Monday, December 31, 2012

भाजपा जिन्दा भी है??


भाजपा जिन्दा भी है??
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जैसा की हम सबने असाद ओवैसी का वीडियो देखा, उसमें कही गई बातें इतनी हद तक दुखद है की वो लिखना भी मै उचित नहीं समझता, ये पूरा वीडियो अगर हम लोगों ने देखा तो क्या दिल्ली में बैठे भाजपा के शीर्ष नेता अन्धें हैं? जिस राम मंदिर के नाम पर तुम वोट मांगकर सत्ता पाना चाहते हो उसी भगवन राम के बारे में इसने कितनी गिरी हुई बात कही, जिश मोदीजी के नाम पर अगला चुनाव लड़ कर सत्ता पाना चाहते हो उस मोदीजी की तुलना कसाब से की इसने, और फिर भी भाजपा मौन है? किसी नेता का कोई बयान नहीं? संभल जाओ दिल्ली में बैठे भाजपा के ठेकेदारों अगर इसी तरह की राजनीती करते रहे तो १० वर्ष से विपक्ष में बैठे हो और कई वर्ष तक इसी तरह विपक्ष में ही बैठो गे, इस में मात्र तुम्हारी ही दुर्दशा नहीं है देश की जनता की भी दुर्दशा है, देश की जनता कोंग्रेस के चंगुल से निकलना चाहती है, और भाजपा से आशा लगाये बैठी है, उठो जागो जनता की नब्ज को पहचानो, नहीं तो जिस तरह गुजरात में कोंग्रेस ख़तम हुई उसी तरह तुम भी ख़तम हो जाओगे पुरे भारत मे से, वन्देमातरम

Via: जनार्दन मिश्रा भारतीय
भाजपा जिन्दा भी है??
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जैसा की हम सबने असाद ओवैसी का वीडियो देखा, उसमें कही गई बातें इतनी हद तक दुखद है की वो लिखना भी मै उचित नहीं समझता, ये पूरा वीडियो अगर हम लोगों ने देखा तो क्या दिल्ली में बैठे भाजपा के शीर्ष नेता अन्धें हैं? जिस राम मंदिर के नाम पर तुम वोट मांगकर सत्ता पाना चाहते हो उसी भगवन राम के बारे में इसने कितनी गिरी हुई बात कही, जिश मोदीजी के नाम पर अगला चुनाव लड़ कर सत्ता पाना चाहते हो उस मोदीजी की तुलना कसाब से की इसने, और फिर भी भाजपा मौन है? किसी नेता का कोई बयान नहीं? संभल जाओ दिल्ली में बैठे भाजपा के ठेकेदारों अगर इसी तरह की राजनीती करते रहे तो १० वर्ष से विपक्ष में बैठे हो और कई वर्ष तक इसी तरह विपक्ष में ही बैठो गे, इस में मात्र तुम्हारी ही दुर्दशा नहीं है देश की जनता की भी दुर्दशा है, देश की जनता कोंग्रेस के चंगुल से निकलना चाहती है, और भाजपा से आशा लगाये बैठी है, उठो जागो जनता की नब्ज को पहचानो, नहीं तो जिस तरह गुजरात में कोंग्रेस ख़तम हुई उसी तरह तुम भी ख़तम हो जाओगे पुरे भारत मे से, वन्देमातरम 

Via: @[100003168933270:2048:जनार्दन मिश्रा भारतीय]

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता

॥ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ॥

भारत में बलात्कारों की संख्या में पिछले 5 वर्षों में 20% की भयावह वृद्धि
हुई है जबकि '1953 से 2001' तक दुष्कर्म के मामलों में 873% की चौंका देने
वाली वृद्धि हुई है। क्या कारण है कि इतनी तेज़ी से ऐसे कुकृत्य बढ़ रहे हैं ??

प्रमुख कारण: "टीवी और सिनेमा के रूप में परोसी जा रही पश्चिमी सभ्यता और उसका
अंधानुकरण करते देश के युवा।"

जब हम अच्छे चरित्र देख कर अच्छे बन सकते है...बुरे चरित्र देख कर बुरे बन सकते है.


हम सन्नी लिओन को देख कर क्या बनेंगे...बताईये जरा ??? 

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सोचिए हम किस शर्मनाक सभ्यता का अनुसरण कर रहे हैं जहां नारी सिर्फ भोग की
वस्तु है और उससे भी शर्मनाक बात ये है की हम उस भोगवादी सभ्यता के पक्ष में
कुतर्क देकर उसे सही साबित करने की कोशिश भी करते हैं।
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॥ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ॥









तेरी नजर में खोट है , मेरे कपडो मे नहि


Sunday, December 30, 2012

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलगुला हमारा |

बुड्ढे कुंवारियों से नैना लड़ा रहे हैं,
मकबूल माधुरी की पेंटिंग बना रहे हैं |
ऊपर उगी सफेदी भीतर दबा अंगारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तांहमारा |

सत्ता के सिंह बकरी की घास खा रहे हैं,
गांधी की लंगोटी का बैनर बना रहे हैं |
चर-चर के खा रहे हैं चरखे का हर किनारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |

नारी निकेतन उसके ही बल पे चल रहे हैं,
हर इक गली में छै छै बच्चे उछल रहे हैं |
जिसको समझ रहा है सारा शहर कुंवारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |

दंगा कराने वाले गंगा नहा रहे हैं,
चप्पल चुराने वाले मंदिर में जा रहे हैं |
थाने में बंट रहा है चोरी का माल सारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |

साहब के संग सेक्रेटरी पिकनिक मना रही हैं,
बीवी जी ड्राइवर संग डिस्को में जा रही हैं |
हसबैण्ड से भी ज्यादा मैडम को टॉमी प्यारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |

जो मर्द हैं वो घर में करते हैं मौज देखो,
लालू के घर लगी है बच्चों की फौज देखो |
परिवार नियोजन का किन्नर लगाएं नारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |

है छूट लूटने की ए देश लूट खाओ,
लेने में पकड़ जाओ तो देकर के छूट जाओ |
चाहे जहाँ पे थूको, खुलकर बहाओ धारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा |

कोठे में जो पड़े थे, कोठी में रह रहे हैं,
खुद को शिखंडी सिंह की औलाद कह रहे हैं |
जनता के वास्ते तो मुश्किल है ईंट गारा,
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा | 

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।


सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया (Congress MP) ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

"मोमबत्ती नहीं, मशाल उठाओ !!"

Saturday, December 29, 2012

गीता में प्रभु अर्जुन से कहते हैं कि धर्म का आचरण उन्हीं लोगों के साथ किया जाता है जो धर्म का पालन करे , उसके साथ नहीं जो धर्म को मानता ही नहीं है ,ऐसी ही गलती बहुत सालों से हिंदुओं ने की जिसके कारण उनका लगभग सब कुछ चला गया क्यूंकी उनके शत्रु ऐसे थे जो उनके धर्म और उसके नियम को मानते ही नहीं थे , ऐसे में उन अधर्मियों के साथ धर्म का पालन करना मूर्खता ही है !

अगर हिन्दू ही अपने धर्म ग्रन्थों में काही गई बात को नहीं समझेंगे तो कौन उन्हें बचा सकता है !
गीता में प्रभु अर्जुन से कहते हैं कि धर्म का आचरण उन्हीं लोगों के साथ किया जाता है जो धर्म का पालन करे , उसके साथ नहीं जो धर्म को मानता ही नहीं है ,ऐसी ही गलती बहुत सालों से हिंदुओं ने की जिसके कारण उनका लगभग सब कुछ चला गया क्यूंकी उनके शत्रु ऐसे थे जो उनके धर्म और उसके नियम को मानते ही नहीं थे , ऐसे में उन अधर्मियों के साथ धर्म का पालन करना मूर्खता ही है !
अगर हिन्दू ही अपने धर्म ग्रन्थों में काही गई बात को नहीं समझेंगे तो कौन उन्हें बचा सकता है !

जिस भारत मे कभी श्रवण कुमार ,श्री राम जैसे युवाओ ने जन्म लिया अचानक उस भारत को क्या हो गया आतंकवादी हत्यारे और राक्षस इस देश मे पैदा होने लग गए ...........................
तो उसका कारण है युवाओ को दुष्प्रभवित करने वाली फिंल्मे जैसे की राजा हरिशचन्द्र का नाटक

देखकर कोई महात्मा बन जाता है वैसे ही कोई सनी लीओन को देखकर समूहिक बलात्कारी बन जाता है

कोई ज्ञानी जामवंत बनके युवा की शक्ति को जागृत कर उसे महान बलवान वीर हनुमान बना देता है तो कोई महेश भट्ट जैसा "टूच्छा व्यक्ति "अच्छे भले करोड़ो युवाओ को चोर और उचक्का और यौन हिंसक बना देता है ..............................

भारत मे देश भक्ति की फिल्मे बनाई जाये तो युवा अपने देश की रक्षा के लिए आगे आएगे
पर अगर भारत मे हर फिल्म ही यौन और कामुकता को बड़ाएगी तो फिर तो देश का सवा सत्यानाश हो जाएगा हमारा किसी भी फिल्म डाइरेक्टर या निर्माता से कोई निजी बैर नहीं है लेकिन वो भारत के युवाओ को पश्चिमी अज्ञान का आदि बनाएगे तो हम उनके सबसे बड़े विरोधी है और रहेगे ................................................................
जैसा चित्र पट आज भारत मे दिखाया जा रहा है उसकी उत्पत्ति और उसके दुष्परिणाम पर एक नजर डालिये ------------------------------नेशनल क्राइम विक्टिमाइजेशन सर्वे के अनुसार -------अमेरिका मे सन 2002 मे कुल 16,86,600,बड़े गुनाह हुए ।
जिसमे 10 लाख 36 हजार 400 गुनाह दर्ज किए गए ।

28000हजार 797 खून ,

2 लाख 1 हजार 581 बलात्कार

6लाख 33 हजार 543 लुटपाट ,

12 लाख 38 हजार 288 गंभीर मारकाट ,

44 लाख 63 हजार 593 साधारण मारकाट ,
इस प्रकार कुल 65 ,65 ,805 हिंसक अपराध हुए ।

वर्ष 2002 मे अमेरिका मे ------- 12 से 17 वर्ष की उम्र के लड़को ने 2 लाख 78 हजार अपराध किए

18 वर्ष से बड़ी उम्र के लड़को ने 1 लाख 81 अपराध किए ।

अज्ञात उम्र के लोगो ने 1 लाख 93 अपराध किए ।

सन 2002 मे अमेरिका मे राष्ट्रिय व्यय 1548 अरब डॉलर अर्थात 69 हजार 660 अरब रुपये के बराबर ।
सन 2001 मेकिए गए सर्वे के अनुसार अमेरिका मे 51 %शादिया तलाक मे बदल जाती है ।


16सितंबर , 1977 के ‘न्यूयार्क टाइम्स मे छपा था था:
“अमेरिकन पेनल कहती है की अमेरिका में दो करोड़ से अधिक लोगों को मानिसक चिकित्सा की आवश्यकता है |

”-आँकड़े बताते है की आज पाश्चात्य देशों में यौन सदाचार की कितनी दुर्गति हुई है ! इस दुर्गति के परिणाम स्वरूप वहाँ के निवासियों के व्यक्तिगत जीवन में रोग इतने बढ़ गये है कि भारत से 10 गुनी ज्यादा दवाइयाँ अमेरीका में खर्च होती है जबिक भारत की आबादी अमेरिका से तीन गुनी ज्यादा है | मानिसक रोग इतने बढ़े है कि हर दस अमेरिकन में से एक को मानिसक रोग होता है | दुवार्सनाएँ इतनी बढ़ी है कि हर छः सेकण्ड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख कन्याएँ विवाह के पूर्व ही गभर्वती हो जाती है | मुक्त सहचर्य (free sex) का हिमायती होने के कारण शादी के पहले वहाँ काहर व्यक्ति शारीरिक संबंध बनाने लगता है | इसी वजह से लगभग 65% शादिया तलाक में बदल जाती है |मनुष्य के लिए प्रकृति द्वारा निर्धारित किए गये संयम का उपहास करने के कारण प्रकृति ने उन लोगों को जातीय रोगों का शिकार बना रखा है | उनमें मुख्यतः एड्स (AIDS) की बीमारी दिन दूनी रात चौगुनी फैलती जा रही है | वहाँ के पारिवारिक व सामाजिक जीवन में बोध, कलह, असंतोष, संताप, उच्चश्रखला उड़ंदता संताप ,शत्रुता का महा भयानक वातावरण छा गया है |विश्व कि की लगभग 4% जनसंख्या अमेरिका में है | उसके उपभोग के लिए विश्व की लगभग 40% साधन-साममी (जैसे कि कार, टी वी, वातानुकूलित मकान आदि ) मौजूद है फिर भी वहाँ अपराधवृत्ति इतनी बढ़ी है की हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, हर लाख व्यक्तियों में से 425 व्यक्ति कारागार में सजा भोग रहे है

अब आप खुद सोचिए कि हम किस तरह का डेवलोपमेंट चाहते है सवा सत्यानाशी या भारतीय पद्धति से किया गया स्वदेशी और सर्वोदयी विकास जिसमे न प्रकृति का हास हो न प्रकृति हमसे रुष्ट हो
तो आइये "श्री राजीव दीक्षित जैविक संस्थान" के साथ मिलकर स्वर्णिम भारत की ओर -आर्य जितेंद्र

Friday, December 28, 2012

**बेटी चाहे कुंवारी रह जाना पर…….**


**बेटी चाहे कुंवारी रह जाना पर…….**

“शादी में बेटे की कीमत मांगते भारी,
यह पिता नहीं हैं, ये हैं व्यापारी !
ऐसे मंगतो के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !
औरत की कोख से ही पैदा हुए हैं आप,
फिर भी भ्रूण हत्या का करते जघन्य अपराध,
ऐसे अपराधियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !
संसद में बैठ नंगा विडियो चलाते,
घोटालों के सिर पर अपनी तोंद बढाते,
ऐसे बदमाशों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !

बलात्कारी हैं निर्लज्जता की हद ये तोडें,
बस चले इनका तो माँ-बहन को न छोडें,
ऐसे बलात्कारियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !

नशे में डूब करते जिन्दगी बरबाद,
न अपनो की शर्म न दूजों का लिहाज्,
ऐसे नशेडियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !


संत महात्मा बने फिरते, बडा तिलक लगाते,
गला उनका ही काटें जिन्हें गले लगाते,
ऐसे पापियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !”

**बेटी चाहे कुंवारी रह जाना पर…….**

:- श्री अशोक चक्रधर की एक गंभीर हास्य कविता जिसे पढकर एक लानत सी महसूस हुई अपने भारतीय होने पर उसे आप लोगो से साझा कर रही हूँ:

“शादी में बेटे की कीमत मांगते भारी,
यह पिता नहीं हैं, ये हैं व्यापारी !
ऐसे मंगतो के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !
औरत की कोख से ही पैदा हुए हैं आप,
फिर भी भ्रूण हत्या का करते जघन्य अपराध,
ऐसे अपराधियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !
संसद में बैठ नंगा विडियो चलाते,
घोटालों के सिर पर अपनी तोंद बढाते,
ऐसे बदमाशों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !

