Tuesday, February 19, 2013

पाकिस्तानी सोच

एक बीयर बार में बीयर से भरे एक मग में एक मक्खी गिर जाने पर...

ब्रिटिश नागरिक : मग फेंककर वहां से चला जाता है...

अमेरिकी नागरिक : मक्खी फेंककर बीयर पी जाता है...
...
चीनी नागरिक : मक्खी खाकर, बीयर पी लेता है...

हिन्दुस्तानी नागरिक :- मक्खी चीनी नागरिक को बेच देता है, बीयर अमेरिकी नागरिक को, और फिर अपने लिए दूसरी बीयर खरीदता है...

पाकिस्तानी नागरिक :- बीयर के मग में मक्खी पहुंच जाने के लिए हिन्दुस्तानी नागरिक को ज़िम्मेदार ठहराता है, उस मुद्दे को कश्मीर से जोड़ता है, चीनी नागरिक से सैन्य मदद मांगता है, और अमेरिकी नागरिक से दूसरी बीयर के लिए उधार मांगता है..

जय हिन्द जय भारत .

अब समय आ गया है कि हमें भाजपा या एन डी ए में से एक को चुनना होगा

अब समय आ गया है कि हमें भाजपा या एन डी ए में से एक को चुनना होगा
क्या आपको याद है जब मुबारक अली के बेटे और नेहरु के भाई जिन्ना की मजार पर जिन्ना चालीसा पढ़ के रथयात्री जी उर्फ़ लौह पुरुष वापस इसी देश में आ गए थे
तब हम संघियों ने उनको कितना... गरियाया था.
लेकिन वे तो ठहरे लौह पुरुष
अपनी लोहे की जीभ को वापस क्यों मोड़ें
उलटे कहने लगे
..."भाजपा को आर एस एस पर निर्भरता छोड़ के अपना कैडर खड़ा करना चाहिए...."

आप हम उनकी धमकी भूल गए मगर वे घुन की तरह इस भाजपा को कुतर कुतर के खाने में लगे रहे
तब उन्होंने जिन्ना खड़ा किया था अब बवाल मचा
अब उन्होंने एन डी ए नाम का नया जिन्न खड़ा कर दिया है ..
केवल उन नेताओं को नीचा दिखाने के लिए जिन्होंने उनको जिन्ना चालीसा पढने पर गरियाया था.

अब यही एन डी ए भाजपा को लील रहा है..
जिन जिन राज्यों में इसने क्षेत्रीय दलों को सहारा दिया वहां रथयात्री गैंग के लोगों ने भाजपा के कद्दावर नेताओं को साइड कर दिया और भाजपा को नष्ट कर दिया

देखिये...
दिल्ली...मदन लाल खुराना और साहब सिंह साफ़... शीला की जवानी बुलंदी पर.... भाजपा साफ़...
यू पी... कल्याण सिंह साफ़...मायावती को एन डी ए ने सपोर्ट किया.. मायावती बम बम ...भाजपा साफ़..
बिहार... नितीश नक्सलाईट चकाचक...भाजपा साफ़...
ओड़िसा... बीजू जनता दल आगे ...भाजपा साफ़
असम...असम गण परिषद् आगे...भाजपा साफ़...
झारखण्ड... शिबू सोरेन जैसे हंडिया बाज आगे.. झामुमो...भाजपा साफ़...
बंगाल...मोमता बहन को गठबंधन में रखा.. अब वह आगे...भाजपा साफ़
तमिलनाडु...जयललिता को गठबंधन में रखा...अन्नाद्रमुक आगे...भाजपा साफ़..
आंध्र... तेलुगुदेशम को साथ रखा... चंद्रबाबू आगे.. भाजपा साफ़...
पंजाब...शिरोमणि आगे. .भाजपा साफ़...

अब जरा इनकी गन्दी राजनीति भी देखिये.. जो भाजपा के नाम पर एन डी ए नाम की पार्टी बना के दिल्ली में बैठे हैं

ये लोग राजस्थान में वसुंधरा राजे को परेशान करते हैं
ये उमा भारती को मध्य प्रदेश में नीचा दिखाते हैं
ये कल्याण सिंह जैसे वीर को यू पी में नीचा दिखाते हैं
ये खंडूरी जी जैसे ईमानदार नेता को उत्तराखंड में नीचा दिखाते हैं
ये लोग कर्णाटक में येद्दियुरप्पा को झूठे मुकदमों में फंसवाते हैं

और अब ये न...मो... (नरेन्द्र मोदी) को आगे आने नहीं देना चाहते...
यह जानते हुए भी कि अगर २०१४ का चुनाव यू पी ए जीत गया तो इस देश में २०१९ के पहले दो चार विभाजन और हो जायेंगे..!!

आखिर ये लोग जो भाजपा के मुख्यालय में बैठ के अपनी अलग दुकान चला रहे हैं... जो एक मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत सकते ...
जो एक नयी पार्टी एन डी ए... नॉन-सेन्स ड्रामेबाज एलाइयेन्स ...चला रहे हैं...
उसकी हम लोगों को क्या जरूरत...!!

क्या ऐसी भाजपा इस देश की करोड़ों आँखों में पल रहे हिन्दुराष्ट्र के सपने को पूरा कर पायेगी...

सोचिये जरा....!!

खानग्रेस की बी टीम है - "अडवाणी गैंग"

खानग्रेस की बी टीम है - "अडवाणी गैंग"
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खानग्रेसी सांसद कुरियन का रेप केस लड़ रहे हैं .. भाजपा के अरुण जेटली ..!!

