apna dharam chhond kar jis dharam ko apna rahe hai wo hai islam 54.97 ka ratio hai. Aur 2025 me duniya me sabse jayda aabadi v islam ke manne walo ki ho jayegi.. Aur aaj duniya me sabse islamic country hai 34 .. But you don't worry tum ham tab v sath hai
    20 hours ago · Like · 1
  • Rakesh Sharma मिस्टर कामिल छाछर जी आप पहले टिप्पणीयाँ ध्यान से तो पढते कि किसकी टिप्पणी पढ रहे हो । वह गँगाजल चढाने से शिव के जिन्दा होने की नही बल्कि ईस्लाम के उसी दिन नष्ट हो जाने की सुनी जाने वाली झूठी चर्चा का जिक्र प्रदीप कुमार भटनागर जी ने किया है न की व्यँकटेश पँडित जी ने । और हाँ ये बात सत्य है जो पी एन ओक जी व स्वामी जगदीश्वरानन्द जी ने भी वर्णन किया है कि ईस्लाम पहले हिन्दु देवी देवताऔँ की ही पूजा करता था । जिसके इतने प्रयाप्त प्रमाण आपको पँडित जी ने दिये हैँ । क्या अब भी आँख नही खुलती ? अरे हम तुम्हे मूर्ति पूजा को नही कहेँगे , हमारे यहाँ आर्य समाज है वहाँ मूर्ति पूजा नही होती आप सब मुसलमान आर्य समाज के माध्यम से शुद्धिसँस्कार कराकर हिन्दु बन जाओ , अपने पुराने मातृधर्म मे लौटो तुम्हारा स्वागत है ।
    20 hours ago · Like · 1
  • Shabnam Ali are ye venktesh pandit behad bewakuf admi hai iski bato mai aoge to jabran jhagde honge.maine is gadhe ki pehle bhi bahut khichai ki thi.ye prem ka arth nhi janta or pandit bangaya.pakhandi.
    20 hours ago · Like · 1
  • Shabnam Ali kabhi desh prem ki bat nhi karega badtamiz. .venktesh
  • Shabnam Ali abhi jute khane ka mouka aega to sb se pehle bhagega.or muh ke kudedan se gandgi girata rehta hai.dekh venktesh pandit ek bat sun agar islam ko puri dunia mai felna hai to wo fail raha hai or failega.na tu rok sakta hai na koi or.jo hona hai or hoga to kyo magaj mari karta hai shetan.logo ko prem se jine de.hinduo ke kam muslim ate hain or muslimo ke kam hindu.garib janta mil jul kar rehti hai.nalayak kyo logo ko ladwata hai.
  • Rakesh Sharma शबनम अली जी अगर आप प्रेम की बात करेगी तो मेरा मानना है कि पँडित जी भी जरुर प्रेम की बात करेगे । और रही देश प्रेम की बात तो पँडित जी सच्चे देश प्रेमी हैँ । वह पाखण्डी नही सत्य बात कहने वाले सत्यवादी हैँ ।
    20 hours ago · Like · 3
  • Shabnam Ali mujhe lagta hai ye venktesh pandit mehnat ki kamaee ki bajae haram ki rotiyan todta hoga islie baithe baithe kuchmat karta rehta hai.abe o . . un logo ko mat lada jo bhole bhale hain or roz kua khodte hai or pani pite hai mehnti admi ko teri in bakwas se kya matlb.sudharja gadhe.mere hath lag gaya na kisi din to tujhe insan bana dungi.jahil soch samajh ke bat kara kar.nahi to kisi din sari samjhdari nikal jaegi.jute khaega.
  • Rakesh Sharma कामिल छाछर जी आपने कई बार पँडित जी के द्वारा धर्म के अपमान की बात कही है जबकि उन्होने एक शब्द भी इस्लाम के अपमान का नही कहा केवल सत्य कथन किया है ।
    20 hours ago · Like · 3
  • Shabnam Ali are rakesh sharma ji inka hamesha yahi kaam hai. ye logo ko gumrah karte hain.ap hi bataiye kya kisi ke dharm ko galat keh kar hum apne dharm ko sahi keh sakte hai.me to sare dharmo ka samman karti hun.or ek sachcha hindu is jesi durbhawna nhi felata.
    19 hours ago · Like · 1
  • Shabnam Ali desh ki prgati vikas or yuaon ke bhawishy ke bare mai socho.kuchh nhi rakha hai in bato mai.mere sare hindu dost mujhe meri jaan se pyare hai.or wo bhi mujhe itna hi chahte hai.venktesh pandit jese log desh ki unnati ke bandhak hain.kon sune is shwan ki bat.hame to desh sawarna hai.bhad main jaen in jese log.jai hind.
  • Rakesh Sharma शबनम अली जी मुझे नही लगता कि व्यँकटेश पँडित जी कही इस्लाम का अपमान करते होँ । हाँ जो सच्चाई है वही कहते है । अगर आपको यह बात भी अपमान लगती है कि इस्लाम से पहले अरब मे हिन्दु धर्म था जिसके प्रमाण पँडित जी ने दिये हैँ तो आप सच्चाई से मुह मोडते हो । जबकि हिन्दुस्तान के 97%मुसलमान पहले हिन्दु ही थे और भारत के निवासी हैँ ।अरब आदि देशोँ के तो बहुत कम लोग हैँ ।
    19 hours ago · Like · 4
  • Shabnam Ali han mujhe sb pata hai.islam to 1400 so sal pehle aya hai.fir bhi bahut tezi se fail raha hai.us se pehle log murti puja karte the.. . lekin. . . ab i love islam i love india i love indian. i love insan.
    19 hours ago · Like · 1
  • Rajesh Sahni Kalim bhai,venktesh ne hindu aur muslim dharmo ki samantayen batayi hain,na ki islaam ka virodh kiya hai..aap coments jaldi me pad gaye hain lagta hai..read again! islaam itna mahan hai to aap vichlit kyu hote hain,mahanta chupti nahi,samne aa he jayegi..aap ki jankari ke liye bata du ki vishva me sabse adhik pada jane wala dharam grantha bible hai,lekin is se kya fark padta hai?aap log samanta ki bat kar rahe hain,to vahi bat venktesh ne bhi kahi..
    19 hours ago · Like · 2