बलात्कारी हैं निर्लज्जता की हद ये तोडें,
बस चले इनका तो माँ-बहन को न छोडें,
ऐसे बलात्कारियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !

नशे में डूब करते जिन्दगी बरबाद,
न अपनो की शर्म न दूजों का लिहाज्,
ऐसे नशेडियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !


संत महात्मा बने फिरते, बडा तिलक लगाते,
गला उनका ही काटें जिन्हें गले लगाते,
ऐसे पापियों के घर मत जाना, चाहे कुंवारी रह जाना !”

Thursday, December 27, 2012

चाणक्य


मित्रों,
भारत को महान देश कहा जाता है लेकिन इस महान देश में आपको बेवकूफी के कुछ ऐसे उदहारण देखने को मिलेंगे जो दुनिया के किसी देश में नहीं हैं...क्या कभी सुना है की किसी देश के लोग उन लोगों को सम्मान के साथ पुकारते हों जिन्होंने उनपर आक्रमण किया,उनकी बहु बेटियों का निर्ममता से बलात्कार किया और जबरन उनके पूर्वजों का धर्म परिवर्तन कराया..नहीं न लेकिन भारत में तो ये आम बात है
जी हाँ हम मुग़ल शासकों की ही बात कर रहे हैं
कौन थे मुग़ल??क्या किया था उन्होंने भारतवासियों के साथ??क्या वे सम्मान के लायक हैं??
दोस्तों इस से बड़ी बेशर्मी की बात नहीं हो सकती हमारे लिए की हम उन लोगों को सम्मान का दर्जा दें जिन्होंने न सिर्फ भारत की संस्कृति को नष्ट किया बल्कि असहनीय यातनाएं देकर हमारे पूर्वजों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया...
आखिर क्या कारण है की हमारे हिन्दू भाई इन मुग़लों को इतनी इज्ज़त देते हैं??इसमें सबसे मुख्य कारण है हमारे इतहास को तोड़ मरोड़ कर हमारे सामने पेश किया जाना.९९% हिन्दू ये समझते हैं की मुग़ल भी हमारे महान क्रांतिकारियों में से ही एक हैं लेकिन ये उन महान क्रांतिकारियों का अपमान है जो हम उनकी तुलना इन नीच अधर्मियों के साथ करें...जहां एक तरफ हमारे शूरवीरों ने अपने बलिदान से हमें इन क्रूर शासकों से आज़ादी दिलाई वहीँ इन मुगलों ने बाहर से आकर हमारे धर्म,हमारे मंदिर हमारी संस्कृति को इतना नुक्सान पहुंचाया की उसका परिणाम हम आज भी झेल रहे हैं.
दूसरा मुख्य कारण है हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्री जिन्होंने "मुग़ल ऐ आज़म" और "टीपू सुलतान" नाम की फिल्मे बना कर बची खुची संस्कृति को भी नष्ट कर दिया...इन फिल्मों में उन्हें शूरवीर बताया गया जबकि सत्य इसके बिलकुल विपरीत है.
आज हालात ऐसे हैं की अगर किसीको सही इतहास पढ़ाने जाओ तो कहता है नहीं नहीं ये सब गलत है जो फिल्म में है वही सत्य है...इस कदर हमारे भोले भाले भारतवासियों के दिमाग इस जहर को भर दिया गया है...
मेरी आपसे केवल यही विनंती है की अगर आपके दिलों थोडा सा भी सम्मान महाराज शिवाजी और रानी लक्ष्मीबाई जैसे हमारे महान पूर्वजों के लिए बचा है तो आज से प्रतिज्ञा लें की इस जूठे इतहास को अब नहीं मानेगे..और न ही औरों को मानने देंगे..
बाबर,अकबर और टीपू सुल्तान की असलियत को जानने के लिए इस लिंक पर जाएँ,एक बार इसे पढ़ लेने के बाद आपके सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे..
http://agniveer.com/babri-masjid-hi/

http://agniveer.com/akbar-great-hi/

http://agniveer.com/tipu-sultan/



गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा क्या चाहिए तुझे?
बहन या भाई..!!
बेटी बोली भाई !!
माँ: किसके जैसा?
बेटी: रावण सा....!
माँ: क्या बकती है?
पिता ने धमकाया, माँ ने घूरा, गाली देती है ??
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्यवंश और प्राण लुटा देने
वाला,,
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी स्पर्श न करने
वाला रावण जैसा भाई ही तो हर
लड़की को चाहिए आज,
माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था...

Wednesday, December 26, 2012

पुनर्जन्म पर इस्लाम के विचार


पुनर्जन्म पर इस्लाम के विचार

यद्यपि कुरान और हदीसों में
आत्मा द्वारा कर्मों के फल भोगने ,और आत्मा के
अमर होने के बारे में जोभी लिखा है ,वह भारतीय
दर्शन से पूरी तरह मिलता जुलता है .लेकिन
आत्मा के पुनर्जन्म के बारे में केवल संकेत ही दिए गए
हैं .और न भारतीयों की तरह मुसलमानों ने पुनर्जन्म
के बारे में कोई खोज की है .क्योंकि खुद अल्लाह ने
मुसलमानों की अक्ल पर परदा डाल रखा है .
"जब भी तुम कुरान पढ़ना चाहते हो ,हम तुम्हारे
और कुरान के बीच में एक परदा डाल देते हैं ,जो तुम्हें
कुछ भी समझने से रोक देता है "
सूरा -बनी इस्रायेल 17 :45
मुसलमानों का अध्यात्म और आत्मा के बारे में ज्ञान
बहुत ही कम है ,वह हमेशा जिहाद में लगे रहते
थे .और यदि कोई आत्मज्ञान के बारे में प्रयत्न
भी करता था तो ,अल्ल्लाह उनकी अक्ल पर
पर्दा डाल देता था .इसीलिए मुसलमान आत्मा के
पुनर्जन्म के बारे ने बहुत कम जानते है .इस्लाम में
पुनर्जन्म (Rebirth ) को " ﺗﻨﺎﺳُﺦतनासुख
"कहा जाता है .इस्लाम के कई विद्वान् पुनर्जन्म के
सिद्धांत को मानते थे .उनमे एक महान सूफी संत
" ﻣﻮﻻﻧﺎ ﺟﻼﻝ ﺍﻟﺪّﻳﻦ ﺭﻭﻣﻲ
ﺑﻠﺨﻲमौलाना जलालुद्दीन रूमी बल्खी "ने
अपनी "मसनवी "में आत्मा के पुनर्जन्म के बारे में
जो लिखा है ,वह सौ प्रतिशत भगवद गीता के
सिद्धांतों से मिलता है .यद्यपि इसका कोई
पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता है
कि मौलाना रूमी कभी भारत में आये थे .लेकिन
उनकी किताब " ﻣﺜﻨﻮﻱमसनवी "इस्लाम जगत में
इतनी प्रसिद्ध और प्रमाणिक मानी जाती है
कि उसे दूसरी कुरान का दर्जा प्राप्त है .और
मसनवी के बारे में कहा जाता है कि
"ईं कुराने पाक हस्त दर ज़ुबाने फारसी ﺍﯾﮟ ﻗﺮﺍﻥِِ
ﭘﺎﮎ ﮨﺴﺖ ﺩﺭ ﺯﺑﺎﻥ ﻓﺎﺭﺳﯽ"अर्थात यह पवित्र
कुरान है जो फारसी भाषा में है .मसनवी में
लिखा है -
"तू अजां रोज़े कि दर हस्त आमदी
आतिश आब ओ ख़ाक ओ बादे बदी
ईं बकाया बर फनाये दीद ई
बर फनाए जिस्म चुन चस्पीद ई
हम चूँ सब्ज़ा बारहा रोईद अम
हफ्त सद हफ्ताद क़ालिब दीद अम "
अर्थात आज जो भी तेरा शरीर है ,वह
अग्नि ,जल ,पृथ्वी ,और वायु से बना हुआ है .और
किसी पिछले शरीर के नष्ट होने पर तुझे यह शरीर
मिला है .इसलिए इस शरीर से इतना मोह
क्यों करता है .मैं तो एक पौधे की तरह कई बार
उगता आया हुआ हूँ ,यहाँ तक मैंने सात सौ सत्तर
जन्म देख लिए है .
"बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानी तव चार्जुन
"गीता 4 :5
मेरा उद्देश्य इस्लाम
को सही ठहराना नहीं है ,बल्कि भारतीय
मनीषियों ने आत्मा के पुनर्जन्म के बारे में
जो भी सत्य प्रतिपादित किया है उसे
सही साबित करना है .जिसे आज भी कई वैज्ञानिक
सही मानाने लगे हैं .हर साल हरेक देश और हरेक
धर्म के लोगों में पुनर्जन्म के प्रमाण मिल रहे
हैं .इसके बारे में एक किताब "Born Again
"भी छप चुकी है .इसमे ऐसे कई उदहारण दिए गए
हैं ,जो शत प्रतिशत सही निकले हैं .चाहे मुसलमान
कुछ भी कहें .पुनर्जन्म एक अटल सत्य है .मुसलमान
इसका सिर्फ इसलिए विरोध करते हैं ,क्योंकि यह
सिद्धांत भारत के सभी धर्मों में मान्य है .और
मुसलमान हर भारतीय मान्यता के शत्रु है .
लेकिन जब हिन्दुओं को गुमराह करके उनको मुसलमान
बनाने बात आती है ,तो मुहम्मद जैसे
अत्याचारी को ,भगवान बुद्ध (मैत्रेय )का अवतार
बता देते हैं या कभी मुहम्मद को कल्कि और अंतिम
अवतार कह देते है .फिर भी यदि मुसलमानों ने
हमारे धर्मों से कुछ चुराकर अपने धर्म में शामिल
कर लिया है ,तो इस्लाम को सच्चा धर्म
नहीं नहीं कहा जा सकता है .फिर भी मुसलमान
अपने मतलब के लिए मुहम्मद
को किसी का भी अवतार बता देते हैं
यदि मुसलमान मुहमद को कल्कि का अवतार कहते
हैं ,तो वराह को मुहम्मद का अवतार
क्यों नहीं मान सकते ?

Monday, December 24, 2012

क्या नारी सिर्फ भोग की वस्तु है ?


======= क्या नारी सिर्फ भोग की वस्तु है ?=====
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जब वोडाफोन के एक विज्ञापन में दो पैसो मे लड़की पटाने की बात की जाती है तब कौन ताली बजाता है?

हर विज्ञापन ने अध्-नंगी नारी दिखा कर ये विज्ञापन एजेंसिया / कम्पनियाँ क्या सन्देश देना चाहते है इस पर कितने चेनल बहस करेंगे ? 

पेन्टी हो या पेन्ट हो, कॉलगेट या पेप्सोडेंट हो, साबुन या डिटरजेण्ट हो , कोई भी विज्ञापन हो, सब में ये छरहरे बदन वाली छोरियो के अधनंगे बदन को परोसना क्या नारीत्व के साथ बलात्कार नहीं है?

फिल्म को चलाने के लिए आईटम सॉन्ग के नाम पर लड़कियो को जिस तरह मटकवाया जाता है या यू कहे लगभग आधा नंगा करके उसके अंग प्रत्यंग को फोकस के साथ दिखाया जाता है वो स्त्रीयत्व के साथ बलात्कार करना नहीं है क्या?

पत्रिकाए हो या अखबार सबमे आधी नंगी लड़कियो के फोटो किसके लिए और क्या सिखाने के लिए भरपूर मात्र मे छापे जाते है? ये स्त्रीयत्व का बलात्कार नहीं है क्या?

दिन रात , टीवी हो या पेपर , फिल्मे हो या सीरियल, लगातार स्त्रीयत्व का बलात्कार होते देखने वाले, और उस पर खुश होने वाले, उस का समर्थन करने वाले क्या बलात्कारी नहीं है ?

संस्कृति के साथ , मर्यादाओ के साथ, संस्कारो के साथ, लज्जा के साथ जो ये सब किया जा रहा है वो बलात्कार नहीं है क्या? निरंतर हो रहे नारीत्व के बलात्कार के समर्थको को नारी के बलात्कार पर शर्म आना उसी तरह है जैसे मांस खाने वाला , लहसुन प्याज पर नाक सिकोडे

जिस देश में "आजा तेरी _ मारू , तेरे सर से _ _ का भूत उतारू" जैसा गाना गाने वाला हनीसिंह , सीरियल किसर कहे जाना वाला इमरान हाशमी, और इसी तरह का नंगा नाच फैलाने वाले भांड युवाओ के " आइडल" बन रहे हो वहा बलात्कार और छेडछाड़ की घटनाए नहीं तो और क्या बढ़ेगा?

कुल मिलाकर मेरे कहने का अर्थ ये है भाई कि जब हम स्त्रीयत्व का सम्मान करना सीखेंगे तभी हम नारी का सम्मान करना सीख पाएंगे। ...... जय श्री राम .........जय माता सीता

Saturday, December 22, 2012

फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोग भी धयान दें


फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोग भी धयान दें 

यह आपकी की ही रचना का परिणाम है जिसका सीधा -सीधा प्रभाव इस समाज में बलात्कार जैसे घिनॊने अपराध के रूप में सामने है जिसके काफी हद तक आप सभी दोषी हैं जिन्होंने एक बुराई को मन में अनयंत्रित किया
*********************************************************
इस समाज में अकेले तुम ही तो नहीं हो और भी तो रहते है फिर क्यों तुमने ऐसी मानसिकता अपनाई जिससे समाज आज भ्रमित (गुमराह) होता जा रहा हैं इससे तुम्हे क्यों नहीं लेना देना क्या तुम इस समाज से बाहर हो जवाब दो अगर साहस है तो ……….

शर्लिन चोपड़ा, राखी सावंत, मल्लिका शेरावत, विपाशा बसु, केटरीना कैफ, मलाइका अरोड़ा जैसी ढेरों सिने तारिफिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोग भी धयान दें -----यह आपकी की ही रचना का परिणाम है जिसका सीधा -सीधा प्रभाव इस समाज में बलात्कार जैसे घिनॊने अपराध के रूप में सामने है जिससे मुकर नहीं सकतेकाओं तथा माडलों अगर इतनी ही चाह है कपडे उतरने की तो क्यों नहीं अपने समाज तथा गलियों में जा कर खुले में कपडे उतरती, आप में इतना साहस कभी नहीं हैं क्योंकि तुम समाजिक दबाव को पहचानते हो लेकिन फिर मंच पर ही क्यों कम से कम कपड़ों में अभद्र फिल्मिंग करवाती हो l केवल शोहरत पाने के लिए ही नहीं अपितु असीमित पैसा कमाने के लिए ही अपने कपडे कम करते जा रहे हो l मुझे तो समझ नहीं आता कैसी भूख है तुम्हारी !