कुरियन पर दुराचार के केस हैं और वे राज्यसभा जैसे उच्च सदन जिसे विद्वानों, कलाकरों, शिक...्षाशास्त्रियों के द्वारा भरा जाना चाहिए .. उस सदन के उप सभापति के पद की ...'शोभा".. बढ़ा रहे हैं

अभी हाल में मीडिया ने बहुत कोसा था
मगर कहते हैं न राजनेताओं की खाल गैंडे की तरह मोटी होती है
बस फेविकोल लगाकर कुर्सी से चिपके रहे

लेकिन .. ये महाशय .. "अरुण जेटली" .. अपनी केटली में कुरियन की चाय क्यों पका रहे हैं ..!!
क्या कभी साध्वी प्रज्ञा का केस लड़ने का मन नहीं करता .. जेटली जी को .. रविशंकर को ..!

आखिर खान्ग्रेसियों के साथ इनकी इतनी नजदीकियों का राज क्या है ..?

भाजपा को आज किसी से खतरा है तो केवल और केवल .. "अडवाणी गैंग".. से है
यह खानग्रेस की बी टीम है .. भाई

क्या ऐसे लोग जो कुछ लाख वकालत की फीस के लिए खान्ग्रेसियों के रेप के केस लड़ सकते हैं
कल करोड़ों रुपयों के लिए खानग्रेस के साथ मिलकर भाजपा के अन्य नेताओं के विरुद्ध ही खड़े नहीं हो सकते

भाजपा के नेताओं के विरुद्ध ही बिक नहीं सकते ... षड़यंत्र नहीं कर सकते
क्या ऐसे लोगों को भाजपा की केंद्रीय समिति में होने चाहिए ..!

क्या ऐसे लोग न मो .. मोदी जी जैसे व्यक्ति को कभी भी प्रधानमंत्री बनने देंगे
सोचिए जरा ...!!

Saturday, February 16, 2013

Cool Dude लोगों की पहचान या लक्ष्मण इस प्रकार होते है


गुलाम (इंडिया) की सोच के Cool Dude लोगों की पहचान
या लक्ष्मण इस प्रकार होते है ::
1. इनकी प्रोफाइल पिक्चर पर पश्चिमी सभ्यता साफ
झलकती है।
2. कवर फोटो पर किस करते हुए कपल की फोटो होगी जैसे
इनकी परंपरा रही हो।
3. ये देशहित से जुडी पोस्ट को नज़रअंदाज़ करते हैं क्योंकि ये
लोग इंडियन है भारतीय नहीं। देश की सोचना इनके बस
की बात नहीं। इन लोगों को ये पता नहीं कि इंडिया आज
भी गुलाम है आजादी तो भारत
को मिली थी इंडिया को नहीं।
4. इनको राजनीति से बहुत नफरत है पर ये नहीं जानते
राजनीति से भगवान राम कृष्ण भी नहीं बच सके।
राजनीति पर ही देश का भविष्य टिका होता है। पहले के
जमाने में राजा होते थे वो राजनीति थी आज नेता होते है ये
राजनीति है।
5. इन्हें अश्लीलता और बॉलीवुड बहुत पसंद होता है।
6. इन्हें हिन्दी और अपनी मातृभाषा बोलने में शर्म आती है।
ये लोग Hi, LoL, What's up, Dude, Thanks या India Is Love,
Please Chatting आदि इस तरह से बात करते हुए पाये जाते हैं।
7. ये लोग किसी को परेशान करने या यूँ कहे तो धरती पर बोझ
बनकर पैदा होते है। ये लोग अपनी प्रोफाइल में कुछ
अच्छी राष्ट्रहित की पोस्ट कभी नहीं कर सकते।
इनकी प्रोफाइल केवल मित्र जोड़ने तक ही सिमीत होती है
या कई घटिया अश्लीलता वाला पेज लाईक करने तक इन
लोगों को देश व धर्म से कोई लेना देना नहीं... क्योंकि इन
लोगों की आत्मा ही मर चुकी होती हे ये लोग केवल लाश
बनकर जिंदा रहते हैं।
8. ये लोग किसी भी लड़की की प्रोफाइल होगी वहाँ पर
ज्यादा मित्र लिस्ट करेंगे फिर विदेशी डे,मदर डे,फादर डे,
कुत्ता डे, सूअर डे ये डे वो डे पर गुलाब के फूल मैसेज करेंगे और
अँग्रेजीमें लिखेगें I LOVE YOU सामने वाली प्रोफाइल में भले
ही इन लोगों के बाप के माँ की आयु
वाली जनाना हो क्योंकि पैदाइस बिमारी अंग्रेज़ों ने
छोड़ दी थी वो इन लोगों में देखने को मिलती है।
9. इस तरह के लोग सुबह जय श्री राम नाम से शर्म महसूस करेंगे
बल्कि GOOD MORNING कहेंगे शाम को GOOD EVENING
कहेंगे।
10. ये लोग विदेशी डे आते है तो ज्यादा ही उत्सुकता से
मनाते हैं लेकिन इन लोगों ने कभी अपने माँ बाप की दिल से
सेवा नहीं की है, ये लोग गौशाला में नहीं जाएँगे। ये लोग 5
रूपये गौदान नहीं करेंगे लेकिन रोज डे या कुत्ता डे पर 50 रूपये
के नकली फूल जरूर लेंगे।
ऐसे नक्कारा युवाओं से देश क्या उम्मीद कर सकता है, इस सब के
पीछे अश्लील फिल्मे और
मीडिया द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता जिम्मेदार है
और इन लोगों को यही पता नहीं India और Bharat में
धरती आसमान जैसा अंतर है। हम भारत माता कह सकते है
क्या ये गूलामी सोच वाले India माता कहेंगे
तो कैसा लगेगा ?? भारत माता ठीक है या India माता ??
और हमारा मकसद होना चाहिए की इस तरह के
लोगों को देश के प्रति प्रेरित करे... इन्हीं लोगों को भारत
की पहचान दें... इन्हें संस्कार दे धर्म का ज्ञान दें ताकि ये
लोग आने वाली पीढ़ियों को बर्बादी की और ना जाने
दे.... पश्चिमी सभ्यता मैं कुछ भी नहीं पश्चिम में जाकर
तो सूरज भी अस्त हो जाता... उदय हमेशा पूर्व में ही होता है।
॥ इंडियन नहीं भारतीय बनो ॥