  • Shabnam Ali maine is venktesh ki kai post dekhi hain ye sirf hindu muslim ke alawa koi bat nhi karta pagal ho gaya hai ye.garmi chad gai dimag par iske..meri nazar mai ye maha dusht nich wyakti hai.manvi dharm ko b nhi samjhta gadha.
  • Shabnam Ali kuran mai char asmani kitabo ka zikr hai jisme ek bible bhi hai.or bible isa ale salam ke ummati hi padhte hain.kyo dimag khapa rahe ho.islam ek junun hai jazba hai ise rokna khatm karna apke mere bas ki bat nhi.kuchh nhi hona hai.kahan muh lago muslmano ke so jao.
  • Rajesh Sahni Shabanam ji,aap kehti hain na ki I love islaam..to aapke dwara ghoshit ye nakara pandit bhi to yahi kehta hai ki I love hindu..fark kaha hai aap dono me?aap kehti hain I love insaan!par aatankwadi ye bat nahi mante..aap kehti hain I love indian..par padosi desh ye bat nahi manta..ghaat laga ke humare bhaeyon ki mundi uda deta hai..aap thoda in logo ke sath bhi gali galoj kijiye na pls..
    19 hours ago · Like · 7
  • Shabnam Ali mere desh par buri nazar rakhne wala har insan mera dushman hai.desh or insaniyat ke jazbe ke age koi tark nhi.jai hind jai manw.
    19 hours ago · Like · 4
  • Krishna Pandit Shabnam ali ji,, kaash aap jaisa desh ka her musalmaan sochay...too ye desh kabhi naa bategaa....
    19 hours ago · Like · 1
  • Balaprasad Mewada kyu bahas karte ho bhai ki mera dharm shreshta tera kharab aaj duniya janti he islam ka matlab -ATANKWAD ger dharm walo ka utpidak (jaha bahusankyak he),unki nariyo k sath durachar koi paap nahi mannewala duniya k insano ko tabahi k alawa kya diya he islam ne khud muslim deso me b logo ko na shanti se gte he or na gne dete he islamic dusre dharm k logo k saath anachar ho to jo sabhya muslim bante he vo bhi muh fer lete he vaha k kanun or samaj kaha chala jata he kya ve use nahi rok sakte he..bs unka kasoor
  • Partho Sarathi Bhattacharya Mera ek sawal un muslim bhaion k liye hai aap jo itne kushalata se tark dete hai aur badi hi chaturai se apne apme har dharm ki respect ka zikar karte ho aur des bhakti jahir karte ho aap sab kaha gayeb ho jate ho jab koi Owesi jaisa deshdrohi apna owqaat vul jata hai aur Zakir naik jaisa saitan Hinduon ka apman karta hai tab aap kisi me aisy sadvawna ujagar Q nahi hoti? Aap kaha gayeb ho jate ho bazay pratibad ki madat nahi to chuppi sadh lete ho.
    18 hours ago · Like · 7
  • Ashish Shukla deshprem to katuo k ander aisa kut kut k bhara hai ki charon taraf dikhai de raha hai, sale jis thali me khate hain usi me ched karte hain,,maar k bhagao inko yahan se
    18 hours ago · Like · 4
  • Balaprasad Mewada gair eslamiyo ka kasoor sirf etna hota he ki ve eslam nahi swikarte SHABNAM ALI ye batao aaj kashmir ghati hinduvihin kyu he des vibhajan k samay 1/4 se adhik hindu pakistan me the kaha chale gaye asam adilabad-heydarabad jse muslim bahul elako me kya ho raha he ovasi jse kyu chunav gtate he jakir naik ki kyu aap juban khichate pak me ek esae ladki ko kathit rup se kuran k apman pr giraftari pr kyu sarkar mafi mang leti he sirf obama k drone k darse 2012 me hi lagbhag 2000 hinduo ko unka des pak chhodana
    18 hours ago · Like · 1
  • Balaprasad Mewada ...pada kitane islam k anuyayi aaye ye batane ki pak k muslman galat kar rahe he tum ek aurat ho shabnam jaker suno unki ladies ki pida ki tumhare dharm k log kesa bartav karte he tumhari hi jati ki dusare dharm waliyo se ...me islam ka gyani nahi hu pr islam k karma dekhakar hi es dharm k bare me etna jaan gaya ki ye duniya me manvta-insaniyat ko kalankit karne wala he agar islam k anusar ye kartute galat he to kitane honge aise log roko aur khatm kardo aise islam ko badnam karnewalo ko he dum
    18 hours ago · Like · 2
  • Ashish Shukla mewada bhai main mata hun sare musalman kharab nai hote honge, main man sakta hun, para kya sare musalman acche hain, hyderabad , bhopal purani dilli, kanpur allahabad, ityadi jitne bhi ilakon me inki tadad adhik hai, wahan aaj bhi pakistan k jitne par aatishbajiyan karte hain...
  • Ashish Shukla bharat ki jeet par gam manate hain....
  • Ashish Shukla aise deshbhakton ko kya kahenge ...jinhe bhartiya hone par nahi muslim hone par garv hota hai, aur jo arab deshon ko apna bhai batate hain..aur bharat ko apna dushman......
  • Ashish Shukla shabnam ji facebook par bhonkne se kuch hasil nahi hone wala.....aankhe khol k duniya dekhiye, aapke shantipriya muslim bharat me aur pure vishwa me kitni shanti faila rahe hain.....
    18 hours ago · Like · 1
  • राम सिंह ईस्लाम एक बिमारी है जो लगातार फैल रहा है।
    ये कोई धर्म नहीं है।
    धर्म तो जोङने का कार्य करता है तोङने का नहीं।
    धर्म तो हमेशा अधर्म का विरोध करता है।