सेक्सी कहलवाना बेशक तुम्हे अच्छा लगे लेकिन इसके साथ जुड़े सत्यो को भी स्वीकारने का दम रखे कि इसके साथ तुम्हारा मानसिक शारीरिक शोषण भी होता हैं l तुम तो झट से कह दोगे कि तुम्हारी सोच है हमारा क्या कसूर............ l लेकिन जरा समाजिक पक्ष की और भी ध्यान रखे की समाज तो वहीँ करता है जो देखता हैं या फिर देखता आया हैं l आप समाज को छोड़ों क्या तुम उम्मीद करोगे कि तुम्हारी बेटियां भी ऐसी ही मिसाल भविष्य में कायम करे जो कि समय के गतिमान चक्र में छिप जाए, नहीं न ............ फिर तुम क्यों और क्यों ऐसी अंधी दौड़ में शामिल हो चुकी हो जिसका कोई अंत ना हों l चलों स्त्री वर्ग को कुछ हद तक पुरुष वर्ग ने शारीरिक शोषण के लिए मजबूर किया लेकिन ये कैसी मज़बूरी जिसमे ना तो वैश्यावृत्ति दिखती है और ना ही कोई उद्द्येश्य पूर्ण अभिलाषा l भारत में रह रही हों जहाँ प्यार तो स्वतंत्र नहीं फिर तुम ये क्या कर रही हों पूछिए अपने आप से l मुझे तो लगता नहीं कि तुम्हारा कोई उद्द्येश्य हैं बेकार में उस होड़ में शामिल हो चुकी हो जिसके समाज पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ने स्वभाविक हैं नहीं यकीन हैं तो समाज कि मानसिकता का खुद अंदाजा लगा कर देख लें
इंसाफ ही करना है तो डा. किरण बेदी कि तरह मर्यादा शील कपड़ों में आकर निष्पक्ष इंसाफ करो l जोड़ने कि कोशिश करो ना कि समाजिक विघटन की ............... l

कार्यवाहक शासन प्रणाली से अपील है की देश में ऐसी मानसिकताओं को मौका ही ना दे ताकि ऐसा करने की सोच ही ना सके, ऐसी मानसिकताए अध्यात्मिक सोच का विघटन करने की पूर्ण दोषी हैं जोकि भारतीयता का आधार हैं इसलिए Internet की Website (अशलीलता को बढ़ावा देती ) को तुरत प्रभाव बैन कर देना चाहिए l विदेशी सोच तो शुरू से ही नग्न थी और हैं लेकिन हमारा समाज तो द्रोपदी चीर हरण के इलावा ढका ही था l आँखे खोलिए कार्यवाहिका सरकारी कार्यप्रणाली ! बढ़ते बलात्कार और नाजायज औलादे इसी दूषित मानसिकताओं से फैले दोषों के परिणाम है ऐसे समाजिक अपराध को जन्म देती इन मानसिकताओं को तवज्जो ना देकर समाज को गुमराह होने से बचाए इनका क्या ........

A MESSAGE OF THINK AND RETHINK
मां केवल मंदिरों में नहीं वेश्यालयों में भी निवास करती है

Friday, December 21, 2012

भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित नहीं था



क्या आप जानते हैं कि..... संविधान निर्माताओं द्वारा भारत को एक "धर्मनिरपेक्ष राज्य" राज्य घोषित नहीं किया गया था...!

जी हाँ.. यह बिलकुल सत्य है.. और भारत के संविधान निर्माताओं द्वारा भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य कतई भी घोषित नहीं किया गया था....

बल्कि..... ""धर्मनिरपेक्ष"" शब्द भारतीय संविधान में उसके काफी समय बाद ... यानि कि संविधान में 42 वां संशोधन कर सन 1976 में... स्वर्गीय इंदिरा गाँधी द्वारा ... भारतीय बहुसंख्यक जनता पर जबरदस्ती थोपा गया है.... ताकि समय आने पर अपने वोट बैंक के लिए इस शब्द का मनमाने तरीके से इस्तेमाल किया जा सके..... जैसे कि .. आज किया भी जा रहा है....!

धर्मनिरपेक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है...... धर्म + निरपेक्ष .... अर्थात वैसा राज्य .... जो किसी खास धर्म या संप्रदाय को प्रोत्साहित नहीं करेगा.... और धर्म के मामले में वो तथष्ठ रहेगा....!

परन्तु... आज कुछ सत्तालोपुप लोगों ने धर्मनिरपेक्षता का मतलब... मुल्ला तुष्टिकरण समझाने में लगे रहते हैं और..... बहुत सारे जयचंद किस्म के दोगले बिना जाने-समझे उनकी हाँ में हाँ मिलाते रहते हैं... !


मुस्लिमों को 4 .50 % का आरक्षण... हज में सब्सिडी... मदरसों को अनुदान.... इत्यादि, इनकी दोगली नीति का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं..!

और सिर्फ इतना ही नहीं....
विश्व मे पहली बार इस देश मे सांप्रदायिक बजट आया....2008-09 के बजट मे मुस्लिम आबादी वाले 90 जिलों और 338 नगरों/कस्बों के लिए 3780 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा हुई केन्द्रीय वित्तमंत्री ने मदरसा शिक्षा के लिए 80 करोड़ व राष्ट्रीय अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के लिए 75 करोड़ रुपये के साथ सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया…..जनवरी 2008 में ही आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अल्पसंख्यक संप्रदाय के छात्रों के लिए 1868 करोड़ रुपये की घोषणा की गयी .


एक तरफ विस्थापित कश्मीरी पंडित ... टेंटों में जानवरों से भी बदतर.. और दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं... पिग्गिस्तान में हिन्दुओं पर जी भर कर जुल्म किये जा रहे हैं ... वहीँ हमारे हिंदुस्तान में सत्ता और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए सेकुलर नामक जीव अपनी माँ, बहनों और बेटियों को मुल्लों के बिस्तर पर सुलाने की ठान रखी है...!

जागो हिन्दुओं... नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब.... 15 % हिन्दू लड़कियों को भी मुल्लों से शादी करने के लिए अनिवार्य बना दिया जाएगा...!



अगर आप मेरे से सहमत है तो मेरे साथ आवाज़ मिलाये और अगर मेरे विरुद्ध तो विरोध में बोले पर मौन न रहे।क्योंकि मौन रहना उचित नहीं यही तो एक कमी है हम मौन रहकर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं करते और हमारा शत्रु प्रबल हो जाता है और हमारे सगे कमजोर।मौन न रहे अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे।

जय हिन्द जय भारत जय हिंदुत्व जय महाकाल

आरक्षण बिल


२०१४ में लोकसभा चनाव है. मायावती ने आरक्षण बिल पास करा लिया है . हमें आरक्षण का समर्थन करना चाहिए...

लेकिन शायद फिर २०१९ चुनाव से पहले मायावती या मुलायम कुछ इस प्रकार का बिल ले आये कि -

आपराध (बलात्कार / हत्या) की सजा  --
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जेनेरल वर्ग - ७ साल
ओ बी सी  - २ साल
एस सी (SC/ST) - ६ माह

और राजनेता  - पहला बलात्कार माफ

क्या है आपकी राय...

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भाजपा की नपुंसकता से आहात हू मै....


भाजपा की नपुंसकता से आहात हू मै....

मित्रो कुछ तो कारण है दिग्भर्मित सिंह के अहंकार के पीछे! 
उसकी अट्टहास करती हंसी के पीछे! 
संघ के ऊपर इतने आक्रामक होने के पीछे!
हिन्दू समाज की बखिया उधेड़ने के पीछे! 
पता नहीं क्यूँ बीजेपी के मध्यप्रदेश की सरकार  इस दिग्भर्मित सिंह के कुकर्मो के फाइल नहीं खोलती और इसके साजिशो और घोटालो को जनता के सामने नहीं लाती. कांग्रेस का बड़ा सीधा सा तरीका है आक्रमण करने वाला जो भी विरोधी व्यक्ति मुद्दे उठाता है उस पर व्यक्तिगत हमले कर दो. कुछ में याद दिलाता हूँ.

श्री अटल बिहारी वाजपयी पर कांग्रेस के हमले - अटल जी बताये की ब्रहमचारी है या नहीं, कारगिल युद्ध के बाद यात्रा पर गए उनकी धोती के ऊपर छींटाकशी. उनके भतीजे के ऊपर, उनके पारिवारिक सदस्य रंजन भटचार्ये पर.
श्री अडवाणी जी पर कांग्रेस के हमले -  उनकी पुत्रवधू और परिवार पर निजी हमले, हवाला में उनका जबरदस्ती नाम डलवाना और आरोपित करना, उनके कराची में बिताये समय पर हमला करना.
सुश्री उमा भारती पर कांग्रेस का हमला - गोंविन्दचार्ये जी से उनके संबंधो पर हमला, उनके भाई स्वामी लोधी पर हमला.
श्री कलयाण सिंह जी पर हमला - उनके और कुसुम राय के निजी संबंधो पर हमला, उनके पुत्र पर हमला.
श्रीमती वसुंधरा राजे पर व्यक्तिगत हमला - उनके और उनके पति के निजी संबंधो को सार्वजानिक करना, धोलपुर राजघराने के निजी चीजो पर हमला.
हिन्दू वीर श्री नरेंद्र भाई मोदी पर हमला - उनके किसी भी औरत से संबध स्थापित करने के घिनौनी साजिश रचना, उनके और पंड्या जी के निजी जीवन में से राजनीती रचना.
श्री संजय जोशी जी के ऊपर हमला - उनके व्यक्तिगत संबधो की सीडी का भ्रमजाल फैलाना.
श्रीमती सुषमा स्वराज पर व्यक्तिगत हमला - उनके राजघाट पर नाचने पर निहाहित ही गैरजरूरी और कमर के नीचे वार करना (जिस शमशान घाट पर नाचने पर सोनिया गाँधी का चम्पू दिग्भर्मित सिंह घडीयालू आंसू बहा रहा है वो बताये की हुमाय के मकबरे पर कांग्रेस कवाल्लिया और भरतनाट्यम के नृत्ये क्यूँ आयोजित करता है, तथाकथित शाहजहाँ और मुमताज के शमशान घाट पर रंगीनिया करने की इजाजत क्यों कांग्रेस देती है). 
पूज्निये श्री राम देव बाबा पर कोंग्रेस का व्यक्तिगत हमला - उनके धन के स्रोतों पर हमला  (क्या दिल्ली जाने से पहेले कांग्रेस को उनके धन के स्रोतों की जानकारी लेने के आवश्यकता नहीं थी), उनके स्त्री के कपडे पहेने पर हमला, उनके योग शिक्षा सिखाने के तरीको पर हमला.
बाल कृषण आचार्य जी पर हमला - उनके नागरिकता पर सवाल (अभी तक कोई सवाल नहीं क्यूँ चार चार केन्द्रीय मंत्री एक गुंडे से मिल रहे है, क्यां केंद्रीय मंत्री से कोई भी मिल सकता है, क्या उसकी जानकारी लेना जरुरी नहीं है, अब कांग्रेस के उतराखंड अध्यक्ष के पास गोपनीय रिपोर्ट भाई आगे) उनके मूल पर हमला. दिग्विजय सिंह का हिजड़ा महासचिव असाम से कांग्रेस सांसद और लोटरी किंग मणि कुमार सुब्बा पर चुप क्यूँ है? उसके नेपाल में हत्या और क्राइम करने पर तो सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटिस लिया है.
मित्रो यह है कांग्रेस का चरित्र, इस व्यक्तिगत चरित्र पर हमले को उसने बनाया हुआ है अपनी ढाल, जब भी देश हित में कोई बात करो तो बस कांग्रेस सब कुछ भूल कर उस व्यक्ति के चरित्र पर हमला शुरू कर देती है, और वो व्यक्ति रक्षात्मक रुख अपनाने लगता है. और मुद्दे हो जाते है गोल. मित्रो इसको समझना होगा अन्यथा इस हिटलरशाही सरकार को इनके झूटे और स्वयं चरित्रहीन मंत्रियो और नेताओ के रहेते नहीं हटा पाओगे. 
मुझे बीजेपी का समझ नहीं आता की किसी भी राज्यपाल ने राजभवन को वेश्यवर्ती की जगह बनाई है क्या ? जो हैदराबाद के राजभवन में किया है. क्या बीजेपी इस मुद्दे को जनता के सामने रख पाई है. नहीं मित्रो! मुझे समझ नहीं आता यह राष्ट्रवादी शक्तिया व्यक्तिगत हमले का जवाब क्यूँ नहीं दे पाती. जरा सोचो की कोई बीजेपी वाला या संघ वाला इसी तरह के केस में फंस जाता तो क्या होता. जामीन आसमान एक कर दिया गया होता कोंग्रेस और उसकी मीडिया ने. 