Friday, February 15, 2013

सनातन धर्म को सबसे ज्यादा चोट इन्ही पाँच चीजों ने पाहुचाई है


भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को , सनातन धर्म को सबसे ज्यादा चोट इन्ही पाँच चीजों ने पाहुचाई है और पहुचा रही है -
1- इस्लाम अथवा मुसलमान
2- अंग्रेज़ियत अथवा ईसाइयत
3- धर्मनिरपेक्षता
4- धार्मिक पाखण्ड
5- अतिआधुनिकता अथवा नंगापन

अतः अगर आप इस राष्ट्र को उन्नति एवं धर्म को उत्थान के पथ पर अग्रसर होते देखना चाहते है तो इन पांचों कांटो को खुद से निकाल फेंके ,अगर इनमे से प्रत्येक का पूरा बहिष्कार नहीं कर सकते तो जितना हो सके उतना करे ... पाँच चीजे जो राष्ट्र एवं धर्म को प्रगति की गति प्रदान कर सकती है -
1- इस्लाम एवं इस्लाम की दिखाई राह पर चलने वाले मोहम्मदी छाप इस्लामी कीड़ो का पूर्णतः बहिष्कार
2- अंग्रेज़ियत की मानसिक गुलामी से स्वयं को मुक्त कीजिये,अग्रेजी त्योहारो से दूर रहिये , जब तक अङ्ग्रेज़ी की विशेष आवश्यकता न हो ,अपनी मातृभाषा हिन्दी का ही प्रयोग करे....
3 - धर्मनिरपेक्षता धर्मद्रोह का पहला चरण है , धर्म के निरपेक्ष रहने वाला नहीं बल्कि धर्म के सापेक्ष रहने वाला बनिए ... धर्मनिरपेक्षता के विकार को त्याग धर्मसापेक्षता के सदगुण को धारण कीजिये ....
4- धार्मिक पाखंड मनुष्य द्वारा अर्जित किए गए पुण्यों को नष्ट करते है एवं बुद्धि को दूषित करके ईश्वर ,भक्ति एवं वास्तविक श्रद्धा से दूर करते है ... इसलिए दरगाह,मजार ,पीर ,फकीरो एवं सदी के सबसे बड़े पाखंड साई से दूरी बनाए ,एवं प्रभु की और स्वयं को अग्रसर करे
5 - आधुनिकता एक हद में हो तो ठीक है , पर नंगापन ,अश्लीलता ,दिखाना आधुनिकता नहीं बल्कि मूर्खता है ,जिस राष्ट्र के लोग उस राष्ट्र की संस्कृति एवं सभ्यता को धारण किए रहते है ,वही वास्तविक उन्नति, शांति एवं कल्याण को प्राप्त होते है , अतः अपनी संस्कृति का पालन करे ,आधुनिक बने पर सभ्यता से .....

ब्रह्मचर्य की रक्षा


ब्रह्मचर्य की रक्षा से शरीर में बल, तेज, उत्साह एवं ओज की वृद्धि होती है, शीत, उष्ण, पीड़ा आदि सहन करने की शक्ति आती है, अधिक परिश्रम करनेपर भी थकावट कम आती है, प्राणवायु को रोकनेकी शक्ति आती है, शरीर में फुर्ती एवं चेतनता रहती है, आलस्य तथा तन्द्रा कम आती है, बीमारियों के आक्रमण को रोकने की शक्ति आती है, मन प्रसन्न रहता है, कार्य करने की क्षमता प्रचुर मात्रा में रहती है, दूसरे के मनपर प्रभाव डालने की शक्ति आती है, संतान दीर्घायु, बलिष्ट एवं स्वस्थ होती है , इन्द्रियाँ सबल रहती है, शरीर के अंग-प्रत्यंग सुदृढ़ रहते हैं, आयु बढती है, वृद्धावस्था जल्दी नहीं आती, शरीर स्वस्थ एवं हलका रहता है, स्मरणशक्ति बढ़ती है, बुद्धि तीव्र होती है, मन बलवान होता है, कायरता नहीं आती, कर्तव्यकर्म करनेमें अनुत्साह नहीं होता, बड़ी-से-बड़ी विपत्ति आनेपर भी धैर्य नहीं छूटता, कठिनाइयों एवं विघ्न-बाधाओं का वीरता पूर्वक सामना करने की शक्ति आती है, धर्मपर दृढ़ आस्था होती है, अंतःकरण शुद्ध रहता है,

आत्मसम्मान का भाव बढ़ता है, दुर्बलों को सताने की प्रवृत्ति कम होती है, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि के भाव कम होते हैं, क्षमा का भाव बढ़ता है, दूसरों के प्रति सहिष्णुता तथा सहानुभूति बढ़ती है, दूसरों का कष्ट दूर करने तथा दीन-दुखियो की सेवा करनेका भाव बढ़ता है, सत्त्वगुण की वृद्धि होती है, वीर्य में अमोघता आती है, पर-स्त्री के प्रति मातृभाव जाग्रत होता है, नास्तिकता तथा निराशा के भाव कम होते हैं; असफलता में भी विषाद नहीं होता, सबके प्रति प्रेम एवं सद्भाव रहता है तथा सबसे बढ़कर भगवत्प्राप्ति की योग्यता आती है, जो मनुष्य –जीवन का चरम फल है, जिसके लिए यह मनुष्य देह हमें मिला है |