    अलग पहचान बना लेने से कोई धर्म नहीं बन जाता है।

    मुस्लिमों को किस बात पर ईस्लाम पर गर्व है!!
    17 hours ago · Like · 4
  • 14 hours ago · Like · 2
  • Vashu M Mishra Jai modi...
    14 hours ago via mobile · Like · 1
  • Vashu M Mishra Jai hindu...
    14 hours ago via mobile · Like · 1
  • Vashu M Mishra Jai rss....
    14 hours ago via mobile · Like · 1
  • Akhtar Ali eman wala hi muslman
    14 hours ago · Like · 2
  • Ashutosh Gupta har musalman kharab nahi hote jis musalman ko apne andar muslim ka ghamand ho or wo sabko dushman ki nazar se dekhta hai wo insan ni haiwan hai mai hindu hu par muslim ke har fastival manata hu or to or mai ramzan ke roze bhi poore rakhta hu kyoki meri soch ke anusar koi chota bada nahi hota
    13 hours ago · Edited · Like · 2
  • Ashutosh Gupta har musalman kharab nahi hote jis musalman ko apne andar muslim ka ghamand ho or wo sabko dushman ki nazar se dekhta hai wo insan ni haiwan hai
    13 hours ago · Like · 2
  • Vashu M Mishra Aaj pure hindustan me 2 tarah k eman wale musalman hai..
    No.1=owesi (suwar) jaise eman wale..
    No.2=a.p.j.kalam (sache) eman wale..
    13 hours ago via mobile · Like · 3
  • Vashu M Mishra Aaj jab koi muslim eman ki bate karta hai .to sabhi ger muslim bhramit ho jata hai.
    Ki ye kon se wale eman ki bat kar raha hai.
    Owise wale eman ki ya kalam sahab wale eman ki..
    8 hours ago via mobile · Edited · Like · 1
  • Vashu M Mishra Is liye ab samay aa gaya hai ki sabhi muslim dharm-gurus ko apne aap hi.
    Midiya se mukhatib ho kar pure deshwasiyo (muslim v ger muslims) ko ye bata de ki musalmano ko aapni aane wali pidhiyo ko kon se wala eman sikhana hai.
    Owise wala ya kalam wala..
    12 hours ago via mobile · Like · 1
  • Akhtar Ali aisa nahi hai bhai
  • Vashu M Mishra Kya aisa nhi h? akhtar bhai??
  • Venktesh Pandit शबनम अली और कलीम चंचल जी आपके श्रीमुख से निकल रहे शब्द आपकी अज्ञानताजनक कुंठा के परिचायक हैं,मैंने इस पोस्ट में एक भी शब्द अपनी तरफ से नहीं लिखा है सिर्फ अब तक इस सम्बन्ध में कही गयी बातों,ऐतिहासिक,पौराणिक प्रमाणों को सामने रखा है.इनका तर्कगत खंडन करने के लिए आप सब स्वतंत्र हैं.शबनम अली मेरा मानना है क़ि मुंह से दुर्वचन तभी निकलते हैं जब दिमाग में कोई तर्कगत जवाब न हो ..
    7 hours ago · Like · 4
  • Venktesh Pandit पूरे विश्व में इस्लाम का विस्तार तलवार के बल पर हुआ है .विश्व में बढ़ रही अशांति का सबसे बड़ा कारन इस्लामिक कठमुल्लापन है.इस तथ्य को कोई नकार नहीं सकता,
    7 hours ago · Like · 3
  • Karan Sharma Allah ka Ghar, Janha Aaj Bhi Bhagwan Shankar ki Khandit Partima Virajmaan Hai.... KRN Sh.
    7 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit बर्बर इस्लामी हमलावरों ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए कितना भयंकर कत्लेआम किया यह किसी से छिपा है क्या? इस दौरान दुसरे धर्मो के कितने आस्था केंद्र नेस्तनाबूद हुए इनकी गिनती क्या की जा सकती है ? ऐसे ही धर्मस्थलों में एक मक्केश्वर महादेव मंदिर क्यों नहीं हो सकता.भारत में बाबरी मस्जिद .ज्ञानवापी मस्जिद और श्रीकृष्णजन्मभूमि के इस्लामी ढाँचे क्या हैं.क्या हिन्दू इनके इतिहास की चर्चा भी नहीं कर सकता ....
    7 hours ago · Like · 4
  • Venktesh Pandit शबनम अली पिछले हफ्तेही अकबरुद्दीन ओवैसी ने हिन्दू धर्म और हिंदुस्तान के खिलाफ जहर उगला है तब आप जैसे राष्ट्रवादी मुसलमानों के मुंह नहीं खुले.हिंदुस्तान में क्या सिर्फ हिंदुत्व की चर्चा करना ही राष्ट्रद्रोह है ?