क्यूँ कांग्रेस को आइना नहीं दिखा पाती बीजेपी, क्यूँ राहुल गाँधी के चरित्र को और उसकी मूर्खताओ को सामने नहीं रख पाती.
क्यूँ सोनिया गाँधी के बहरूपियेपन को जनता के सामने नहीं लाते? 
आज जिस अहंकार से दिग्भर्मित सिंह कांग्रेस का महासचिव बोल रहा है जिस दबंगता से मीडियाकर्मी को कांग्रेस मुख्यालय में लात घूंसे स्वयं मार रहा है वो घोर निन्दनिये और अलोंक्तान्त्रिक है. थू है महसचिव के ऐसे घटिया व्यवहार पर.
उसको बीजेपी सबक क्यूँ नहीं सिखाती?
क्यूँ मध्ये प्रदेश सरकार उसके घपलो को सामने नहीं लाती?
क्यूँ इस निर्लज व्यक्ति को इतनी छुट दे  रखी  है जो किसी की भी कभी भी पेंट उतार सकता है?
क्या इसकी मूर्खताओ और दुष्टताओ का कोई अंत नहीं है?
क्या इस खुले सांड को जनता में ऐसे ही छोड़े रखना है? 
क्यां संघ इस शख्स के सामने इतना बौना है की वो संघ को गालिया देता रहे और संघ सुनता रहे?
क्या कारण है संघ को यह शख्स इतनी गालिया दे रहा है और अट्टहास लगा रहा है?
क्यूँ बीजेपी वाले नहीं पूछते की अन्ना ने किस केन्द्रीय मंत्री पर  उसको मारने के लिए ३० लाख की सुपारी देने के संगीन आरोप लगाये है? कौन है वो मंत्री उसका नाम सामने लाया जाये जनता को पता तो चले १२० करोड़ के लोकतंत्र पर कौन गुंडा मंत्री बैठा है.
क्यूँ बीजेपी मीडिया के सामने आकर नहीं पूछती की अन्ना जी उस मंत्री का नाम सार्वजानिक करे?
क्या बीजेपी कर रही है? इस देश में ___ डी के और माँ बेहेन के गाली सरे आम पिक्चरो में दी जा  रही है. 
कहाँ मीडिया सो गई चार पैसे के आमिर खान अपनी गन्दी मानसिकता का प्रदर्शन कर रहा है और बहुत ही भद्दी गालिया दि जा रही है और आप उसको प्रेफ्क्शनईस्ट बता रहे हो? कल मेरा पांच  साल का बेटा इस गाने को सुन रहा था. अब क्यां समझाऊ पांच साल के को मैं?  शर्म है देश की दो पैसे की सरकार और उसके सहिओगियो पर. इतनी नंगाई और बेहाहाई पर. सुप्रीम कोर्ट को इन घटिया गानों पर संज्ञान लेना ही होगा. अब मैं अपने पांच साल के बेटो को इस गाने के बारे में क्या समजाऊ. कोई सरकार का कारिन्दा मुझे समझाएगा क्या?
असल में दस जनपथ में बैठी सोनिया गाँधी इस देश से उसकी संस्कृति छीनना चाहती. यह मुल्ला खान देश में इसी तरह की पिक्चर और संस्कृति फैला रहे है. खैर छोड़ो यार.
मुद्दे की बात यह है की क्यां बीजेपी या और कोई भी पार्टियों के पास इन अहंकारी, गुंडों, निर्लल्जो, झूटो, दम्बी, असंस्कारी, भ्रष्टाचारी, क्रूर कांग्रेसी नेताओ और मंत्रियो को सिखाने के लिए एक भी शख्स नहीं है.
आज संघ को चुप नहीं बैठना चाहिए और कांग्रेस और केंद्र सरकार से पूछना चाहिए की रामदेव में यदि मान लो एक बारी संघ शामिल भी है तो क्या पाप है? या तो सभी संघीयो को पकड़ कर सूली पर चढ़ा दो या फिर उन से भी सभ्यता से बात करो, यार कभी कभी तो कुछ भी समझ नहीं आता एक तरफ देशद्रोही और नक्सलवाद का आरोपी सरकार की समितियो में ससमान से मनोनीत किया जाता है. डंगरो और ढोरो के डाक्टर विनायक सेन को सर पर बैठाया जाता है. दूसरी और देशभक्तों का , संतो का चरित्रहनन किया जाता है. 

हर बार बार- बार इन हिन्दू संतो को ही अपराधी ठहराया जाता है चाहे वो आसाराम बापू हो, राम देव हो, शंकराचार्य हो. देशभक्त संघटन बजरंग दल हो, ऐ.बी.वी.पी. हो और भी कोई हो. दूसरी और यह गुंडा कांग्रेस का महासचिव अजमगड़ जा जा कर सिमी और अतंकवादियो की वाह वाही कर रहा है. शहीद इसंपेक्टर शर्मा जी को दोषी बात रहा है. अपने सर को आगे कर कर के मीडिया को बता रहा है की बाटला में गोली अतंकवादियो के कहाँ लगी. अरे भाडू दिग्गी शर्म कर यार.


मुझे पूछना है बीजेपी की टॉप लीडरशिप से की क्यां देश में हिन्दुओ और देशभक्त नागरिक एक कांग्रेसी सांड से एसे ही लज्जित होते रहे. जब देशभक्त कुछ करते है तो जेल में ठूस दिए जाते है तो आप अपनी तार्किक, बौधिक ताकत का इस्तेमाल कब करोगे?

देश सब कुछ सहन कर सकता है परन्तु देश की आत्मा से जो आज खिलवाड़ कर रहा है और रक्षाशी अट्टहास लगाये जा रहे है उसको कोई भी देशभक्त बर्दाश्त नहीं कर सकता. देश के हित में तत्परता से इसका विरोध करना होगा. कम से कम इस दिग्भर्मित सिंह के नाजायज कुतर्को का तो जवाब देना ही होगा. यह शख्स देश में घोर साम्प्रदायिकता फैला रहा है. देश का सुप्रीम कोर्ट और मनानिये राष्ट्रपति जी इसका तुरंत संज्ञान ले की क्यूँ कांग्रेस का गुंडा महासचिव दिग्विजय सिंह संघ, हिन्दू और संत समाज को गाली देने के लिए मुस्लिम मंच का इस्तेमाल क्यूँ कर रहा है?  और मेरा मुस्लिम समाज से भी निवेदन है की यह गुंडा महासचिव उनके मंचो का प्रयोग हिन्दुओ को गाली देने और संत सामाज का अपमान करने के लिए कर रहा है. इस से साम्प्रदायिकता नहीं फैलेगी तो क्या होगा? आपने कभी देखा है की किसी और देश में इसतरह की निर्लाजता और अहंकार की परकाष्ठा. यदि देश की लोकतान्त्रिक और प्रशासनिक शक्तिया इसका नोटिस नहीं लेती तो भविष्य में होने वाले देश के माहोल को ख़राब होने से शायद ही बचाया जा सके. 

और मित्रो ध्यान देने की बात है कांग्रेस बिहार की हार से बुरी तरह बौख्लागाई है उसे हर हालत में उप्र चुनाव में सफलता चाहिए ही है आखिर कांग्रेस के युवराज के राजनितिक कैरिअर का सवाल है. परन्तु क्या हमें देश में दिन के उजाले में किसी एक शख्स को देश का माहोल ख़राब करने की इजाजत देनी चाहिए.

बीजेपी को कार्य यश अपयश, क्रेडिट डिसक्रेडिट, सफल या असफल, दुःख या सुख के पचड़े में न पड़कर इन अट्टहास लगते रक्षाशो की पोल खोलनी ही पड़ेगी. 

उप्र मुख्यमंत्री मनानिये बहनजी को भी दिग्विजेय सिंह की देश में जहर फैलाने के इरादों का नोटिस लेना होगा. और बहनजी को भी जवाब देना होगा की क्यूँ वरुण गाँधी पर इतनी तत्परता दिखाई गई और दिग्विजय सिंह को क्यूँ अभी तक खुले सांड की तरह बहार छोड़ रखा है.


वैसो तो मित्रो हिन्दू शक्ति (देशभक्त) आज परास्त हालत में है परन्तु उसकी इस अवस्था पर श्रीमती सोनिया गाँधी के आदेश से कांग्रेस नेता और मंत्री उनके ऊपर जो अट्टहास लगा रहे है वो बहुत ही निंदनिया है.


कमाल यह है की कांग्रेस ने अन्ना के चरित्र पर लांछन लगाये, सी डी दिखाई, बाबा का अपमान किया. बाबा तो दिल्ली आ नहीं सकते परन्तु सरकारी संगरक्षण में कांग्रेसी मंत्री और नेता देश भर में घूम घूम कर गाली दे सकते है, मंत्री सरकारी मीडिया का दुरूपयोग कर झूट बोल सकते है पर देश में कोई भी कहीं पर भी लोकतान्त्रिक तरीके से प्रदर्शन नहीं कर सकते. और कांग्रेस ने अपने तरीके से मीडिया से "भ्रष्टाचार का मुद्दा तो गायब ही कर दिया" और मुद्दे बना दिए कांग्रेस ने - 
संघ और हिंदुत्व
बाबा और उसके कपडे
बाबा का उग्र हिंदुत्व
हंस रही होंगी १० जनपथ में विराजित देवी श्रीमती सोनिया गाँधी हम भारतीयों पर की देखो कैसे "काला धन लाते लाते यह हिन्दू देशभक्त आज अपनी ही रक्षा करते फिर रहे है" देवी हमने कभी भी आपको कमतर नहीं आँका जो लोग आपको मूक और शांत मानते है वो मूर्खो के संसार में रहेते है. आप तो चंद्रकांता संतति का कोई बहुत ही बड़ा करेक्टर हो जो की हिन्दुस्थान को अगले १०० साल में भी समझ नहीं आयेगा. वाकाई आपकी रणनीति और कूटनीति कमाल है और हिन्दुस्थान बेहाल है.

देश और उसके देशभक्त नागरिक आज वाकई बहुत आहात है. मेरे भी पास इसका उत्तर नहीं की किस मुहं से में "भगवा भारत को विश्वगुरु कहूँ" जो आज अपनी ही सनातन भूमि पर हत्यारी और गुंडी कांग्रेस सरकार से पस्त है.

एक अहसानफरामोश कौम


एक अहसानफरामोश कौम !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

एक कौम जो मिटटी का कर्ज चुकाना न जानती हो! एक कौम जो अपने ऊपर हुए उपकार का बदला उस पर उपकार करने वाले के घर को बर्बाद करके देती हो! एक कौम जो अपने ही निशां स्वं मिटाने में लगी हो! वो कोम जो देश के मालिको से देश को छिनने में लगी हो! एक कौम जो अहसानफरामोश हो उसका क्या?

 मेरे लिए मक्का और काबा उतने ही पवित्र है जितना की यरूशलम और वेटिकेन सिटी. मेरे लिए हर देश का स्वाभिमान और उसके नागरिक उतने ही पवित्र है जितना मैं खुद और मेरा अपना देश. परन्तु उस कौम का क्या जो मेरी ही थाली में खा खा कर उसमे छेंक करती हो!  क्या उस कौम का मैं आदर करू.!

ध्रुव सत्य है, की १९४७ का बटवारा इस बात पर ही हुआ था की हमे एक ऐसे काफ़िर के साथ नहीं रहेना जो हम से अलग है. जबकि सत्य यह है के आप उस घर में आक्रमणकारी बनकर, शरणार्थी बनकर आये थे आश्रय पाया या जबरदस्ती राज किया और फिर एक दिन आपने ही उनके साथ रहेने से इनकार कर दिया. उस देश के असली वारिसो की नसले बर्बाद की,  उसके घर को रक्तरंजित और खेत खलियान को लहू लूहान किया, 
उसके सभी पवित्र स्थानों (मंदिरों) को अपवित्र किया और अंत में उसी पर तोहमत मारते हुए एक बहुत ही उपजाऊ देश का हिस्सा धर्म के नाम पर मांग लिया. दे भी दिया गया ! उसने अपनी दोनों भुजाये काट कर धर्म की नफरत को रोकने की पूरी कोशिश करते हुए अपना गोश्त देकर आपकी यह मांग भी पूरी कर दी. जो देश बाँटने के बाद सीमा के उसपार नहीं जा सकते थे उनको इस भारत देश के वासियो ने आपको छोटा भाई और शरणार्थी मान कर सर आखों पर बैठाया और विशेष दर्जा भी दिया, अलाप्संख्यक का. हिन्दू अपनी माँ, बहिन की लुटी असिमिता को भी भूल गए, उसके वीर पुरखो, दसो गुरुओ के बलिदान को भी भूल गए. फिर भी इस देश में बचे इस असहानफरामोश कौम ने उसी के लहू से स्नान करना जारी रखा. वो जो लेलिया गया उसका तो जिक्र ही नहीं जो अभी है उसपर फिर से वोही धोंसपट्टी, मेरा लाल गोपाल अभी भी मस्जिदों में कैद है, राम लल्ला अभी भी पुलिस के सायें में है. बाबा विश्वनाथ अभी भी बंधक है. हर शहर और गाँव में अभी भी वो ही दुरभिसंधि जो आज से ६० साल पहेले थी. अभी भी उसकी गौ  माता का कलेजा चीर कर गोश्त को खाया और लहू को पीया जा रहा है. अभी भी हिन्दू लडकियों के साथ बलात्कार कर लव जिहाद किया जा रहा है. बाबा अमरनाथ पर जाना आज भी उतना ही कठिन जितना ६० साल पहेले जैसे औरंगजेब को जजिया दिया जाता है अब कश्मीर सकरार को. देश के हिन्दू को आज भी उतना अधिकार नहीं की वो अपनी माँ सरस्वती और दुर्गा के नंगे चित्रों पर विरोध दर्ज ही करा सके. आज भी गाजी और पीर पर ही अगरबत्ती जल रही है. आज भी मस्जिदों को ही संगरक्षण मिल रहा है.

आज आप धर्मनिरपेक्ष, मुसलमान और भारत सरकार हिन्दुओ के साथ न्याय करना चाहेंगी की नहीं? पकिस्तान और बंगलादेश से १९४७ में जो हिन्दू आया था वो अमूमन सक्षम था जिसका बंगलादेश और पकिस्तान के बड़े बड़े नगरो में बहुत ही अच्छा और बड़ा कारोबार था. जिसका नहीं था उसका तो वहीँ पर खतना कर दिया गया. और जो हिंदुस्तान आया उसने यहाँ आकर अपने दम पर हिंदुस्तान में अपना स्थान बनाया. परन्तु आपको फिर से इस देश ने बटवारा करने के इनाम के तौर पर अलाप्संख्यक का विशेष दर्जा दिया जो कालांतर में आपको सभी संसाधनों पर प्रथम स्थान पाने का हकदार बना गया. आज आपको हिन्दुस्तान में इतनी इज्जत और रुतबे के साथ रखा जा रहा है की पकिस्तान के मुसलमान के जीभ में पानी भर आता है और वो वहा से अपनी नौटंकी यहाँ आकर फिल्मो में, टीवी में और संगीत में पैसा कमा कमा कर जाते है. 
और आपने हिंदुस्तान के अपने शरण दाताओं को बदले में क्या दिया? 
यदि हिन्दुस्तान में एक भी इस कौम का सच्चा बच्चा है तो बताए की तुमने हिंदुस्तान के हिन्दुओ को क्या दिया ?
 ८०० साल तुमने उनकी असिमिता और भावनाओ से खेला, आज दो देश लेने के बाद भी बदले में उनको वापस क्या किया ?
इसको असाहन फरामोशी नहीं कहेंगे तो क्या कहंगे आप ? 


एक कुत्ता भी रोटी पाने पर अपने मालिक की वफादारी करती है. एक भैंस भी घास डालने पर दूध देती है. परन्तु एक यह कौम है जो दो दो देश लेने के बाद भी हमारे ही अन्न खाकर हमारे ही टुकडो पर पल कर हम ही से आजादी मांगती है. बड़ा ही क्षोभ होता है. सेना के जवानो को कश्मीर में पिटते मरते क्या एक भारतीय का खून न खौले? अरे तम्बुओ में रहे रहाए अपने घरो से हजारो किलोमीटर दूर अपने ही भूभाग पर 


"क्या चाहिए आजादी"


जैसे नारे सुनने पर क्या बीतती है एक हिन्दू मन पर! अरे मुसलमान होने के नाते तो ले ही चुके-
किताबे ले चुके, उनको जला चुके, मंदिर ले चुके, तबहा कर चुके, जमीं ले चुके, इज्जत ले चुके, आबरू ले चुके , मोहोल्ले ले लिए, माताए और बहिने छीन ली, रक्त पी चुके, दसो गुरु ले लिये, मुहं से निवाले ले लिये, अधिकार ले लिये, सत्ता ले ली और अब क्या ? 