इसके विपरीत ब्रह्मचर्य के नाश से मनुष्य नाना प्रकार की बीमारियों का शिकार हो जाता है, शरीर खोखला हो जाता है, थोड़ा-सा भी परिश्रम अथवा कष्ट सहन नहीं होता, शीत, उष्ण आदि का प्रभाव शरीर पर बहुत जल्दी होता है, स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है, संतान उत्पन्न करने की शक्ति नष्ट हो जाती है, संतान होती भी है तो दुर्लभ एवं अल्पायु होती है , मन अत्यंत दुर्बल हो जाता है, संकल्पशक्ति कमजोर हो जाती है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, जरा भी प्रतिकूलता सहन नहीं होती, आत्मविश्वास कम हो जाता है, काम करने में उत्साह नहीं रहता, शरीर में आलस्य छाया रहता है, चित्त सदा सशंकित रहता है, मन में विषाद छाया रहता है, कोई भी नया काम हाथ में लेने में भय मालूम होता है, थोड़े-से भी मानसिक परिश्रम से दिमाग में थकान आ जाती है, बुद्धि मंद हो जाती है, अधिक सोचने की शक्ति नहीं रहती, असमय में ही वृद्धावस्था आ घेरती है और थोड़ी ही अवस्था में मनुष्य काल के गाल में चला जाता है, चित्त स्थिर नहीं हो पता, मन और इन्द्रियाँ वश में नहीं हो पातीं और मनुष्य भगवत्प्राप्ति के मार्ग से कोसों दूर हट जाता है |


वह न इस लोकमे सुखी रहता है और न परलोक में ही | ऐसी अवस्था में मनुष्य को चाहिए कि बड़ी सावधानी से वीर्य की रक्षा करे | वीर्यरक्षा ही जीवन है और वीर्यनाश ही मृत्यु है, इस बात को सदा स्मरण रखे | गृहस्थाश्रम में भी केवल संतानोत्पादन के उद्देश्य से ऋतुकाल में अधिक-से-अधिक महीने में दो बार स्त्रीसंग करे |
 —

Thursday, February 14, 2013

सेकुलर प्राणियों की एक ऐसी प्रजाति है जिसमे...

सेकुलर प्राणियों की एक ऐसी प्रजाति है जिसमे अनेकों प्राणियों के गुण पाए जाते हैं .गिरगिट की तरह रंग बदलना , लोमड़ी की तरह मक्कारी ,कुत्तों की तरह अपने ही लोगों पर भोंकना ,अजगर की तरह दूसरों का माल हड़प कर लेना .और सांप की तरह धोके से डस लेना .इसलिए ऐसे प्राणी को मनुष्य समझना बड़ी भारी भूल होगी . ऐसे लोग पाखंड और ढोंग के साक्षात अवतार होते हैं .दिखावे के लिए ऐसे लोग सभी धर्मों को मानने का नाटक करते हैं, लेकिन वास्तव में इनको धर्म या ईश्वर से कोई मतलब नहीं होता . अपने स्वार्थ के लिए यह लोग ईश्वर को भी बेच सकते हैं .ना यह किसी को अपना सगा मानते है .और न कोई बुद्धिमान इनको अपना सगा मानने की भूल करे .
वास्तव में आजकल के सेकुलर ही नास्तिक हैं .बौद्ध और जैन नहीं .मुलायम सिंह , लालू प्रसाद ,दिग्विजय सिंह ,और अधिकांश कांगरेसी सेकुलर- नास्तिक है .

Wednesday, February 13, 2013

अफजल का पांच साल का बच्चा

अफजल का पांच साल का बच्चा

वर्तमान तकनिकी युग में शोध का बहुत बड़ा विषय है यह काले घेरे में खड़ा बच्चा
क्यूंकि कुछ मीडिया के द्वारा पता चला है इस बच्चे की उम्र अभी मात्र ५ साल की
है जबकि इसके पिता ११ सालों से तिहाड़ जेल में थे अब ७२ हुर्रो के पास है...

क्या कोई वैज्ञानिक यह पता लगा सकता है की यह कौन सी आधुनिक तकनिकी का नतीजा
है क्यूंकि गूगल गुरु भी इसका उत्तर देने में आपनी असमर्थता जाता चुके हैं.....

वैलेंटाइन डे की कहानी::!


वैलेंटाइन डे की कहानी::!
पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !
http://www.youtube.com/watch?v=V1nW7hUGJws

मित्रो यूरोप (और अमेरिका) का समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता
है पत्नियों में नहीं, यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या
मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से सम्बन्ध
रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की परम्परा है उनके यहाँ | आपने एक शब्द
सुना होगा "Live in Relationship" ये शब्द आज कल हमारे
देश में भी नव-अिभजात्य वगर् में चल रहा है, इसका मतलब होता है कि "बिना शादी
के पती-पत्नी की तरह से रहना" | तो उनके यहाँ, मतलब यूरोप और अमेरिका में ये
परंपरा आज भी चलती है,

खुद प्लेटो (एक यूरोपीय दार्शनिक) का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, प्लेटो
ने लिखा है कि "मेरा 20-22 स्त्रीयों से सम्बन्ध रहा है" अरस्तु भी यही कहता
है, देकातेर् भी यही कहता है, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक
स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly Impossible"
| तो वहां एक पत्नि जैसा कुछ होता नहीं | और इन सभी महान दार्शनिकों का तो
कहना है कि "स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती" "स्त्री तो मेज और कुर्सी के
समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये " | तो बीच-बीच
में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन
रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की | उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही
यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था -
वैलेंटाइन | और ये कहानी है 478 AD (after death) की, यानि ईशा की मृत्यु के
बाद |