    7 hours ago · Like · 4
  • Vishant Kumar Tyagi ashutosh gupta ji...bade hi garv se kaha apne k aap roje rakhte h, namaj padhte h, sabhi shantipriya log kharab nai hote....bde hi dilvale h aap....bahut hi mahan vyakti h aap to......kya aap shantipriya dharm k logo k yahan se bina dharm badle shadi kr sakte h? kya aapka koi shantipriya bhai aap k devi devtao ko pooja krta h? m aap ko bhadka nai rha hu.....aap inme se koi kaam nai kr sakte or na kra sakte.....kyonki aap secular h or vo kattar....jante ho musalmaan bharat me kahan se aye the....jb mughal raja sharan lete the bharat me to aap jaise log to dayavaan or secular bn jate the, or baad me kattar.....kuchh drr se bn gaye or kuchh lalach me.....or fir itihaas rach gya......isiliye guru govind singh ji ne kaha tha k jinhe aan pyari thi vo balidaan ho gaye or jinhe jaan pyari thi vo musalman ho gaye.......prathvi per hr manushya apne karmo ki sja bhugat ta h....or shantipriya b........!sabhi seculars b padho....
    7 hours ago · Edited · Like · 3
  • Venktesh Pandit कलीम और शबनम शुक्र मानो की हिन्दू समाज इतना सब कुछ सहने के बाद भी सहिष्णु बना है अन्यथा जिस दिन वह तुम्हारी तरह कट्टर हुआ तो न बाबरी क़ि तरह मंदिर के ऊपर बनी मस्जिदें बचेगी न गुजरात क़ि तरह जिहादी ..
    7 hours ago · Like · 3
  • Sunil Chourasiya asutosh gupta namak jaychando ke karan hi bharat 700 saal muglo ka gulam raha
    6 hours ago · Like · 2
  • Sunil Chourasiya shabnam ali ko malum honi chahiye ki sav mushalmaano ke purvaj hindu hi qo nikalte he isliye ki sav mushalmano ke baap dada bhiruta ke karan dar gaye aor talwar dekhkr dharmantaran kr liya kisi ki 4th pidi kisi ki 6th pidi hindu hi nikalti he shabnam ali tumhari 3 pidio ke nam malum karo fir baad me batana kese tum sabita bai se sabnam ali ho gai
    6 hours ago · Like · 3
  • Sunil Chourasiya aj tak is dharti par ek v mushalman koi peda karke bata de to ishlam dharm ki catagiri me a v sakta he ,mushlman koi dharm ke antargat hi nai ata qki jiski sthapna hi kisi dharm ke khilaf hui ho to ye kis adhar pr inshaniyat ka dharm ho sakta he bt aj tak mushalman kahi peda nai hua hindu hi hota he fir use khandit karke banaya jata he 7wi shatabdi ke pahle yaha mushlim jesa koi words dharti pr ne tha fir bijli ke kide jese qo bad gaye ye sb kese hua unke baap dada ache kism ke gandu thde sokabul
    6 hours ago · Like · 3
  • Venktesh Pandit स्व0 मौलाना मुफ्ती अब्दुल कयूम जालंधरी संस्कृत ,हिंदी,उर्दू,फारसी व अंग्रेजी के जाने-माने विद्वान् थे। अपनी पुस्तक "गीता और कुरआन "में उन्होंने निशंकोच स्वीकार किया है कि,"कुरआन" की सैकड़ों आयतें गीता व उपनिषदों पर आधारित हैं।
    मोलाना ने मुसलमानों के पूर
    ्वजों पर भी काफी कुछ लिखा है । उनका कहना है कि इरानी "कुरुष " ,"कौरुष "व अरबी कुरैश मूलत : महाभारत के युद्ध के बाद भारत से लापता उन २४१६५ कौरव सैनिकों के वंसज हैं, जो मरने से बच गए थे।
    अरब में कुरैशों के अतिरिक्त "केदार" व "कुरुछेत्र" कबीलों का इतिहास भी इसी तथ्य को प्रमाणित करता है। कुरैश वंशीय खलीफा मामुनुर्र्शीद(८१३-८३५) के शाशनकाल में निर्मित खलीफा का हरे रंग का चंद्रांकित झंडा भी इसी बात को सिद्ध करता है।
    5 hours ago · Like · 2