परन्तु इतना लेने के बाद हमे क्या दिया तुमने ? 

१९४७ में निश्चय यह ही हो जाता की तुम सब को अफगानिस्तान में ही ठोक देते तो समझ भी कुछ आता. इस देश ने इतना कुछ दिया पर फिर भी मांग ही रहे हो. और आज आरक्षण भी मांग रहे हो. फिर से वोहीं नौटंकी जो बंटवारे से पहेले थी, मुस्लिम विश्विद्यालयो को अलप्संख्यक का दर्जा. भिखारी बनकर मांगते हो मिल जाने पर देश की इन्ही वासियो को काटते हो. क्या यह ही दस्तूर है दुनिया का ? और में बड़े दावे के साथ कहता हूँ की हम १०० करोड़ अपने शरीर पर आग लगा कर भस्म भी हो जाये तो तुम्हारा पेट नहीं भरेगा. परन्तु एक बात जो समझ नहीं आती की आपकी आत्मा नहीं कचोटती आपको की इस दाता हिन्दू कौम को भी कुछ वापस कर दे
क्या इस कौम की माँ भी अपने बच्चे को यह शिक्षा नहीं देती की जिस थाली में खा रहे हो उसमे नहीं थूकते.
क्या एक भी बाप ऐसा नहीं जा बचपन में अपने बच्चो को यह शिक्षा देता हो की इस राम और कृष्ण की भूमि पर शांति और यज्ञ का उपवन हिंदुस्तान इन हिन्दुओ का ही है.
क्या एक भी बेहेन बचपन में अपने भाई से खेल खेल  में नहीं कहती की भाई इतना सुन्दर देश तो फिर किस बात पर इनको (हिन्दुओ) हमारी नस्लों ने काफ़िर कहा और दो दो  देश छीन लिए. 
और अभी भी इस देश का आम नागरिक समानता की बात करता है. 
मित्रो वक्त की विडंबना नहीं तो क्या है की हम ८० करोड़ लोग ६० साल बाद भी समान नागरिकता की ही बात करते है अपने लिए कोई विशेष दर्जे की नहीं. जो स्वाभाविक है की किसी और को विशेष दर्जा मिल रहा है उसके बराबर आने ही तो आना चाहते है तभी तो हम ८० करोड़ हिन्दू सामान नागरिकता की बात करते है और अपने इस बचे - कुछे देश में अपने लिए ६० साल बाद भी सामान अवसर की सामान नागरिकता मांग रहे है. क्या एक बाप अपने बेटे से नहीं पूछता की इस कौम का, की जब ८० करोड़ लोग चीख चीख कर सामान नागरिक सहिंता की बात कर रहे है तो कहीं न कहीं हमे विशेष दर्जा (अलप्संख्यक का) दिया जा रहा है और हम इन ही की बहेनो की इज्जत और आबरू लूट रहे है. इन ही के मंदिरों पर आज भी कब्ज़ा नहीं छोड़ते, इन ही को आज भी काफ़िर और कश्मीर में इंडियन डोग केहेंते है. 
क्यों देश के २० करोड़ मुस्लमान एक साथ खड़े होकर कश्मीर कूच नहीं कर सकते और इन कश्मीरी मुसलमानों को ही सबक सीखा  देते की बहुत हो चूका. हम भी इसी धरती के बेटे है. कश्मीरी मुस्लमान आजादी मांग रहे है धर्म के आधार पर, वो कोई कश्मीरी पंडित दिल्ली के टेंट से कुछ नहीं मांग रहे है, कश्मीर की सत्ता पर काबिज होकर अलग देश मांग रहे है. क्योँ उन कश्मीरियो के ऊपर लघुशंका करदेते जो हिंदुस्तान से अलग होने की मांग करता है. 
क्यूँ नहीं मोर्चा खोल देते भारत माता को डायान बता ने वालो पर. 
क्या उर्दू या अरबी में एक भी लाइन नहीं अपने देश की भक्ति पर.
क्या एक भी शिक्षा नहीं पूरी नसल के पास जो असहान करने वालो के प्रति किया जाता हो.
क्या एक भी इस कौम की माँ अपने बच्चे को रात को कहानी नहीं सुनाती जिसे सुनकर उसकी भुजाये फड़कती हो.
क्या एक भी माँ इनको यह नहीं बताती की इतना खाने के बाद कुछ चुकाना भी फर्ज होता है.
इस देश का पानी पीते हो अन्न खाते हो और उस देश के वारिसो से इतना अलगाव रखते हो. क्यूँ ?
हद होगई जिस कौम के खून का एक एक कतरा हिन्दुओ के अहसान के तले दबा हो. हज का पैसा भी हिन्दुओ से लेकर हज की जाती हो. मदरसे हिन्दू पैसे से चलते हो. उस हिन्दू को ६० साल पहेले आपकी कौम के लोग काफ़िर बता कर अपने अपने देश तोड़ कर लेगाए हों. अब जो बचे है वो भी उसके बाशिंदों को इज्जत नहीं बक्शना चाहते हो. धर्म और पूजा तो दूर की बात है जब तक एक शबरी का भी असहान था प्रभु श्री राम पर तो वो उसको भी चूका कर गये. अरे हिंदुस्तान उस देश की मिटटी है जहाँ पर प्रभु श्री कृष्ण सुदामा के चार दाने चने का भी अहसान चूका कर गये. तो उस मिटटी से उपजे अन्न का कुछ तो मान करो और बस बहुत हो चूका अब कम से कम आह्सान ही चूका दो. नहीं हम तो इतने बावले है हमारा प्रधान मंत्री तो अभी भी कह रहा है कि भारत के सभी संसाधनों पर आपका ही हक़ है. हाँ उसका क्या जा रहा है, घर से उसे थोड़े ही देना पड़ रहा है. जिनके जवान बेटे सेना में कश्मीर में मर रहे है उनसे पुछो की हक़ क्या होता है.
यदि किसी भी एक असहान फरामोश की आत्मा जागी हो तो कृपया कर के मुझे एक ही उत्तर दे दे की जब धर्म के नाम पर बंगलादेश और पाकिस्तान देदिया गया था तो बचा हुआ देश किसका है ?

गाँधी आतंकवाद से पीड़ित भारत देश !!!


गाँधी आतंकवाद से पीड़ित भारत देश !!!

अब इस आतंकवाद का नाम सुनकर बड़े बड़े फन्ने खानों की तियोरिया चढ़ जाएँगी. भाई आतंकवाद तो आतंकवाद है अब वो गाँधी आतंकवाद हो या इस्लामिक आतंकवाद. फर्क सिफ इतना है इस्लामिक आतंकवाद सरहद पार कर के संसार भर में है और गाँधी आतंकवाद देश में पला पोसा और विनाशक भारत देश में ही बना. अच्छा लोगो के तर्क भी बड़े गजब है अपने बाप के तो पैर छूते नहीं और गाँधी को बापू बनाय घूमते है खैर ओमामा के साथ भी ऐसा ही है. इसी को कहेते हैं माँ मर गई अँधेरे में और धी (बेटी) का नाम लालटेन, इस गाँधी आतंकवाद ने सबसे पहेले १९४७ में अपने पैर पसारे १० लाख लोगो का कत्ले आम कराया इस आतंकवाद ने. इसी आतंकवाद ने लाखो माओ और बहेनो के साथ बलात्कार कराया. देखो आतंकवादी आतंकवादी होता है वो चाहे ऐ के ४७ के साथ हो या लाठी के. आज चाइना देश का प्रवर्तक और घोर राष्ट्रीय और क्रन्तिकारी माओ तुम्हारे देश के लिए आतंकवादी हो सकता है, परिक्षण तो करो गाँधी आतंकवाद भी इस परिपेक्ष में है वो अलग बात है की उसने अपना चाइना देश बनाया और इस गाँधी आतंकवाद ने दुसरो के देश बनाये. गाँधी आतंकवाद का एक संघटन भी जिसका नाम है कांग्रेस. और कमाल तो यह है की पूरा का पूरा आतंकवाद गिरोहों देश चला रहा है. इस आतंकवाद ने १९४७ में लाखो लोगो के कत्ले आम किये जैसे की माओ के ज़माने में क़त्ल हुए चीन में. एक देश को तोड़ कर तीन देश बनाये. १९६२ में देश को अपमानित, पराजित और हजारो सैनिक मरवाए जैसे की तेजो, मुस्लेनी और हिटलर ने अपने अपने देशो के साथ करवाया और एक पराजित देश बनवाये अपनी सनक के और सत्ता के आतंकवाद से. १९७५ में गाँधी आतंकवाद ने देश की प्रभुसत्ता को चुनौती दी कितने ही देश भक्त जेल में ठूस दिए गए जैसे की स्टालिन और माओ ने किया. देश को कितने ही महीने इस आतंकवाद ने बंधक बनाकर रखा जैसे की आज इस्लामिक आतंकवादी घाटी को बनाकर रखे हुए है है. १९८४ में इस गाँधी आतंकवाद ने सरे आम वो भी देश की राजधानी में ५००० सिख बहेनो और भाइओ को कत्ले आम किया जैसे कम्बोडिया में पोल पोट ने किया था. फिर इस गाँधी आतंकवाद के अतंकवादियो ने एक और देश श्री लंका की सम्पर्भुता को नष्ट करने और अपने ही देश के वीर सैनिको को अपमानजनक स्थिति में मरने दिया गया जैसे के सद्दाम हुसैन ने अपने रेवाल्नुशरी गार्ड अपनी सनक से मरवा दिए. फिर इस गाँधी आतंकवाद ने पुरे देश को पिछले ६० सालो से दो खिब्तो में बाँट कर रखा इस आतंकवाद ने १९८९ में राम मंदिर के ताले खुलवाये और इसी ने बाबरी ढांचा ढाया और पांच चुनी राज्य सरकार को बर्खास्त कर अपने किये पर पर्दा डाला और कालांतर में उसी आतंकवाद के भावी कमांडर इन चीफ ने देवबंद में जाकर माफ़ी भी मांगी. १९८४ के कत्ले आम की माफ़ी भी मांगी, १९७५ के वो रंज और गम के आपातकाल की माफ़ी भी मांगी और हिंदुस्तान की जनता की छाती पर गाँधी आतंकवाद का झंडा आज भी फहर रहा है और लोग सुबकिया ले रहे है. गाँधी आतंकवाद की कोख से निकला आर्थिक आतंकवाद (महंगाई) आम आदमी की जिंदगी रोज ले रहा है. किसान रोज आत्महत्या कर रहे है जैसे जरनल डायर के डर से लोग कुए में कूद कर आत्महत्या कर रहे थे. आज इन आतंकवादी घटनाओ को करने के बाद जब आप माफ़ी मांग सकते हो तो फिर तो कसाब और अफजल को भी आप माफ़ कर ही दोगे क्योंकि आपने जो नौटंकी की है क्या गारंटी है की शाहबानो केस में जब सुप्रीम कोर्ट को आपने उसकी औकात बता दी थी, इलाहाबाद हाई कोर्ट की हैसियत दिखा दी थी इस गाँधी आतंकवाद ने तो आज फिर आप क्यों नहीं दिखा सकते जब आपकी सरकार ने आंध्र में संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ करके मुसलमानों का आरक्षण दे ही दिया तो फिर बच क्या गया आतंकवादी ही तो यह सब काम करते है जो आप कर रहे हो और फिर इस गाँधी आतंकवाद की कोख से चिताम्बरम का लुंगी आतंकवाद निकला (अरे हंसने की बात नहीं और न ही अपमानजनक भाषा मानी जाये. मतलब यह शक्श एक जिमीदार मंत्री होकर मेरे पुरखो, मेरे गुरुओ के त्याग का अपमान कर सकता है उनकी भावनाओ और गरिमा का अपमान कर सकता है , महाभारत में सत्य के भगवा पताका का अपमान कर सकता है, गुरु गोबिंद सिंह जी के ध्वज का अपमान कर सकता है, शिवाजी के गरूर का अपमान कर सकता है और हम इसको अपना मंत्री बने रहेने दे सकते है थू है हम पर और हमारी कमजोरी पर) और इसको भगवा शब्द को आतंकवाद से जोड़ कर देने की इज्जाजत कैसे दी जा सकती है. बत्तीसी निकाल कर हंसने से कुछ नहीं होगा आपको १२५ करोड़ हिन्दुओ की भावनाओ से खिलवाड़ करने की सजा मिलनी ही चाहिए. शायद यह शख्स दैनिक जागरण के पत्रकार का जूता भूल चूका है जो देश का जिम्मेदार मंत्री होकर नाहक ही इतनी अश्लील भाषा में ५००० वर्ष की परमपरा का अपमान करने का घोर दुसाहस कर रहा है. शर्मसार और लज्जित है हम अपने और अपनी जर्जर और कमजोर हालत पर. शर्मिंदा है की हमारे घोर मानसिक शोषण करने की इस कांग्रेस कबिनेट की. जो कभी हमारे राम को राम नहीं काल्पनिक व्यक्ति मानती है. मेरी दुर्गा और माँ भारती के नंगे चित्र बनाने वाले को पदम् श्री देती है. हिन्दू हृदय सम्राट वीरो के वीर सावरकर का अपमान करने वाले को देश का मंत्री बनाती है. प्रधानमंत्री जी क्यूँ आप अमृतसर जा कर भगवा पगड़ी बंधते हो क्यों मेरे गुरुध्वारे में भगवा वस्त्र रखा जाता है क्यों मेरी रामयण और गीता भगवे वस्त्र में लपेटी जाती है. क्यों भगवा हरिद्वार के १००% साधु और ऋषि पेहेनते है. यदि भगवा का अपमान देश के मंत्री सरकारी अफसरों की मीटिंग में करेंगे तो क्या कीमत रह्जाएगी उन भगवाधारियो की जो काशी में मोक्ष को ताकते फिर रहे है.
हमने पहेले ही कहा है की जो आतंकवादी है उसको सरे आम फंसी पर चढाओ वो फिर गाँधी आतंकवादी हो, इस्लामिक हो या तथकथित कोई राष्ट्रवादी आतंकवादी हो. चिताम्बरम जी आप बधाई के भी पात्र है की आपके ग्रहमंत्री पद सँभालते ही बम विस्फोट की घटने लगबग समाप्त होगई नहीं तो शिवराज जी ने तो हिंदुस्तान को इराक ही बना दिया था. परन्तु आज क्या हो रहा है. आपके ग्रह सचिव की बेज्जती आपके साथी विदेश मंत्री जी ने कर दी, इतने इनकाउनटर हो रहे है आपकी नाक ने नीच और आपको असर ही नहीं हो रहा है. देश में आपके ऊपर आपके साथी ममता जी ट्रेन दुर्घटनाओ में षड्यंत्र का आरोप लग रहा है परन्तु आप है की चार बम विस्फोट और ढाई आदमी के मरने (जो की घटा है तो गलत और जिन्होंने किया है वो भी गलत और दंडनीये है) परन्तु माओ आतंकवाद, नक्सल आतंकवाद, गाँधी आतंकवाद के पुरोधा आपके चारो तरफ है ही है . इस से जयादा जानना है तो इस आतंकवाद के बारे में डॉ. स्वामी इस बारे में आपके चक्षु और शातुर्मुर्गो को रेत से बहार निकाल पाएंगे
अच्छा कमाल इतना है की रोज घाटी में तिरंगा जल रहा है, सुरक्षा बल के सिपाही मारे जा रहे है परन्तु न तो कश्मीरी अतंकवादियो से खतरा बताया जा रह है और न ही इस्लामिक आतंकवाद की मजम्मत की जा रही है परन्तु जीभ है की भगवा आतंकवाद से अपने ही पुलिस फ़ोर्स को अगाह कर रहे है ग्रहमंत्री जी. पता नहीं क्यों वेदांत कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डैरक्टर रहकर भी इतनी गर्मी है की उन्ही के समय में कंपनी जो कुवालिटी का अन्तराष्ट्रीय अवार्ड लिया था को भी लन्दन की ओर्गानैज़शन ने वापस लेलिया और भगवा आतंकवाद का परचा बाँट यह दिल्ली में रहे है.
ग्रहमंत्री जी १९८४ के गाँधी आतंकवाद के एरिया कमाडर सज्जन कुमार जी आपकी दिल्ली में ही बैठा है दुसरे को आपकी ही सरकार ने बिहार प्रभारी बनाया है. आपने वैश्विक आर्थिक आतंकवाद के एक आतंकवादी श्री कौत्रोच्ची जी को भी विशेष आदर दिया हुआ है.
मेरा निवेदन श्री चिताम्बरम जी से इतना है को वो सर्वप्रथम इस गाँधी आतंकवाद से देश का छुटकार दिलवाए नहीं तो चाइना हमारी और भी सीमा हड़प लेगा और हम साबरमती के संत तुने कर दिया कमाल ही गाते रहेजायेंगे.
हमारा आप से निवेदन है की कोई भी आतंकवादी बचना नहीं चाहिए और सब को फांसी चढ़ाया जाना चाहिए चाहे वो किसी जात, धर्म या पंथ का हो.
और आतंकवाद को इतना ही संज्ञा देने का शौंक है तो एक नया आतंकवाद जनम ले रहा है जिसे सफ़ेद आतंकवाद कहेते है जो झारखण्ड और उड़ीसा में इसाई मिशनरिया फैला रही है. "हड़प" आतंकवाद जो किसान की जमीन सरकार और उनकी प्रिये कंपनियों द्वारा हडपी जा रही है और जिस आतंकवाद से आपके खुद के युवराज भी लड़ रहे है और अलीगढ आगरा उसके नए मैदान ऐ जंग है. तो भईये पहेले गाँधीवाद आतंकवाद से लड़ो फिर आगे बड़ो नहीं तो देश को पिछले कई दशको से येही आतंकवाद खोखला कर रहा है और आप हमे चंदा मामा की कहानी सुना रहे हो.
बंधुओ मझे घोर आश्चर्य इस देश की कुंठित और भू-लुंठित जनता से भी है जो गाँधी आतंकवाद देश की असीमित, गरिमा, परम्परा, पोरुष, पहचान, बोध, शक्ति और संस्कृति को खा रहा है क्या वो आतंकवाद नहीं और उसको उठा कर फैंकने के लिए कोई कार्यकर्म और कोई जीवटता नहीं है. राम नवमी, शिव रात्रि और कृष्ण जन्माष्टमी पर जिस मूर्ति को इतना मान देते हो उसके लिए व्रत रखते हो उसकी पहेचान को नष्ट करने वाले क्या आतंकवादी नहीं. जो शारीर को मारते है वो तो आतंकवादी है ही है परन्तु जो हमारी पहचान मिटाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करते है क्या वो आतंकवादी नहीं है. जब अयोध्या राम की नहीं है तो दशहरे का ढोंग क्यों. जब राम लंका गए ही नहीं थे राम सेतु बना कर तो फिर दिवाली का ढोंग क्यों. इन सरकारी छुट्टी को केलेंडर से हटा ही क्यों नहीं लेते.
मित्रो मैं सन्दर्भ से नहीं हट राह हूँ. मैं उस बहुत बड़े षड्यंत्र को समझने की कौशिश कर रहा हूँ जिसमे के यह गाँधी आतंकवादी कभी राम को कभी दुर्गा को कभी धर्म को कभी अयोध्या को कभी भगवा को किसी न किसी रूप में अंतिमरूप में हिन्दू को ही क्षीण करने की भावना से ओतप्रोत रह है . और इन शब्दों के जरिये उसको ठोक बजाकर उसके दम को हर दम चेक किया जाता हो की कितना और बाकी है कितनी चोट और करनी है. जैसे की कोई तिजोरी का ताला तोड़ने वाला चोर करता रहेता है.
झारखण्ड में पिछले दो साल में कितने मंदिर सरकार ने तोड़ दिए कितनो की मुर्तिया खंडित हो गई इसको कोई हिसाब ही नहीं है. यदि आज हिन्दू जनता और उसके विश्वासों को इसी प्रकार तोड़ते रहे चोट पहुंचाते रहे पता नहीं इस से हित किसके सध रहे है.
भगवा यदि गलत है तो तथ्य पेश कर नंगा करो परन्तु रोज रोज उसपर मसाला लगा हिन्दुओ को गाली मत दो. इस्लामिक आतंकवाद तो एक सच है जिस सच का १४०० साल का इतिहास है जिसके साक्ष्य है जो चीख चीख कर आपने होने की सच्चाई बताते है. माओवाद जिसने २३४ डिस्ट्रिक्ट आपने खूनी पंजे में ले रखी है इसका साक्ष्य जिवित रूप मैं है. गाँधी आतंकवाद का खुला उदहारण हिन्दुस्तान का ६० साल बाद भी गरीब, अस्मिता हीन, दोहरा मापदंड, एक परिवार के नाम पर हिन्दुस्तान के नवयुवको की प्रतिभा पर जोरदार तमाचा, भोपाल गैस काण्ड, सत्ता का परिवार को हस्तांतरण हिंदुस्तान की आनेवाली पीढ़ी को नपुंसक बनाना नहीं तो क्या है. और यदि इसे आतंकवाद न कहे तो क्या कहे. हिन्दुओ में कुछ दिगभ्रमित लोगो के एक आद मूर्खताओ को आतंकवाद कहेना उन १५०० सालो से लड़ते वीर शहीदों का अपमान और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आक्रमण करने वालो की होंसला अफजाई के आलावा कुछ भी नहीं. इसका अहसास एक वाम मुख्मंत्री केरला ने तो करलिया गाँधी अतंकवादियो को करना बाकी है.
जय भारत जय भारती