उस वैलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो
शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा
नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग (veneral disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक
पति-एक पत्नी के साथ रहो, विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही
शुरू करो" ऐसी-ऐसी बातें वो करते थे और वो वैलेंटाइन महाशय उन सभी लोगों को ये
सब सिखाते थे, बताते थे, जो उनके पास आते थे, रोज उनका भाषण यही चलता था रोम
में घूम-घूम कर |

संयोग से वो चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही
बताते थे, तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया, ये तो
हमारे यूरोप में कहीं नहीं है, तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय सभ्यता और
दशर्न का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और इसिलए मैं
चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो", तो कुछ लोग उनकी बात को मानते थे, तो जो लोग
उनकी बात को मानते थे, उनकी शादियाँ वो चर्च में कराते थे और एक-दो नहीं
उन्होंने सैकड़ों शादियाँ करवाई थी |

जिस समय वैलेंटाइन हुए, उस समय रोम का राजा था क्लौड़ीयस, क्लौड़ीयस ने कहा कि
"ये जो आदमी है-वैलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम
बिना शादी के रहने वाले लोग हैं, मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये
शादियाँ करवाता फ़िर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी संस्कृति को
नष्ट कर रहा है", तो क्लौड़ीयस ने आदेश दिया कि "जाओ वैलेंटाइन को पकड़ के लाओ
", तो उसके सैनिक वैलेंटाइन को पकड़ के ले आये |

क्लौड़ीयस नेवैलेंटाइन से कहा कि "ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधमर्
फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला रहे हो" तो वैलेंटाइन ने कहा कि "मुझे लगता है कि
ये ठीक है" , क्लौड़ीयस ने उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फाँसी की
सजा दे दी, आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियाँ कराते थे, मतलब शादी करना
जुर्म था | क्लौड़ीयस ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने
करवाई थी और उन सभी के सामने वैलेंटाइन को 14 फ़रवरी 498 ईःवी को फाँसी दे
दिया गया |

पता नहीं आप में से कितने लोगों को मालूम है कि पूरे यूरोप में 1950 ईःवी तक
खुले मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फाँसी देने की परंपरा थी | तो जिन बच्चों
ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस
वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस
दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे
मनाया जाता है | मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन, जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते
फ़िरते थे, चूकी राजा ने उनको फाँसी की सजा दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन
डे मनाया जाता है | ये था वैलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार |

अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है जहाँ शादी होना एकदम सामान्य बात है यहाँ
तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो अद्भुत या अचरज लगे लेकिन यूरोप में शादी
होना ही सबसे असामान्य बात है | अब ये वैलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों
में आ गया है और बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के
लड़के-लड़िकयां बिना सोचे-समझे एक दुसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं
| और जो कार्ड होता है उसमे लिखा होता है " Would You Be My Valentine" जिसका
मतलब होता है "क्या आप मुझसे शादी करेंगे" | मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं
है, वो समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं उन्हें ये कार्ड देना चाहिए तो
वो इसी कार्ड को अपने मम्मी-पापा को भी दे देते हैं, दादा-दादी को भी दे देते
हैं और एक दो नहीं दस-बीस लोगों को ये
ही कार्ड वो दे देते हैं |

और इस धंधे में बड़ी-बड़ी कंपिनयाँ लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको
गिफ्ट बेचना है, जिनको चाकलेट बेचनी हैं और टेलीविजन चैनल वालों ने इसका
धुआधार प्रचार कर दिया | ये सब लिखने के पीछे का उद्देँशय यही है कि नक़ल आप
करें तो उसमे अकल भी लगा लिया करें | उनके यहाँ साधारणतया शादियाँ नहीं होती
है और जो शादी करते हैं वो वैलेंटाइन डे मनाते हैं लेकिन हम भारत में क्यों
??????

आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
एक बार यहाँ जरूर click करे !!
https://www.facebook.com/RajivDixitOriginal

http://www.youtube.com/watch?v=V1nW7hUGJws

अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !
वैलेंटाइन डे की कहानी::!
पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !
http://www.youtube.com/watch?v=V1nW7hUGJws

मित्रो यूरोप (और अमेरिका) का समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता
है पत्नियों में नहीं, यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या
मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से सम्बन्ध
रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की परम्परा है उनके यहाँ | आपने एक शब्द
सुना होगा "Live in Relationship" ये शब्द आज कल हमारे
देश में भी नव-अिभजात्य वगर् में चल रहा है, इसका मतलब होता है कि "बिना शादी
के पती-पत्नी की तरह से रहना" | तो उनके यहाँ, मतलब यूरोप और अमेरिका में ये
परंपरा आज भी चलती है,

खुद प्लेटो (एक यूरोपीय दार्शनिक) का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, प्लेटो
ने लिखा है कि "मेरा 20-22 स्त्रीयों से सम्बन्ध रहा है" अरस्तु भी यही कहता
है, देकातेर् भी यही कहता है, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक
स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly Impossible"
| तो वहां एक पत्नि जैसा कुछ होता नहीं | और इन सभी महान दार्शनिकों का तो
कहना है कि "स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती" "स्त्री तो मेज और कुर्सी के
समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये " | तो बीच-बीच
में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन
रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की | उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही
यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था -
वैलेंटाइन | और ये कहानी है 478 AD (after death) की, यानि ईशा की मृत्यु के
बाद |