  • Venktesh Pandit कौरव चंद्रवंशी थे और कौरव अपने आदि पुरुष के रूप में चंद्रमा को मानते थे। यहाँ यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि इस्लामी झंडे में चंद्रमां के ऊपर "अल्लुज़ा" अर्ताथ शुक्र तारे का चिन्ह,अरबों के कुलगुरू "शुक्राचार्य "का प्रतीक ही है। भारत के कौरवों का सम्बन्ध शुक्राचार्य से छुपा नहीं है।
    5 hours ago · Like · 1
  • Venktesh Pandit इसी प्रकार कुरआन में "आद "जाती का वर्णन है,वास्तव में द्वारिका के जलमग्न होने पर जो यादव वंशी अरब में बस गए थे,वे ही कालान्तर में "आद" कोम हुई।
    अरब इतिहास के विश्वविख्यात विद्वान् प्रो० फिलिप के अनुसार २४वी सदी ईसा पूर्व में "हिजाज़" (मक्का-मदीना) पर ज
    ...See More
    5 hours ago · Like · 4
  • Venktesh Pandit अब हम कुछ नहीं कह रहे है मुसलमान खुद बोल रहे है की काबा हिन्दू मंदिर था बहा पर यज्ञ होते थे .... श्री राम जी वह पर राक्षसों से यज्ञ की रक्षा के लिए मक्का (काबा ) गए थे अनवर जमाल भी येही बोल रहा है की कुरान में वेदों का ज्ञान है और उनके बारे में बोला गया है ..लेकिन बो अपनी संकिन बुद्धि का प्रयोग करके मुहम्मद को विष्णु अबतार बताने में लगा है जब की ये गलत है ये वेदों में भी सिद्ध है की मुहम्मद शैतान था .... और ये जो पद चिन्ह है ये श्री राम या वावन अवतार के हो सकते है क्युकि इस्लाम में तो पद चिन्ह की पूजा निषेद है और आप खुद देख सकते है चित्र में की पदचिन्ह पर चन्दन , रोली से पूजा होती है और चिन्ह के ऊपर घंटी नुमा भी लग रहा है जो इस्लाम के खिलाफ है .......
    हिंदुस्तान से भी लोग वहां जाते थे। मक्का को भारतीय लोग मख के नाम से जानते हैं। यज्ञ के पर्यायवाची के तौर पर ‘मख‘ शब्द भी बोला जाता है जैसा कि तुलसीदास ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हेतु श्री रामचंद्र जी के जाने का वर्णन करते हुए कहा है कि
    *प्रात कहा मुनि सन रघुराई। निर्भय जग्य करहु तुम्ह जाई॥
    होम करन लागे मुनि झारी। आपु रहे मख कीं रखवारी॥1॥
    भावार्थ:-सबेरे श्री रघुनाथजी ने मुनि से कहा- आप जाकर निडर होकर यज्ञ कीजिए। यह सुनकर सब मुनि हवन करने लगे। आप (श्री रामजी) यज्ञ की रखवाली पर रहे॥1॥
    'मख‘ शब्द वेदों में भी आया है और मक्का के अर्थों में ही आया है। यज्ञ को यज भी कहा जाता है। दरअस्ल यज और हज एक ही बात है, बस भाषा का अंतर है। पहले यज नमस्कार योग के रूप में किया जाता था और पशु की बलि दी जाती थी। काबा की परिक्रमा भी की जाती थी। बाद में यज का स्वरूप बदलता चला गया। हज में आज भी परिक्रमा, नमाज़ और पशुबलि यही सब किया जाता है और दो बिना सिले वस्त्र पहने जाते हैं जो कि आज भी हिंदुओं के धार्मिक गुरू पहनते हैं।
    5 hours ago · Like · 5
  • Venktesh Pandit क़ुरआन ने यह भी बताया है कि मक्का का पुराना नाम बक्का है ,
    - अनवर जमाल
    डा. श्याम गुप्त said.............
    ---मक्का निश्चय ही ’मख’ का अपभ्रन्श रूप होसकता है....अति-पुरा काल में सारा अरब प्रदेश, अफ़्रीका, तिब्बत , साइबेरिया , एशिया एक ही भूखन्ड था..जन्
    बू द्वीप या भरत खन्ड...भारत...अत:भारत का उत्तर-पश्चिमी भाग ... अरबप्रदेश वाला भारतीय भूभाग मानव का प्रथम पालना रहा होगा जहां से मानव इतिहास की प्रथम सन्स्क्रिति व प्रथम यग्य प्रारम्भ हुई होगी ..शायद जल-प्रलय से पहले ..
    "मरूतगण का अर्थ मरूस्थलवासी है।"---सही नही है ...मरुत..वायुदेव को कहते हैं..मरुतगण का वायु देव की सेना ..जिसमें मेघ,वर्षा आदि भी सम्मिलित हैं...
    --वैदिक युग में यग्य में पशु बलि नहीं दी जाती थी ...बाद में असन्स्कारित, अवैदिक सन्स्क्रिति के लोगों ने यह पशु वध आदि अरम्भ्य किया होगा.
    5 hours ago · Like · 5
  • Rakesh Sharma यह बात सत्य है कि पहले वैदिक धर्म मे बलि प्रथा बिल्कुल नही थी । पशु हिँसा वेद विरूद्ध है ।यह कुप्रथा हिन्दुओँ मे कुछ सौ वर्षोँ से आई जो अब समाप्त प्राय है ।
    4 hours ago · Unlike · 3