मुस्लिम तुष्टिकरण, हिन्दू जातीया, कांग्रेस और मारुती का मानेसर कार प्लांट


मुस्लिम तुष्टिकरण, हिन्दू जातीया, कांग्रेस और मारुती का मानेसर कार प्लांट 

हिंदुस्तान का आम आदमी आज अंतिम सांसे गिन रहा है. और उसका क्रेडिट निश्चित तौर पर भारत की कांग्रेस पार्टी को जाता है. कितना फरेब और बड़ा झूट है की हम "आम आदमी" के काम कर रहे है अरे आप उसके काम नहीं कर रहे बल्कि उस आम आदमी का वोट लेकर आम आदमी पर चोट कर रहे है. आज कांग्रेस की शह पर बाकी पार्टिया जो सेकुलर धर्म की राजनीति करती है ने हिन्दुओ को हिन्दुस्तान में रगड़ कर रख दिया. बात बरेली दंगो की हो, कोशी के दंगो की हो, देवबंद की हो, शामली में माता की जोत पर मुस्लिमो के पानी डालने की हो, उड़ीसा की हो, होशंगाबाद की हो, बाबा अमरनाथ की यात्रा में मरते हिन्दू भक्तो की हो, शिव की कावड चढाते और मुस्लिमो से पिटते शिव भक्तो की हो, शिव लिंग पर अपने पैर रखते फोटो की हो, गंगा के मरनसन्न होने की हो, दिल्ली - हरिद्वार राजमार्ग की दुर्दशा की हो, हिन्दुओ लडकियो के लव जिहाद की हो, मुस्लिम अतंकवादियो को फांसी न देने की हो, राम सेतु तोड़ने की हो, असम में हिन्दू स्त्रियो के बलात्कार की हो या कल हुए मुस्लिमो द्वारा दंगो की हो, हैदराबाद के दंगे हों, मुध्खेड नांदेड के दंगे हो, महाराष्ट्र के ही नगर के दंगे हो, दुर्गा देवी पर पत्थर फैंकने की घटना हो, दिल्ली में मेट्रो स्टेशन के खुदाई पर झूटे ही वो भी प्रशासन की आज्ञा की अवेहेलना कर रातो रात एक फर्जी "अकबरी मस्जिद" खड़ी करने की हो, दिल्ली में ही डीडीऐ की जमीन पर जंगपुरा में जबदस्ती की "नूर मस्जिद" का निर्माण हो. किस किस के बात करे और क्या क्या बात करे. पता नहीं इस धरती पर इंसान पैदा होने बंद होगये क्या जो न सेकुलर नेता, न कांग्रेसी नेता और न मीडिया का ध्यान इन बातो पर जाता है. यहाँ तो चारो और हा हा कार हो रहा है. हर तरफ हिन्दू मर रहा है. न मीडिया में सुनवाई न कानून का राज. क्या हो रहा है. यह और कुछ नहीं कांग्रेस की हर तरफ हिन्दुओ को अत्याचार कर क्रिया की प्रतिक्रिया करवाने की कोशिश है. सारी मीडिया हाथ पर हाथ धरे बैठी है. और इन्तजार इस बात का कर रही है की हिन्दू कब अपनी प्रतिक्रिया दे और कब यह अपनी कलम और जीभ फिर से चलाये जैसे की गोधरा के बाद हुआ था. घोर आश्चर्ये होता है जब बरेली जैसे दंगो पर मीडिया "मामूली झडप" जैसी हेड लाइन बनाती है और असाम के मुस्लिम कृत दंगो को "जातीय हिंसा" बताती है. 

किसी भी सूरत में मीडिया के इस रविये को और कोंग्रेस के इस अंदाज का माफ़ नहीं किया जा सकता है. कांग्रेस को असहास नहीं है की १० जनपथ तो अपना टिन टप्पर उठा कर परिवार समेत भारत से बहार चला जायेगा परन्तु कांग्रेसियो का क्या होगा. क्या कल जहर पीने के लिए वो ही बाकी रहेंगे.

कांग्रेस ने हर बार भारत की आत्मा पर चोट की है और अब उसके मर्म पर कर रही है. राजनीति की भी सीमा होती है परन्तु जिस प्रकार निरह हिन्दुओ को खूंखार मुसलमानों के हाथो मरने के लिए छोड़ दिया है वो इंसानियत को भी शर्मशार करती है. आज जेलों को इस्लामिक और पाकिस्तानी आतंकवादियो की शरण स्थली बना दी गई है. और बाकी हिंदुस्तान मुस्लिमो का क्रीड़ास्थल बन गया है किसी की बहन लेकर भाग जाओ, किसी का धर्म परिवर्तन करा दो, किसी को दंगो में मार दो. यदि कुछ होता है तो मई बाप मीडिया और सेकुलर नेता बैठे ही है. यह है हिंदुस्तान का दर्द और आम हिन्दू की पीड़ा. 

और कानून का राज न होने से आज आतंक की आग मारुती-सुजुकी  जैसी विदेशी कंपनी के आंचल तक पहुँच गई. इलाज जड़ में है पत्तियो में नहीं, आज जो लोग कोग्रसी नीति के दंश पर दारुण कर रहे है वो जान ले कल जब ८५ करोड़ हिन्दू बावले हो जायेंगे तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा. महाभारत में क्या हुआ था वहा पर भी न तो कानून का राज रहा था और न सिधांत की इज्जत और परिणिति कुरु क्षेत्र का युद्ध. 

कांग्रेस को न तो देश चला न आता है और न ही सरकार. आज गावो के अन्दर खेतिहर मजदुर नहीं मिल रहे है, जमीन पर खेती महंगी हो गई है, उस से सब्जियों, दालो और अनाज के दाम बढ़ गए है. मानेसर प्लांट में क्या हुआ. उसको यदि समझा जाये तो आने वाले समय की पिक्चर का आभास हो जायेगा. फरीदाबाद, गुडगाव और नॉएडा की फेक्टरियो में कोई गरीब काम नहीं करता, मुख्यत: जिनको मार्शल कौम कहा जाता है वो लोग काम करते है. उन्ही के पास गावो में जमीन भी है. आज उनकी खेती घाटे का कारोबार होगया है. तो शहरो में नोकरी करने लग गए और सप्ताहांत पर खेती का काम देखने लग गए है. अब जिनके पेट भरे हो तो वो अपने स्वाभिमान के रक्षा के लिए कुछ भी कर जायेंगे. वो जापानी या चीनी मजदुर तो है नहीं जो किसी की सुन लेंगे. पेट भरे तो टक्कर देंगे ही उनके सामने फेक्टरी का मालिक क्या और अफसर क्या. अब छोटी जातियो को सरकार घर बैठे पैसे दे रही है, नौकरी दे रही है, और अब तो खाद्य सुरक्षा भी दे रही है. तो एक तो नीचे से काम करने की परम्परा ही ख़त्म हो गई. दूसरा मार्शल कौम अपनी इज्जत बचाने को नौकरी भी कर रही है जहा पर शहरी संस्कार सीख रही है दूसरा गावो की परम्परा भी ढोह रही है. संक्रमण काल की इस दौर में यह कौमे गेहेरे दबाव में. इस दबाव के कारण को चार कलास पढ़ा एच. आर. विभाग का अधिकारी क्या समझेगा. 


यह यूनियन बाजी और मजदूरो की राजनीति तो क्षणिक बाते है मुख्य कारन इस अनपढ़ और जाहिल सोनिया गाँधी और ढपोर राहुल गाँधी की सरकार पर हावी होती उलजलूल नीतिया है.  

कांग्रेस का वोट बैंक बनायेंगे!! अरे बना तो लो पर करवाओ गे क्या इन पर. सब को लेप टॉप बाँट दो. सब को पी एच डी करा दो तो होगा क्या, हम खायेंगे क्या, कल को खुदरा में विदेशी निवेश लेकर आजाओ, जो हालत आज गाव में है कल बनियो के बच्चे बेरोजगार हो कर वो ही काम करेंगे जो आज मानेसर में हो रहा है. 