उस वैलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो
शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा
नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग (veneral disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक
पति-एक पत्नी के साथ रहो, विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही
शुरू करो" ऐसी-ऐसी बातें वो करते थे और वो वैलेंटाइन महाशय उन सभी लोगों को ये
सब सिखाते थे, बताते थे, जो उनके पास आते थे, रोज उनका भाषण यही चलता था रोम
में घूम-घूम कर |

संयोग से वो चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही
बताते थे, तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया, ये तो
हमारे यूरोप में कहीं नहीं है, तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय सभ्यता और
दशर्न का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और इसिलए मैं
चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो", तो कुछ लोग उनकी बात को मानते थे, तो जो लोग
उनकी बात को मानते थे, उनकी शादियाँ वो चर्च में कराते थे और एक-दो नहीं
उन्होंने सैकड़ों शादियाँ करवाई थी |

जिस समय वैलेंटाइन हुए, उस समय रोम का राजा था क्लौड़ीयस, क्लौड़ीयस ने कहा कि
"ये जो आदमी है-वैलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम
बिना शादी के रहने वाले लोग हैं, मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये
शादियाँ करवाता फ़िर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी संस्कृति को
नष्ट कर रहा है", तो क्लौड़ीयस ने आदेश दिया कि "जाओ वैलेंटाइन को पकड़ के लाओ
", तो उसके सैनिक वैलेंटाइन को पकड़ के ले आये |

क्लौड़ीयस नेवैलेंटाइन से कहा कि "ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधमर्
फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला रहे हो" तो वैलेंटाइन ने कहा कि "मुझे लगता है कि
ये ठीक है" , क्लौड़ीयस ने उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फाँसी की
सजा दे दी, आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियाँ कराते थे, मतलब शादी करना
जुर्म था | क्लौड़ीयस ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने
करवाई थी और उन सभी के सामने वैलेंटाइन को 14 फ़रवरी 498 ईःवी को फाँसी दे
दिया गया |

पता नहीं आप में से कितने लोगों को मालूम है कि पूरे यूरोप में 1950 ईःवी तक
खुले मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फाँसी देने की परंपरा थी | तो जिन बच्चों
ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस
वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस
दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे
मनाया जाता है | मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन, जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते
फ़िरते थे, चूकी राजा ने उनको फाँसी की सजा दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन
डे मनाया जाता है | ये था वैलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार |



अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है जहाँ शादी होना एकदम सामान्य बात है यहाँ
तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो अद्भुत या अचरज लगे लेकिन यूरोप में शादी
होना ही सबसे असामान्य बात है | अब ये वैलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों
में आ गया है और बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के
लड़के-लड़िकयां बिना सोचे-समझे एक दुसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं
| और जो कार्ड होता है उसमे लिखा होता है " Would You Be My Valentine" जिसका
मतलब होता है "क्या आप मुझसे शादी करेंगे" | मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं
है, वो समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं उन्हें ये कार्ड देना चाहिए तो
वो इसी कार्ड को अपने मम्मी-पापा को भी दे देते हैं, दादा-दादी को भी दे देते
हैं और एक दो नहीं दस-बीस लोगों को ये
ही कार्ड वो दे देते हैं |

और इस धंधे में बड़ी-बड़ी कंपिनयाँ लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको
गिफ्ट बेचना है, जिनको चाकलेट बेचनी हैं और टेलीविजन चैनल वालों ने इसका
धुआधार प्रचार कर दिया | ये सब लिखने के पीछे का उद्देँशय यही है कि नक़ल आप
करें तो उसमे अकल भी लगा लिया करें | उनके यहाँ साधारणतया शादियाँ नहीं होती
है और जो शादी करते हैं वो वैलेंटाइन डे मनाते हैं लेकिन हम भारत में क्यों
??????

आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
एक बार यहाँ जरूर click करे !!
https://www.facebook.com/RajivDixitOriginal

http://www.youtube.com/watch?v=V1nW7hUGJws

अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

Sunday, February 10, 2013

सनातन धर्म को सबसे ज्यादा चोट इन्ही पाँच चीजों ने पाहुचाई है


भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को , सनातन धर्म को सबसे ज्यादा चोट इन्ही पाँच चीजों ने पाहुचाई है और पहुचा रही है -
1- इस्लाम अथवा मुसलमान
2- अंग्रेज़ियत अथवा ईसाइयत
3- धर्मनिरपेक्षता
4- धार्मिक पाखण्ड
5- अतिआधुनिकता अथवा नंगापन

अतः अगर आप इस राष्ट्र को उन्नति एवं धर्म को उत्थान के पथ पर अग्रसर होते देखना चाहते है तो इन पांचों कांटो को खुद से निकाल फेंके ,अगर इनमे से प्रत्येक का पूरा बहिष्कार नहीं कर सकते तो जितना हो सके उतना करे ... पाँच चीजे जो राष्ट्र एवं धर्म को प्रगति की गति प्रदान कर सकती है -
1- इस्लाम एवं इस्लाम की दिखाई राह पर चलने वाले मोहम्मदी छाप इस्लामी कीड़ो का पूर्णतः बहिष्कार
2- अंग्रेज़ियत की मानसिक गुलामी से स्वयं को मुक्त कीजिये,अग्रेजी त्योहारो से दूर रहिये , जब तक अङ्ग्रेज़ी की विशेष आवश्यकता न हो ,अपनी मातृभाषा हिन्दी का ही प्रयोग करे....
3 - धर्मनिरपेक्षता धर्मद्रोह का पहला चरण है , धर्म के निरपेक्ष रहने वाला नहीं बल्कि धर्म के सापेक्ष रहने वाला बनिए ... धर्मनिरपेक्षता के विकार को त्याग धर्मसापेक्षता के सदगुण को धारण कीजिये ....
4- धार्मिक पाखंड मनुष्य द्वारा अर्जित किए गए पुण्यों को नष्ट करते है एवं बुद्धि को दूषित करके ईश्वर ,भक्ति एवं वास्तविक श्रद्धा से दूर करते है ... इसलिए दरगाह,मजार ,पीर ,फकीरो एवं सदी के सबसे बड़े पाखंड साई से दूरी बनाए ,एवं प्रभु की और स्वयं को अग्रसर करे
5 - आधुनिकता एक हद में हो तो ठीक है , पर नंगापन ,अश्लीलता ,दिखाना आधुनिकता नहीं बल्कि मूर्खता है ,जिस राष्ट्र के लोग उस राष्ट्र की संस्कृति एवं सभ्यता को धारण किए रहते है ,वही वास्तविक उन्नति, शांति एवं कल्याण को प्राप्त होते है , अतः अपनी संस्कृति का पालन करे ,आधुनिक बने पर सभ्यता से .....