14 comments:

  1. O Log Duniya ke Sabse Bade Kutte Aur Kameene Hote Hai Jo Dharm Ke Naam Par Comment Karte Hai Aur Unke Vajah Se Hi Duniya Me Chain Sukun Nahi Milta.

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  2. जब तक तथ्यो को समय के फ्रेम मे रखकर बात नही किया जाय चीजे उलझ जाती है। अफ्रीका से माइग्रेशन कम से कम 35000 साल पहले शुरू हुआ। किसी भीषण प्राक्रितिक घटना की वजह से अफ्रीकी सेटलमेन्ट इकट्टे हुए और फिर माईग्रेशन उत्तर की तरफ हुआ। सम्भव है कि ये माइग्रेशन कुछ पहले भी हुआ हो क्यो कि श्रीलन्का और साउथ मे कुछ पुरातात्विक अवशेषो की कार्बन डेटिन्ग 34000 साल की पायी गयी है। भारत मे सम्भवतया गोड जनजाति सबसे पहले सेटल हुए। ये 30000-34000 के बीच की है। ये एक विशेष बेल्ट तक सीमित रहे। उत्तर की तरफ बढती सेटलमेन्ट्स कइ जगहो पर मिले और फिर आगे बढते गये, ये इजीप्ट के बजाय वर्तमान सउदी अरेबिया से होकर गुजरे। इरान-इराक, मिस्र, गुजरात के रास्ते अलग अलग जगह बढे। ध्यान देने योग्य ये है कि ये सारे मोहन जोदडो, हडप्पा, लोथल, कालीबन्गा से पहले की बात है।

    इस माइग्रेशन मे एक बडा समूह आइस इज से पहले या समानान्तर पामेर के क्षेत्र मे विकसित हुआ इसी की एक साखा पूर्वोत्तर मे हुआ जो बाद मे पूरे पूर्वी ऎशिया मे विकसित हुइ। पामेर के क्षेत्र से फिर ये पूरे यूरोप और पस्छिमी चीन मे भी फैले। आइस एज के उत्तरार्ध मे करीब 5000 bc-2000bc के लगभग ये मोहन जोदडो, हडप्पा, लोथल,कालीबन्गा सेटल हुए जो बाद मे सिन्धूघाटी के रूप मे विकसित हुइ। भारत मे 3000 bc-2000 bc के लगभग आइस इज का अन्त माना जा सकता है, इसी दौरान वर्तमान राजस्थान मे बर्फ के पिघलने से नदियो का और प्राक्रितिक आपदा बाढ ने तान्डव किया तथा सूखने के बाद तुरन्त अकाल मे पूरा थार का मरूस्थल बना

    इसके बाद ही पूरा का पूरा नार्थ इन्डिया यानी उत्तरी भारत मे बची हुइ नदियो मे मुहानो पर सभ्यताओ का जन्म हुआ नये सेटलमेन्ट हुए। इस पूरे समय मे विभिन्न सान्स्क्रितिक समूहो ने अनेको बार इधर से उधर हुइ। उत्तरी भारत मे फिर यूरोपिय जाति समूहो ने अपनी नयी सन्स्क्रिति के साथ आये तथा इस नये स्टाक को हम ब्राहमण कह सकते है। इस पूरे दौरान प्राक्रितिक रूप से कुछ जेनेतिक परिवर्तन भी हुए। ठन्ढे प्रदेश मे सफेद चमडी के लोग बेहरत अनुकुलित हुए और गर्म प्रदेशो मे सावले या फिर काले। ये फिलटरेशन प्राक्रितिक था। ये कुछ ऎसे ही है कि मुझे गरमी लगेगी तो ठन्डे जगह भागना पसन्द करून्गी और ज्यादा ठन्डी लगेगी तो गर्म जगह पर। प्राक्रितिक रूप से जो वातावरण विशेष मे ज्यादा अनुकुलित होगा वो ज्यादा फलेगा फूलेगा। रक्त शुद्धता जैसी बात कोइ बेवकूफ ही कर सकता है।

    बात करते है प्रमाणो की। रिन्सले जो कि एक मशहूर मानवशास्त्री रहे है ने बहुत सारे आकडे इकट्ठे किये जो कि स्किन के रन्ग, खोपडी की बनावट और आयतन, नाक और भौ की स्थिति आदि से सम्बन्धित थे ने ये सिद्ध किया कि आइस इज से पहले भी यूरोप मे काली चमडी, काले बाल के लोग रहते थे और इन्का सबसे बडा माइग्रेशन पामेर के क्षेत्र से हुआ जिसे दुनिया का छत "Roof of the world" के नाम से जाना जाता है। इन्ही वैग्यानिक तथ्यो के आधार पर डा. अम्बेदकर ने आर्य थ्योरी का पर्दाफाश किया। कुछ ऎसे ही तथ्य भाषाविड्द भी देते है। अभी मै स्पेनिश भाषा सीख रही थी तो एक बडा ही मौलिक शब्द था "तू" और इसका जो अर्थ हिन्दी मे जिस सेन्स मे है ठीक बैसा ही स्पेनिश मे भी है.... बिलकुल 101% समान। जब मैने पहली बार पढी और समझी तो चौक पडी।.. इस दौरान खाटी भोजपूरी शब्द जो आज कल की पीढी नही बोलती के बहुत सारे शब्द मिले जिनका बहुत कुछ अर्थ स्पेनिश जैसा है.... खैर.। IBM और नेशनल जियोग्राफिक चैनल ने एक प्रोजेक्ट पर काम किया जिसमे देश दुनिया के लाखो लोगो का DNA की बारीकी से अध्ययन किया और उन्का डाटा भी इसी तथ्य की पुष्टि करता है। आप भी पैसे देकर अपनी पुरानी पीढियो के माइग्रेशन के पाथ की जानकारी ले सकते है।