दिल्ली के आज पास जाटो, गुज्जरों, त्यागियो की जमीन सरकार ने छीन कर पैसे हाथ पर रख दिया, अरे जिनके बाप दादो ने इतने पैसे नहीं देखे और जो हल और खेती के आलावा कुछ नहीं करते थे उनको रातो रात करोड़पति बना कर भिखारी जैसा बना दिया. कुछ लोग कहे भी सकते है यार कमाल कर रहे हो सरकार ने पैसे देदिए और आप कहे रहे हो भिखारी बना दिया. अरे भैया कल को साइकल चलते के हाथो हवाई जहाज पकड़ा दो गे तो क्या उड़ा लेगा. जो गलती बड़े बड़े मुर्ख राजा भी नहीं कर पाए वो बेवकूफी कांग्रेस सरकार कर रही है. भगवान् परशुराम ने भी क्षत्रियो का संहार करने के बाद अपनी फ़ौज को जमीन बाँट दी थी जिस से जो भी बचा खुचा जोश हो वो धरती में लगाये न की मानव को  मारने में क्यूंकि सत्ये की पताका तो फेहरह चुकी थी. उनको मालूम था मिटटी ही इनको इलाज है इसको चीर कर मानव के लिए अनाज उगायेंगे और समाज व् संस्कृति का सर्जन होगा. परन्तु इन दुर्जन कांग्रेसियो ने इन मार्शल कौमो से पहेले खेती करते मजदुर गावो से छीने, फिर उनकी जमीने छीन ली और अब जब बात अपने पर आई तो लकड़ी के बीच फंसे अंडकोष की पीड़ा से ग्रसित बन्दर के मानिंद कर रही है. यह तो होना ही था और होगा.

कांग्रेसियो ने पहेले जिन्न तैयार किये गाव में मजदूरी करते मजदुर और उनको बना दिया निट्ठाला, उनके काम के बारे में नहीं सोच रही, बल्कि अभी भी घर बैठे उनके मुह में कैसे हराम के टुकड़े ठुसे जाये यह सोच रही है, स्वाभिमान से जीते किसानो को जबरदस्ती क्रेडिट कार्ड बांटे, आज वो भी दर दर की ठोकरे खा रहे है और बैंक के आगे गिड गिडा रहे है. फिर उन किसानो की जमीन छीन ली और हाथ में आकूत पैसा रख दिया, जो उनके लिए किसी काम का न था. फिर पाप किया जिन लोगो के पास जमीन थी उनको तथाकथित स्वर्ण जाती घोषित कर के उनके बच्चों के आगे बढ़ने के अवसर रोक दिए और निजी कंपनियो के क्रूर हाथो को सौंप दिया. अब जो हो रहा है उसको भुगतो.

हिन्दू धर्म के ऊपर उसकी प्रक्रति जाने बिना उसको जो शीर्ष आसन करवाएगा उसको यह ही दंड मिलता रहेगा. हिन्दू समाज को हिंसा के आगे झोंक कर उनको असल में हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है. जैसे की गोधरा में किया गया था अब वो चाहए असाम हो या मानेसर यह कोई गोधरा से कम नहीं है. 

गलती सोनिया गाँधी की चवन्नी छाप सोच की है जो भारत के आदमियो को नीचे से खिलाना और ऊपर से हगवाना चाहती है. मित्रो इसका इलाज आपको और हमको ही करना है क्यूंकि यह आपके पुरखो की धरती है जिसको आपको अपनी आने वाली सुसंस्कृत संतति को सौपना है. 

अन्यथा यह कौवे तो गोधरा के बाद की क्रिया की प्रतिक्रिया का ही इन्तजार करेंगे जिस से २०१४ में एक बार फिर से "सेकुलर" सरकार के नाम पर फिर से हमें रसातल में लेजाये. 

भयभीत हिन्दू , खंड - खंड हिंदुत्व और लज्जित भारत


भयभीत हिन्दू , खंड - खंड हिंदुत्व और लज्जित भारत !!!!!!!


१५ अगस्त को भारत किस बात का जश्न मनाये यह बड़ा ही सोचनिये प्रशन है. भारतवासी कौन है किसके साथ जश्न मनाया जाये यह समझ के बहार का विषय बनता जा रहा है. असल में पिछले १५-२० दिनों में कुछ एक घटना ऐसी हुई है जिसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया की क्या में अपनी आने वाली पीढ़ी को भारत में बसने लायक छोड़ पाउँगा या नहीं. कोई ऐसा कारण नहीं दीखता की भारत के हिन्दू अगले ५० साल में अपना खतना न करा ले या इनको कलमा न पढवा दिया जाये. 

!!!हिन्दू एक बहुत बड़े संकट का सामना करने को तैयार रहे. यह बात मित्रो लिख लो. हिन्दू अपनी करनी और शत्मुर्गो की तरह रेत में गर्दन छुपाने की प्रवर्ती के कारण एक बार फिर अपने इस्लामीकरण को तैयार हो जाए. मित्रो जैसा की पिछले ८०० सालो से होता आया है की इसके लिए कोई और भी जिम्मेदार नहीं बल्कि हम स्वम है. 

घनघोर आश्चर्य होता है की यह देश हिन्दुस्तान है या पाकिस्तान. यह हिन्दुस्तान है तो कदापि हिन्दुओ का तो है नहीं यह कांग्रेसी हिन्दुस्तान है. घिन आती है मुझे अपने हिन्दू होने पर इसलिए नहीं की कोई अत्याचार हो रहा है बल्कि इस बात पर की अत्याचार होने पर उस पर रोने के अधिकार का हनन हो रह है. क्या १९४७ में भारत इसलिए आजाद हुआ था की आसाम में हिन्दू लूटे, पिटे, बलात्कार करवाए? और उसपर भी हम अपनी पीड़ा बयां न कर पाए.

खैर असाम तो एक बहाना है पीड़ा कितनी गहरी है इसको बोध तो किसी को भी नहीं है. 

शरू करते है मुंबई से . मुम्बई में जिस प्रकार बाबर के पूतो ने उत्पात मचाया उसे देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए. रोंगटे इसलिए खड़े होगये की मैं अभी तक यह ही सोचता था की मुसलमानों को मीडिया और कांग्रेस व अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने बरगला रखा है जिससे यह अनपढ़ और जाहिल कौम अपना हिंसक प्रदर्शन करती है और हिन्दुओ का यदा कदा सताती है. परन्तु जिस प्रकार मुंबई में "अमर जवान ज्योति " को धुलधूसरित किया और उसको जला का मीटिया मेट किया उस से इरादे बिलकुल साफ़ हो गए है. की जो भस्मासुर अब तक पला बड़ा किया था अब वो साक्षात् रूप में नरसंहार करने के लिए तैयार है. अब वो देश की पुलिस - वुलिस से नहीं बल्कि इतना शक्तिशाली हो चूका है की देश की सेना को चुनौती दे रहा है . 

परन्तु मित्रो यह यकायक नहीं हुआ इसका एक लम्बा सिलसिला है जिनका मैं यह जिक्र करना चाहूँगा. अब बात भारत या तिरंगे या संसद या नेता के मान अपमान की नहीं है बल्कि अब बात अस्तित्व की है. बात न भाजपा या कांग्रेस की, बात संविधान या प्रवधान की भी नहीं, बात चुनाव या विकास की भी नहीं, बात सीधे सीधे अपने अस्तित्व की है. मेरे और आपके परिवार की है. बात गली और मोहल्ले की है, लड़ाई सरहद पर नहीं घर तक आ चुकी है. हिन्दुओ को अपनी आँखे खोल लेनी चाहिए की महत्मा गाँधी कहेते रहे की 'पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा" इसी प्रकार आज की कांग्रेस कहेती रहेगी की "हालत काबू में है और नागरिक सुरक्षित है" क्या खाक सुरक्षित है नागरिक. 

क्यां मीडिया के पक्षपात करने के बावजूद हमें मुम्बई में भारतीय सेना का अपमान नहीं दिखा. अमर जवान ज्योति को खंडित करते मुस्लिम आताताई को नहीं देखा?

क्यों हम नहीं जानते की किस भड़काऊ भाषण से मुम्बई की मुस्लिम भीड़ हिंसक हुई थी? क्यूँ नहीं मीडिया उस भाषण की टेप देखा देती? क्यूँ सी सी टीवी की वो फुटेज देखती नहीं जिसमे हिन्दू विरोधी - देश विरोधी नारे लगाये गए? दुनिया जाने तो सही की इनके अन्दर देश के प्रति कितना जहर भरा है। दुनिया देखे तो सही की शांति का धर्म इस्लाम अपने पवित्र रमजान के महीने में कितना मासूम है।

किस बात की आग मुम्बई में लगाई गई इस बात की की आसाम में हिन्दुओ को क्यों बचाया जा रहा है. क्यों मुस्लिम आतंकवादियो के हाथो मरने नहीं दिया जा रहा है? या इसलिए की हिन्दुस्तान को पकिस्तान बनाने देने के लिए सेना रोड़ा बन रही है या इसलिए की रमजान की आड़ में असम को इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनाने दिया जा रहा है.

बरेली में हिन्दुओ का नरसंहार किया जा रहा है.

पकिस्तान से हिन्दू भाग कर क्यों आ रहे है? क्या यह पूरी दुनिया के लिए शर्मनाक नहीं की पकिस्तान के राष्ट्रीय चैनल पर एक मासूम हिन्दू को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया जा रहा है. अमेरिका से लेकर चीन तक सब सुनलो. जिस प्रकार बामयान (अफगानिस्तान) में बुद्ध की मुर्तिया उड़ाई गई थी और बाकी राष्ट्रों ने हिन्दुओ का मसला मान कर छोड़ दिया था परन्तु उस से प्राप्त साहस से तालिबान और मुसलमानों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर उड़ा दिया था उसी प्रकार पाकिस्तान में हिन्दू को जिस जोश और खरोश से राष्ट्रीय स्तर पर जश्न के साथ  मुस्लमान बनाया गया अब अंतर राष्ट्रीय स्तर पर न तो इसकी भर्त्सना की गई और इसे भी हिन्दू का मामला समझ कर छोड़ दिया इसी प्रकार फिर से मुस्लिम आतंकवादी इस से साहस पाकर फिर अमेरिका और दुसरे राष्ट्र को एक नवीन हमले के लिए तैयार रहना चाहिए. इसको असल में मुसलमानों की एक चेतावनी समझा जाए.
कश्मीर में भारतीय सेना को आतंकी निशाना बना रहे है और मुम्बई में भारतीय सेना के स्मारक स्थल को तोडा जा रहा है. यह एक बड़ी चेतावनी है. 

दिल्ली में कांग्रेस "अकबरी मस्जिद" और "नूर मस्जिद" बनवा रही है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी "अकबरी मस्जिद " तोड़ने से मना कर दिया.

पकिस्तान से हिन्दू भारत पलायन कर रहे है. हिन्दू लडकियों से बलात्कार और धर्मपरिवर्तन हो रहा है.

हिन्दुस्तान में हिन्दू लडकिया भगाई जा रही है और उनसे लव जिहाद के नाम पर धर्मपरिवर्तन कराया जा रहा है.

क्या शर्मनाक कदावत नहीं की एक हिन्दू को सरे आम टीवी पर इस्लाम में धर्मान्तरित किया जा रहा है और दुनिया का कोई मानवाधिकार संघठन इस पर आक्रोशित नहीं होता. यह न केवल शर्मनाक है बल्कि डूब मरे लायक है. हिन्दुस्तान की वर्तमान सरकार किस भांग के नशे में है यह समझ से परे है. सरकार जिस प्रकार अमेरिका की अजेंटीगिरी कर रही है और अपने एक मंत्री को ऍफ़ डी आई पर लगा रखा है वो भर्त्सना योग्य है.

हिन्दुओ को मुंबई में जिस प्रकार का ट्रेलर दिया गया है डराने और उकसाने के लिए उसपर भी सरकार का रविया दोषीओ को सजा देना कम, मामला दबाना जायदा है. सरकार की नियत और और नियति दोनों पर प्रशन खड़ा करता है. 

सरकार और मीडिया जिस सच को छुपाने की भरसक कोशिश कर रहा है वो रीस रीस कर बहार आ रहा है. मुसलमानों की क्रूरता और देशद्रोह छुप नहीं सकता. जिस म्यांमार के मुस्लिम शोषण की आड़ लेकर मुंबई में प्रदर्शन किया गया वो सिवाए मुस्लिमो के इस भारत देश में "छुट्टे सांड" होने के और कुछ भी नहीं प्रमाणित करता . इस म्यांमार के शोषण की आड़ में जो हिंसा का नंगा नाच मुम्बई में किया गया है वो महाराष्ट्र और केंद्र के कांग्रेस और एन सी पी के शह की वजह से हुआ है. 

क्या बात है की इस म्यांमार की घटना पर न तो ब्रिटेन के मुस्लमान बोले, न पडोसी मलेसिया के मुस्लमान बोले, न ही बंगलादेश के मुसलमान बोले. हिन्दुस्तान के मुस्लमान जो हर दिन बकरीद और रात को ईद मनाते है इस हिन्दुस्तान की सरजमी पर, जिनको केंद्र की  सरकार मसाज करती है, घर बैठे दामाद मानती है, उनके म्यांमार की मिर्ची क्यूँ लगी? असल में पिछले १० साल में मुसलमान इतने इम्पावर होगये की वो देश में इस्लामिकारण का एक और दौर चला कर, इस देश का कुछ एक और हिस्से पर कश्मीर के हालत बनाकर एक और पकिस्तान का निर्माण करना चाहते है.

आज मुसलमान कांग्रेस की सोनिया गाँधी की गोद में बैठकर देश की पुलिस, सेना, नागरिको और मीडिया की आंखे फोड़ रहा है. और कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता इन का.

क्या सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग यह सरकार मानेगी और रजा अकेडमी से तोड़फोड़ का हर्जाना माँगा जायेगा और क्या रजा अकेडमी उसे भरेगी?

सुप्रीम कोर्ट वैसे तो मुसलमानों के ठेंगे पर है. न तो नूर मस्जिद और न ही अकबरी मस्जिद दिल्ली के बारे में मुसलमानों ने कोर्ट की सुनी. 

असल में सच में मुझ से पूछा जाये तो में कहूँगा की इस देश में दो ही लोगो का आदेश चलता है एक राज माता सोनिया गाँधी का और दूसरा मुसलमानों को बाकी हिन्दुस्तान एक भेड़-बकरी से ज्यादा कुछ नहीं. और जो लोग मेरी बात का विश्वास नहीं करते तो वो देखलो की रजा अकेडमी कैसे इस हिंसा में तोड़फोड़ का हर्जाना भरती है? 