Saturday, February 9, 2013

गुजरात से दिल्ली मेट्रो कोच सप्लाई


मित्रो, आज मैंने जो कांग्रेस का पेड फेसबुकिया Umakant Mankad के उस झूठ की पोल खोली जिसमे वो लिखा था की गुजरात से दिल्ली मेट्रो को कोई कोच सप्लाई ही नही हुआ है .. अब झूठ की पोल खुलते देख वो कह रहा है की असल में कोच वडोदरा इम्पोर्ट होते है फिर वो दिल्ली जाते है |

मित्रो, पिछले साल नेशनल जिओग्राफिक पर दिल्ली मेट्रो के बारे में पुरे दो घंटे का कार्यक्रम दिखाया गया था | असल में मेट्रो के कोच को पहले जर्मनी से डीएमआरसी कम्पनी जर्मनी से इम्पोर्ट करती थी कोच की इतनी जल्दी थी की उसे समुद्री रास्ते से नही बल्कि दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक प्लेन एन्तोनोव जो पूर्व सोवियत संघ में बना था उससे लाया जाता था | एन्तोनोव इतना बड़ा और विशाल होता है की ये हर एयरपोर्ट से न लैंडिंग कर सकता है और न ही टेकऑफ़ .. इस लिए दिल्ली के इंदिरा गाँधी एयर पोर्ट पर इसके लिए स्पेशल रनवे बनाया गया था |

मित्रो, इससे कोच अपने मूल कीमत से तीन गुने दाम पर डीएमआरसी को पड़ता था |

फिर मेट्रो कोच बनाने वाली तीन कम्पनियों अल्स्त्रोम, बोम्बार्डियर, और हुन्दै कम्पनियों ने अपना प्रोपोजल भारत सरकार को दिया जिसमे भारत में ही मेट्रो कोच बनाने की बात थी | लेकिन भारत सरकार ने इसे ख़ारिज कर दिया | फिर वो लोग गुजरात के मुख्यमंत्री नरेद्र मोदी से मिले ..और मोदी जी ने तुरंत ही इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए बड़ोदरा के पास सावली में जमीन दे दिया |

मित्रो, आज मेट्रो कोच की फेक्ट्री की वजह से बड़ोदरा में एल एंड टी, अल्स्त्रोम, सीमेंस जैसी बड़ी कम्पनियों ने भी अपना प्रोजेक्ट लगाया क्योकि मेट्रो में ये सारी कम्पनिया माल और पुर्जे सप्लाई करती है |

अपने बनने से लेकर अब तक बड़ोदरा से कम से कम १००० से ज्यादा कोच दिल्ली सप्लाई हो चुके है .. अगर आप दिल्ली मेट्रो कोच के पीछे देखेंगे तो लिखा होगा "मेड इन इंडिया बाई बोम्बार्दियर वडोदरा"

मित्रो, मुर्ख का पर्यायवाची ही कांग्रेसी होता है अब इनको कौन समझाये की मेट्रो कोच सिर्फ एन्तोनोव जैसे प्लेन में ही बड़ोदरा आ सकता है और बड़ोदरा एयरपोर्ट पर एन्तोनोव उतर ही नही सकता ..

और समुद्री जहाज से भी कोच बंदरगाह तक आ सकते है उसके बाद भारत में कोई ऐसा ट्रक नही है जिसपर लादकर ये कोच बड़ोदरा आये | हाँ कांग्रेसियो के सर पर लादकर मैंने कोच ले जाते बहुत देखा है...

---Jitendra Pratap Singh

Thursday, February 7, 2013

आखिर बात-बात में इस्‍लाम खतरे में क्‍यों पड़ जाता है?


लड़कियों के रॉक बैंड पर फतवा! आखिर बात-बात में इस्‍लाम खतरे में क्‍यों पड़ जाता है?