    आप अपनी राय जरूर दे.. हो सकता है कइ जगह कुछ गलत हो और उम्मीद करती हू कि आप मुझे ठीक करने का अवसर देन्गे। नेशनल जियोग्राफी का लिन्क आप मेरे वाल से पढ सकते है। ........ तदियम्पी शाक्या की तरफ से नमस्कार।

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  3. दोस्तों यहाँ सभी सच बोलते हा पर ये लोग इस बात को भूल जाते हा की समय बदलता हा और सब कुछ बदलता हा।समय के साथ हमेशा कुछ नया होता हैं।यह सच है की पहले पथरो को ईश्वर की आराधना के वक़्त ध्यान केन्द्रीत करने के लिए इस्तेमाल करते थे पर जब लोगो ने पत्थरों को ही ईश्वर मानना शुरू आर दिया तो ईश्वेत ने अपनी शक्ति को भेजा और सही तरीके से उसकी आराधना करना सुरु करवाया।जब सभी मानते हा की ईश्वर एक हा तो सीधे इश्वेर की आराधना को छोड़ कर क्यों माध्यम को इश्वेर मान कर उन पथरो की पूजा करी जाये।वेदों में लिखा हा की इश्वेर की आराधना करो तो क्यों पथरो की आराधना की जाये।जेसे विष्णु जी के कई अवतार आए वेसे ही हज़रात मुह्हमद भी विष्णु जी के ही अवतार आए ये बात मानने में क्या बुराई हा।लोगो को ये नहीं पाया की मुसलमान क्यों खतना करवाते है बस बक्वासज करते हँ और उल्टा शिद्ध बोल कर मुसलमानो को बदनाम करते हैं
    आज साइंस बताती हा की खतना करवाना हर मर्द के लिए फायदे की बात है क्योंकि खतना करवाने से कभी शीघ्र पतन की बीमारी नहीं होती।क्योंकि लिंग को हर पल ग्रसन मिलते रहने से कुछ समय बाद लिंग ग्रशण का आदि हो जाता है और छोटी छोटी बातों से टपकने की बीमारी से बाख जाता है।जब बादन से वीर्य नहीं तपजेगा तो बदन मजबूत बनता है ओर किसी किस्म की कमजोरी शारीर मे नहीं आती ।अपनी औरत को सही समय तक सम्भोग में साथ दे सकते है।नामर्दी की बीमारी नहीं होती।पिशाब करने के बाद वीर्य की 1-2 बुँदे जरूर निकलती है वो निकलना बंद हो जाती है ओर अगर पिशाब की 2 बुँदे निकलती हा तो उसे मिटटी के डले से साफ करखे सुखा कर साफ़ किया जाता है।इससे बीमारिया संक्रमण नहीं होता।अब बतायप की खतना कौन मर्द नहीं करवाना चाहेगा।कुछ मुर्ख लोगो ने सही कामो को भी धर्म का हिस्सा बता कर ऐसा गुमराह कर दिया हा की हम सही रिवाज़ को छोड़ कर उनिहि पर पथर मार रहे हा जो सही है।इस्लाम का मतलब हा एक इश्वर की आराधना करना ।वेड आवर गीत कहती हस की सिर्फ इश्ववर ही आराधना के लायक हा दूसरा कोई नहीं फिर क्यों हम इश्वेर को छोड़ कर उसकी सभी शक्तियों की आराधना करते है
    कभी फुरसत हो तो सॉL करना आप के सभी सवाली का जवाब मिलेगा।

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    1. कश्यपूदीन जाओ बंध गोभी के पास जाओ. यहाँ तुम्हारा कोई काम नही...

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  4. Hum kya hain aur kaise hain hamari ilm kaisi hai.
    Iska andaaza isi se laga lo ki muslim ke khilaaf aise hazaar post hain google par magar hindu ke baare me gine chune hi logo ke post hain.
    Har cheej sach nahi hota bhagwan ne hinduon ko banaya hai to fir muslim kon hain
    Duniya ka pahla insaan kon tha kya wo hindu tha kya wo musalmaan tha kya wo Cristian tha, kon tha wo....

    Kon bataa sakta hai ki insaan ko dharm ke aadhar par kabse bata jana chalu hua kisne bataa kyun bata...

    Please koi jawab mile to jarur batana...

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  5. Hum kya hain aur kaise hain hamari ilm kaisi hai.
    Iska andaaza isi se laga lo ki muslim ke khilaaf aise hazaar post hain google par magar hindu ke baare me gine chune hi logo ke post hain.
    Har cheej sach nahi hota bhagwan ne hinduon ko banaya hai to fir muslim kon hain
    Duniya ka pahla insaan kon tha kya wo hindu tha kya wo musalmaan tha kya wo Cristian tha, kon tha wo....