आज कहाँ गए महेश भट्ट, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, सुभाष गतड़े ? यह क्या बोलेंगे इस हिंसा पर परन्तु एक कदम आगे निकल कर उप्र सरकार के समाजवादी पार्टी के केबिनेट मंत्री आजम खान कश्मीर को भारत का हिस्सा मानने को तैयार नहीं. तो मुसलमानों को हिन्दुस्तान में विशवस ही नहीं है और अजेंडा एक दम साफ़ है , वो दिन रात इस देश को और इसके नागरिको को घाव देने के अलावा कुछ नहीं कर सकता है. और यह बदसूरत जारी है. मैं  चीख चीख कर कहेना चाहूँगा की जो पार्टिया इनको आरक्षण देना चाहती है वो जान ले की जो लोग भारत की सेना और उसकी असिमिता अमर जवान ज्योति की ज्योति ही बुझा रही है तो क्या वो देश के हित में काम करेंगे? इनको आरक्षण देना का मतलब है इस देश का नाम भारत से बदल कर इस्लामिस्तान रखना .और १०० करोड़ हिन्दुओ से कलमा पढवाना . क्यूँ नहीं इन १०० करोड़ हिन्दुओ का खतना कर देते और कहानी ख़तम करते. असम दौरे के समय जब सोनिया गाँधी और देश के ग्रहमंत्री के होते हत्याय हो रही है हिन्दुओ की तो कौन रोकेगा इन मुस्लिम आतंकवादियो को हिन्दू को मारने से? आज महीने से ऊपर हो गया बरेली में  करफू को. किसको का फर्क पड़ रहा है. 

क्या कांग्रेस इस मुंबई हिंसा के लिए ही "साम्प्रदायिक बिल" ला रही थी जिस से इस हिंसा को बहुसंख्यक हिन्दुओ के माथे मड्ड सके. रोम की हिन्दुस्तानी राज माता को पता ही कुछ नहीं की १९४७ में हुआ क्या है. जिसका जीवन साजिशे बनाने और बुनने में लगा हो उसे देश की मिटटी की खुशबु का क्या पता.

क्या कांग्रेस हिन्दुओ को असदुद्दीन ओवासी के भाषण से डराना चाहती है. आवासी का भाषण क्या भारत की संप्रभुता के खिलाफ नहीं। यह चोरी और सीनाजोरी नहीं तो क्या है। क्यूंकि मुसलमानों तो मोर्चा खोल दिया भारत देश और हिन्दुओ के खिलाफ और ये आरोप में अपने से नहीं लगा रहा हूँ. जो दिख रहा है सिर्फ उसे बयां कर रहा हूँ.

मुसलमानों को कांग्रेस की केंद्र सरकार और राज्यों की कांग्रेस सरकारों ने माहौल प्रदान किया, की कुछ भी करो सुरक्षित रहोगे. कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ेगा. देश में यदि कहीं भी मुस्लिम अतंकवादियो को पकड़ा जायेगा कांग्रेस की केंद्र सरकार गुजरात सरकार की तरह गत बना देगी उसकी . बाकी का काम उसके राज्यपाल करेंगे. तो कांग्रेस राज में तो कोई दिक्कत है ही नहीं और जहाँ कांग्रेस की सरकार नहीं है वहा पर उसके राज्यपाल मुस्लिमो को बचायेंगे. अच्छा  सरकार ने पहेले से ही पोटा हटा दिया है, ऊपर से बहुसंख्यको को दबाने के लिए "साम्प्रदायिक बिल" ला रही है. मोदी को "धर्मनिपेक्षता" के चुंगल में फंसा रखा है और बाकी का काम उसकी सहयोगी पार्टिया कर ही रही है मोदी रोको अभियान. फिर संघ को 'भगवा आतंकवाद" का फंदे में फंसाया हुआ है. बाकी कांग्रेस की मीडिया "भगवा गुंडे" बता कर राष्ट्रवादियो और हिन्दुओ को लपेट रही है. बेचारे जो धार्मिक संत है उनको बहरूपि और ढोंगी बाबा कहे कर रोज सड़क पर नंगा किया जा रहा है.

रमजान का महिना है हर कांग्रेसी नेता इफ्ताहर कर रहा है तो क्यूँ नहीं मुसलमान इस देश को आंखे दिखायंगे. न केवाल आज आंखे दिखा रहे है बल्कि मुम्बई में तो आंखे निकालने का कृत्ये कर रहे थे.

क्या जज्बा है मुसलमानों का की "रमजान" के पवित्र महीने में महिला पुलिस के कपडे उतार रहे थे. उनके निजी अंगो पर वार कर रहे थे. वहा  क्या धर्म है जो रोजो में इतना पवित्र कार्य कर रहा है. देश की रक्षक भारतीय सेना के स्मारक अपवित्र कर रहा . 

मुझे एक बात समझ नहीं आती की पुलिस ने इन मुसलमानों को इस बर्बर हिंसा करने की इजाजत क्यूँ दी. पुलिस कहेती है की १९९२ से भी बदतर हालात हो जाते यदि एसे नहीं करने दिया जाता. तो मैं पूछना चाहूँगा जब मुम्बई में हिंसा का यह तांडव है, देश की राजधानी दिल्ली में नूर मस्जिद और अकबरी मस्जिद जो गैरकानूनी है का सुभाष पार्क में मुस्लिम हिंसा का नंगा नाच, असाम में हिन्दुओ के नरसंहार, बरेली में हिन्दुओ की  हत्याय. तो क्या इस से भी बुरा और होगा देश के हिन्दुओ और देश के खिलाफ? मनानिये सुप्रीम कोर्ट कृपया पुलिस के इस बयान का नोटिस लिया जाये. क्या कहेना चाहती है पुलिस की इनको जो मर्जी करने दो नहीं तो हिन्दुओ अंजाम भुगतो. पुणे में बम्ब विस्फोट किया और यह लगातार हो रहा है तो क्या हिन्दू बस मरे, पिटे और लूटे तभी इन रक्त पिपासुओ रक्षाशो की प्यास बुझेगी. 

और जो लोग यह कहेते है की मुस्लिम समाज का इस मुम्बई हिंसा में कोई योगदान नहीं, बस यह तो कुछ एक शरारती तत्व की "शरारत " है. बकवास करते है यह लोग, झूट बोल रहे है, देश को मुर्ख बना रहे है। पहली बात तो किसी भी विडिओ फुटेज में कोई भी मुसलमान हिंसा करते लोगो को रोकता नहीं है। दूसरा यदि यह हिंसा मुस्लिमो को मंजूर नहीं थी या उनके नेता जो आज  आंसू बहा रहे है और झूटी माफ़ी मांग रहे है तो क्या वो यह बाताने की जहमत उठाएंगे की जब यह हिंसा हो रही थी तो वो इसको रोकने का क्या कोशिश कर रहे थे। दूसरा यह तो संभव ही नहीं की बीस हजार लोगो की भीड़ में से 10-15 लोग हिंसा करे। यह तो तभी संभव है जब उन्हें 20000 लोगो का समर्थन प्राप्त हो। कामल तो यह है जो मीडिया बात बात पर विपक्षी या राष्ट्रवादियो नेताओ के बयान ढूंड ढूंड कर दिखाती है वो इन जहरीले भाषण देते मुस्लिम नेताओ के भाषणों की विडिओ सवार्जनिक क्यूँ नहीं करती। देखे तो सही के "मासूम और भटके भाईजान" देश के प्रति कितनी मोहबत रखते है। जिस थाली में खाते है उसी में थूकते है।

खैर जो नेता संसद में  मुम्बई हिंसा को उठा रहे है वो भी इस बार मीडिया से खौफ जदा है। क्यूंकि किसी ने (न ही जदयू के थूक  फैंक नेता श्री शिवानन्द तिवारी ) यह नहीं पूछा की एक भारतीय होते हुए "म्यांमार" में किसी घटना के लिए मुम्बई के मुसलमान के पेट में क्यूँ  ऐंठन हो रही है।  क्या अमेरिका में मारे गए सिख भाईओ के मारे जाने से जालन्धर में या चड़ीगढ़ में दंगे हो गए। और फिर हिन्दुस्तान तो सिखों और हिन्दुओ की अध्यात्मिक, आत्मिक जन्मस्थली है। म्यांमार से हमें न लेना एक न देना दो, तो फिर मुसलमानों से कोई पूछता क्यूँ नहीं की तुम्हे किस बात के दस्त लगते है जिस से आपका कोई भी सरोकार नहीं।

यह भारत की सरकार से भी पूछना चाहिए की फ़्रांस में बुर्के पर बेन लगे तो प्रदर्शन हिंदुस्तान के मुसलमान यह की सडको पर करते है, इंग्लेंड में किताब लिखी जाये तो प्रदर्शन हिन्दुस्तान में होते है, काबुल में अमेरिकन कुछ करे तो दंगे भारत में होते है, डेनमार्क में कोई कार्टून छपे तो सड़के हिंदुस्तान की आप तबाह करते है, मित्रो बात समझ नहीं आती की हमारा कसूर क्या है। क्या भारत सरकार हिन्दुस्तान को मुसलमानों को मनमर्जी कर देने के लिए "माहोल" नहीं प्रदान कर रही। और हुनको हिन्दुओ के खिलाफ उकसाने की खुली छुट दे रही है? अब दूसरी तरफ हिन्दुओ को देखो सबसे बड़ा उधाहरण श्री लंका का है कितने हिन्दू मरे, बल्कि यूएन ने भी सवीकार किया की वहा पर हिन्दुओ का नरसंहार हुआ। परन्तु क्या किसी हिन्दू ने कही पर भी प्रदर्शन किया या दंगे किये या बसों में आग लगाईं। 100 करोड़ हिन्दू चाहते तो इसकी भड़ास निकाल सकते थे। क्या नरसंहार हुआ है गुजरात में, सिवाए राजनीति के कुछ भी सच्चाई नहीं इसमें, जिसमे मीडिया, कांग्रेस और अवसरवादी लोग शामिल है। यदि "नरेंद्र मोदी ' इतने ही बड़े हिन्दुओ के नेता होते तो क्या श्रीलंका के हिन्दुओ के लिए एक बड़ी रैली न करते, जिस से भारत के मुसाल्मान खौफ खाते और विश्व में हिन्दू नेता होने का गौरव प्राप्त होता । क्या ऐसा हुआ? आप मुसलमानों को दुनिया में कही पर भी खरोच आती है तो आपन हिन्दुस्तान में हिंसा का नंगा नाच करते है। क्या यह सब आपको शोभा देता है?
मुसलमान थाईलेंड में बोद्धो का कत्ले आम करते आ रहे है तो क्या हिन्दुस्तान के हिन्दू इस बात पर आंदोलित हो जाये। भाई थाईलेंड उनका देश है वो जाने और उनका देश।

मुस्लिम भाईओ  यदि सच में तुमने अपनी माँ का दूध पीया  ही है तो पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर होते अत्याचार पर "पाकिस्तान दूतावास के सामने प्रदर्शन" क्यूँ नहीं करते। क्यूँ नहीं पकिस्तान में शियाओ के मरने पर या उनकी मस्जिदे  पर देश भर की सड़के प्रदर्शन से सरोबार करते। असल में यह सब आप नहीं कर सकते क्यूंकि आप का केवल और केवल हिंद्सुतान के हिन्दुओ को डराना और धमकाना ही मकसद है। और इस बात को शिवानन्द तिवारी और अन्य मुसलमानों के रहनुमा भी सुन ले। इसलिए मेरा धर्मनिरपेक्ष नेताओ से नम्र निवेदन है की बात की गंभीरता समझे और इन मुस्लिम गुंडों से देश को बचाए। हिन्दू वास्तव में बहुत गंभीर मानसिक अवसाद से गुजर रहा है। इस सच्चाई को स्वीकार करे और उनको भी हीलिंग टच  दे। कश्मीर हो या बम विस्फोट, हिन्दू आतंकवाद (झुटा, मीडिया गडित) सब में हिन्दुओ को हीन  बनाने की ही साजिश है। असल में इस प्रकार का व्यवाहर मानवता के मूल सिधान्तो का घोर उलंघन है. कृपया हिन्दुस्तान को मुस्लिम मामलो में ऐपिक  सेंटर न बनाये और इस से बचा जाये। 

यदि हैदराबाद में पकिस्तान का झंडा फहराया जायेगा और उसका स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा। हिन्दुस्तानी मुसलमान पाकिस्तान में मुस्लिमो पर अत्याचार तो एक दम चुप रहेगा परन्तु 1000 -2000 किलोमीटर पर हुए देश से बहार किसी घटना पर हिन्दुस्तान की सड़के हिंसा के नंगे नाच करेगा, औरतो की इज्जत से खेलेगा, बहुसंख्यको को डराए गा। तो यदि इस के मद्देनजर पब्लिक परसेप्शन पाकिस्तान परस्ती की नहीं बनती और यदि नहीं बनती तो फिर लोग इन घटनाओ को कैसे देखे। क्यंकि मुंबई हिंसा के बाद किसी भी उर्दू अखबार ने इस घटना की मजम्मत नहीं की और न ही किसी को दोषी माना बल्कि इसके ठीक उलट सरकार को ही कटघरे में खड़ा किया गया। तो क्या यह ही न्याय है?

यदि हिन्दुस्तान के हिन्दू जैसे को तैसा करने की प्रवर्ती  रखते जैसा की 1992 के बाबरी ढांचे गिरने के बाद पाकिस्तान या बंगलदेश में या हिन्दुस्तान में प्रतिकिया हुई तो हिन्दू बालक के पाकिस्तानी राष्ट्रीय चैनल पर मुस्ल्मिम धर्मांतरण पर क्या कोई प्रतिक्रिया हुई। क्या शिवानन्द तिवारी या कांग्रेसी निरुपम संजय या असुद्दीन ओवासी इस घटना से हिन्दू रेडिकल होने का कोई खतरा नहीं। बात समझो श्री लैंको में लाखो हिन्दू मरने से हिदू रेडिकल नहीं हो सकता परन्तु बंगलादेश मुसलमानों को हिन्दुस्थान में न बसने देने पर मुस्लिम रेडिकल हो सकता है। वहां क्या तर्क है ओवासी सहिभ?  

क्या अब भी केंद्र सरकार बताएगी की हिन्दु और बहुसंख्यको के खिलाफ "साम्प्रदायिक बिल" कब लाया जायेगा? या वास्तव में हिन्दू ही आतंकवादी है और बाकी मासूम और भटके हुए। इन उपर लिखित घटनाओ में किसी में भी हिन्दू का हाथ नहीं तो क्या कोई मुस्लिम अभी तक सजा पाया? और राजनीति के दुरूपयोग की प्रकाष्ठ यह है की इस मुम्बई हिंसा का ठीकरा भी बीजेपी और शिवसेना पर फोड़ा जा रहा है। संसद में तो कम से कम ऐसा ही लगता है। कांग्रेस और धर्मनिरपेक्षता  दल कम से कम इस पर तो राजनीति न करे।

अभी तक मुंबई हिंसा के भड़काऊ भाषण देने वाले पुलिस की गिरफ्त से बहार क्यूँ है? या महाराष्ट्र सरकार अभी "बाला साहिब ठाकरे के भाषण का इन्तजार कर रही है ?