जब तक देश में सेकुलर(मुल्ला मुलायम , मुमताज़ ममता ,मरियम मायावती, अर्विन्द्खान कयूजलिखान, लालू पठान, नितिश्खान बिहारी ) और खुजलीवाल के समर्थक है तब तक पकिस्तान और चीन को देश को तोड़ने के लिए कोई विशेष प्रयास करने की आवश्यकता नहीं।
क्या आप अकबरुद्दीन ओवैसी के देशविरोधी और हिन्दू विरोधी भाषण का कारण जानते है?
इतिहास इस बात का गवाह है की जब जब हिन्दू घटा है तब तब देश बटा है आज का अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, नेपाल, भूटान, बंगलादेश, वर्मा, श्रीलंका और मालदीव कभी भारत के ही अंग थे तथा वहा हिन्दू बसते थे लेकिन आज वे भारत के अंग नहीं रहे और ना ही वहां हिन्दू रहे और अगर है भी तो उनकी संख्या दिन प्रति दिन घटती जा रही है। स्मरण रहे की भारत भी धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है और इसका कारण हिन्दुओं की जनसँख्या का कम होना है। देश के जिस भी हिस्से में हिन्दू कम हो जाते है वहा से ही अलगाववादी मांगे उठती है।
चेतो हिन्दुओ, माँ भारती की रक्षा के लिए एक हो जाओ, उखाड दो जड़ मूल से विभाजनकारी मानसिकता को। याद रखो हिन्दू घटा देश बटा !
हिन्दू हो, कुछ प्रतिकार करो, तुम भारत माँ के क्रंदन का
क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते होI
राणा प्रताप के वंशज हो, क्यों कुल को कलंकित करते होII
आराध्य तुम्हारे राम-कृष्ण, जो कर्म की राह दिखाते थेI
जो दुश्मन हो आततायी, वो चक्र सुदर्शन उठाते थेI
श्री राम ने रावण को मारा, तुम गद्दारो से डरते होII
जब शस्त्रों से परहेज तुम्हे, तो राम राम क्यों जपते होI
क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते होII
अंग्रेजों ने दौलत लूटी, मुगलों ने थी इज्जत लूटी I
दौलत लूटी, इज्जत लूटी, क्या खुद्दारी भी लूट लिया,
गिद्धों ने माँ को नोंच लिया, तुम शांति शांति को जपते होI
इस भगत सुभाष की धरती पर, क्यों नामर्दों से रहते हो?
क्या जंग लगी तलवारों में जो इतने दुर्दिन सहते होII
हिन्दू हो, कुछ प्रतिकार करो, तुम भारत माँ के क्रंदन काI
यह समय नहीं है, शांति पाठ और गाँधी के अभिनन्दन काII
यह समय है शस्त्र उठाने का, गद्दारों को समझाने का,
देश में ही छुपे शत्रु को, फिर शिव तांडव दिखलानेकाII
यह समय है हर एक हिन्दू के, राणा प्रताप बन जाने काI
इस हिन्दुस्थान की धरती पर, फिर भगवा ध्वज फहराने काII..
जब शस्त्रों से परहेज तुम्हे, तो राम राम क्यों जपते होI
क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते होII
।। वन्देमातरम ।। ।। भारत माता की जय।।
क्या आप अकबरुद्दीन ओवैसी के देशविरोधी और हिन्दू विरोधी भाषण का कारण जानते है?
इतिहास इस बात का गवाह है की जब जब हिन्दू घटा है तब तब देश बटा है आज का अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, नेपाल, भूटान, बंगलादेश, वर्मा, श्रीलंका और मालदीव कभी भारत के ही अंग थे तथा वहा हिन्दू बसते थे लेकिन आज वे भारत के अंग नहीं रहे और ना ही वहां हिन्दू रहे और अगर है भी तो उनकी संख्या दिन प्रति दिन घटती जा रही है। स्मरण रहे की भारत भी धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है और इसका कारण हिन्दुओं की जनसँख्या का कम होना है। देश के जिस भी हिस्से में हिन्दू कम हो जाते है वहा से ही अलगाववादी मांगे उठती है।
चेतो हिन्दुओ, माँ भारती की रक्षा के लिए एक हो जाओ, उखाड दो जड़ मूल से विभाजनकारी मानसिकता को। याद रखो हिन्दू घटा देश बटा !
हिन्दू हो, कुछ प्रतिकार करो, तुम भारत माँ के क्रंदन का
क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते होI
राणा प्रताप के वंशज हो, क्यों कुल को कलंकित करते होII
आराध्य तुम्हारे राम-कृष्ण, जो कर्म की राह दिखाते थेI
जो दुश्मन हो आततायी, वो चक्र सुदर्शन उठाते थेI
श्री राम ने रावण को मारा, तुम गद्दारो से डरते होII
जब शस्त्रों से परहेज तुम्हे, तो राम राम क्यों जपते होI
क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते होII
अंग्रेजों ने दौलत लूटी, मुगलों ने थी इज्जत लूटी I
दौलत लूटी, इज्जत लूटी, क्या खुद्दारी भी लूट लिया,
गिद्धों ने माँ को नोंच लिया, तुम शांति शांति को जपते होI
इस भगत सुभाष की धरती पर, क्यों नामर्दों से रहते हो?
क्या जंग लगी तलवारों में जो इतने दुर्दिन सहते होII
हिन्दू हो, कुछ प्रतिकार करो, तुम भारत माँ के क्रंदन काI
यह समय नहीं है, शांति पाठ और गाँधी के अभिनन्दन काII
यह समय है शस्त्र उठाने का, गद्दारों को समझाने का,
देश में ही छुपे शत्रु को, फिर शिव तांडव दिखलानेकाII
यह समय है हर एक हिन्दू के, राणा प्रताप बन जाने काI
इस हिन्दुस्थान की धरती पर, फिर भगवा ध्वज फहराने काII..
जब शस्त्रों से परहेज तुम्हे, तो राम राम क्यों जपते होI
क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते होII
।। वन्देमातरम ।। ।। भारत माता की जय।।
मेरी जानकारी के अनुसार ये कविता आशुतोष नाथ तिवारी जी ने लिखी है॥कृपया उनका विवरण भी यहाँ दे ..यदि किसी कवि की कविता आप अपने ब्लग पर लिख रहे हैं तो कम से कम उसका नाम लिखना आवशक होता है ॥अब तक ब्लागजगत मे यही होता है ॥
ReplyDeleteसुंदर कविता प्रस्तुत करने के लिए आभार
जब हम अपने किसी लेख मे किसी कवि के कविता को लिखते है तो वहा उस कवि को उद्धृत करना चाहिए।
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