    Kon bataa sakta hai ki insaan ko dharm ke aadhar par kabse bata jana chalu hua kisne bataa kyun bata...

    Please koi jawab mile to jarur batana...

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  6. Bhai yo islam i suvar ya suvariya jitni bhi uchale unko uchal ke girana to kichad me hi he.hamare budhi jivi kah gaye he ki durmanush ko samjana vyarth he.pandit ji ko galiya dene valo tum apni ma ki jat chtti kar rahe ho.mulla ak bhi bhadava desh premi nahi he. 25 carod me se 2 se 4 hi des premi he to bhai yo 2 4 ke loye 25 carod dallo ko des ke desh premi jel rahehe.ye lutare he or lutare hi rahenge bhind he isliye kichad hi pasand he.or sun suvari kise marne ki bat kar rahi he sabanam tu gaddaro ko hamine panah di thi or hame hi dhoka diya rha.koi suvar kaha ta 100 ca ko 25. Ca mar denge suvar ki olad ko itihas batao ak bhi asi ladai batao ki jisme mulle kam ho or hindu jyada. Or vo ladai mulle jite ho ak bhi nahi.are hindu kam the fir bhi mullo ne dago se hindu ko haraya par har ak ladai me mulle hi jyada mare gaye the.suno sabanam,ali bhadvo hamse dosti ki ya prem ki bat mat koro sallo tum log pith me chura ghopo ge.koi bhi mulla kitani bhi kasam khaye to bhi yarami daga to jarur karegahi joseniko ne kasmir me mullo ki jan bachai unhi pe pathar feka bhadvone.tum na hindu ke the nahi hoge. Tumhari dosti tu m logo tak hi rakho.pandit jine khali tark hi nahi diye balaki sabut bhi diye he.har har mahadev

    ReplyDelete
  7. Islam sach me koi dharm h hi nhi....phle to dharm ko smjho dharm h kya....dharm k aadhar pr manushya chalta h....insaan ko dharm sahi raasta dikhata h....jb islam ne kaha h gair musalmano ka katl e aam kardo to...yah dharm ho kaise skta h....dharm to sahi raah dikhata h...jo galat raah dikhaye vo to adharm h....or haaa jo b muslim khte h hindu muslim bhai h...sab ek h...mujhe hindu se koi pareshaani nahi....to aap muslim ho hi nahi....aapke poorvaj vo hi hindu h jinhe talwaar ki nok par musalmaan bnaya gya...aapme khoon abhi b hindu ka hi h....kyuki hindu is duniya ka sabse udaar vyakti h....aap k dada pardada ko jabardasti musalmaan bnaya gya tha....par aap hindu dobaara bnne k liye svatantra hain...jisne muslim dharm ki sthapna kari....vo kiske bete the....hindu k hi na....to fir vo musalmaan kaise ho gye....hindu k bete to hindu hi honge ..bas vo apne maata pita ki ek khrab santaan the...jisne is pavitra dharti par adharm failaya....or unke khne pr unki peediyon ne katl e aam machaya.....un hindu mataon se poochho jinke doodhmuhe bchho ko bhale ki nok pr uchhala gya tha ....har musalmaan is duniya ka hindu h jo ki adharm k jaal me fans gya h....or uske peeche b ek vjh h....affirmation k baare me to sabne suna hi hoga....jb koi baat ek insaan sunta rhta h sunta rhta h to vo uske dimaag me baith jati h...jisko nikalna lgbhg asambhav sa ho jata h...to ye same case h muslims k saath....vo din me paanch baar namaz pdhte h...mtlb vo ek galat baat ko itni baar pdhenge sunenge to...unke dimaag pr kya asar hoga....vhi na jo ab ho rha h?...vo sahi nahi dekhna chahte ...ab vo bs hr jgh islaam dekhna chahte h....or agr islam itna hi achha h to...haj me sirf muslim ko hi jane ki anumati kyo h....hmare dekh k pratyek hindu mandir me har insaan ja skta h....jb vo murti puja ko mante hi nahi h to...makka me kale ptthr ko kyu chumte h....ek baar muslim hojar nahi....pr ek insaan hokar socho ....vo dharm ho kaise skta h jo kisi ko maarne ki baat kahe...aap galat nhi ho....aapke dimag me affirmations k through galat baate bhari jaa rahi h....har musalmaan hindu hi to h...jiske purvaj bhtk gaye the...or glt raah pr chale gaye....pr aaj to vkt aapke haath me h...apne dharm me laut aao....

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  8. Sukr hai venktesh pandit ne Makkah ko Makkeswar btaya "makbool al saood nhi btaya" aise bhando ne saswat sanatan ko Hindu me cunvort kr diya jo koi dharm hi nhi.abe chamga dad muslim bewakuf nhi jo tumhari baton me ayega.lagta hai mahangai me daan dakchhida kam pad gya hai. ��������

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  9. Bhai ka chairman ka naam Lijiye Nahin a raha tha usko wala hello Kuchh Bhi dijiye bhejo Kuchh Kuchh Bhi Nahin a rahi hai andar Din Mohammed birth Ghat

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