संदीप देव। ये हम किस देश में रह रहे हैं? और इससे भी बड़ी बात ये कि यह देश अभी कौन-से काल में जी रहा है? 21 वीं सदी या फिर 18 वीं सदी...!! कुछ समझ में नहीं आ रहा कि एकाएक कट्टरता का जहरीला बेल क्‍यों समाज को जकड़ने के लिए फैलने लगा है? कश्मीर की लड़कियों के पहले रॉक बैंड 'प्रगाश' के खिलाफ एक मुल्‍ला बाहर निकला और उसने फतवा जारी कर दिया और उसे घाटी के अलगाववादियों के साथ-साथ वहां के नागरिक समाज के एक हिस्‍से का समर्थन भी मिल गया, लेकिन अब इन सब पर आश्‍चर्य नहीं होता!
जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती बशरुद्दीन अहमद ने घाटी में लड़कियों के एक रॉकबैंड 'प्रगाश' को गैर इस्लामिक करार देते हुए उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया। इस फतवे से आहत और अपने व परिवार वालों के जीवन की सुरक्षा के लिए 'प्रगाश' बैंड की तीनों लड़कियां नोमा नजीर, फराह दीबा और अनिका खालिद ने संगीत को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। सूचना तो यह भी है कि इन तीनों ने कश्‍मीर घाटी को भी छोड़ने का मन बना लिया है।
'प्रगाश' का मतलब है 'प्रकाश की किरण', लेकिन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और मुस्लिम धर्मगरुओं ने लड़कियों के इस रॉकबैंड को इस्‍लाम के खिलाफ मानते हुए प्रकाश और आशा की इस किरण को हमेशा के लिए बुझा दिया! हद तो यह हो गई कि श्रीनगर के ग्रैंड मुफ़्ती मुफ़्ती बशीरूद्दीन ने भारतीय समाज में सारी बुरी चीज़ों की जड़ ही संगीत को बता दिया! तो क्‍या इस्‍लाम इतना कमजोर है कि संगीत, कला, फिल्‍म, साहित्‍य आदि से जब तब उसके मिटने का खतरा उत्‍पन्‍न हो जाता है?
इससे पहले कुछ मुल्‍ले इकट्ठे हुए और कमल हासन की फिल्‍म 'विश्‍वरूपम' पर प्रतिबंध की मांग लेकर तमिलनाडु सरकार के पास पहुंच गए और सरकार ने तत्‍काल इस पर प्रतिबंध लगा दिया। अभी दिल्‍ली में विश्‍व पुस्‍तक मेला लगा है, लेकिन इससे पहले कोलकाता पुस्‍तक मेले में सलमान रुश्‍दी को आने से वहां की ममता बनर्जी सरकार द्वारा रोका जाना और उससे भी पहले तस्‍लीमा नसरीन जैसी लेखिका को वहां से न्‍यौता न भेजा जाना, दर्शाता है कि हमारा समाज और हमारी राजनीति दोनों सड़ गल चुकी है। वह इंसानियत से अधिक धर्म के आधार पर सोचती है और उनके लिए धर्म का मतलब सिर्फ फतवा, वोट बैंक और कट्टरता से रह गया है!
अब सवाल उठता है कि इन सब के लिए जिम्‍मेदार कौन लोग हैं? हमारे नेता, राजनीति या हमारा पूरा समाज ? राजनीतिज्ञों को इसके लिए दोषी ठहराना बेहद आसान है, लेकिन मत भूलिए वे वही करते हैं जो हमारा समाज चाहता है और सच पूछिए तो हमारा समाज कट्टरता की भेंट चढ रहा है। अभिव्‍यक्ति की आजादी को रोककर देश की कला, साहित्‍य और संगीत पर बंदिशें दर्शाता है कि हम मध्‍ययुग से भी पीछ पाषाण युग में पहुंच गए हैं, जहां इन सब की समझ विकसित नहीं हो पाई थी। वास्‍तव में वर्तमान समाज की समझ भी अविकसित और कुंठित है। वह बात-बात में धर्म का फतवा पढने के लिए तैयार नजर आता है।
किसी भी देश के लेखक, चित्रकार, फिल्‍मकार उस देश के 'सांस्‍कृतिक राजदूत' होते हैं। समाज से यह उम्‍मीद की जाती है कि वह अपने इन राजदूतों को अभिव्‍यक्ति की आजादी देगा न कि उन पर बंदिश लगाएगा। कश्‍मीर घाटी का प्रगाश बैंड, फिल्‍मकार कमल हासन, लेखक सलमान रुश्‍दी व तसलीमा नसरीन अपने अपने माध्‍यम से अपनी सृजनात्‍मकता को अभिव्‍यक्ति दे रहे हैं, लेकिन वोट बैंक की भाषा समझती सरकारें और भय की भाषा समझाते कटटरपंथियों के लिए इंसान, इंसानियत और उसकी आजादी आज सबसे बड़ी दुश्‍मन हो गई है!
हमारे धर्म के ठेकेदारों, मुल्‍ला-मौलवियों को यह सोचने की जरूर है कि क्‍या हमारा धर्म (कोई भी धर्म हो) इतना कमजोर है कि कुछ लड़कियों के संगीत बैंड, किसी मकबूल फिदा हुसैन की कूचियों, किसी सलमान रुश्‍दी की 'सेटेनिक वर्सेस' और किसी तसलीमा नसरीन की लेखनी से वह बिखर जाएगा? क्‍या हमारा धर्म रेत की नींब पर खड़ा है, जो किसी व्‍यक्ति के फूंक मारने से भरभरा कर गिर जाएगा? यदि हमारा धर्म इतना ही कमजोर है तो फिर इसे गिर जाना चाहिए ताकि समाज में नए धर्मो का उदय हो सके, जो मानवता पर आधारित हो और जो इतना लचीला हो कि उसमें हर कलम, हर कूची और हर विचार को आत्‍मसात करने की क्षमता हो!
सभी धर्मों में एक पर एक सुधारक हुए हैं और वो सुधार तभी कर पाए हैं जब उन्‍होंने तात्‍कालिक धर्म पर सवाल खड़ा किया है। यदि सवाल खड़ा नहीं करते तो हम गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म से परिचित नहीं होते, यदि सवाल खड़ा नहीं करते तो महावीर की शिक्षाओं से हम वंचित ही रह जाते, यदि सवाल खड़ा नहीं करते तो महर्षि दयानंद के विचारों की सुगंध हमें नहीं मिल पाती,यदि सवाल खड़ा नहीं करते तो ओशो जैसे प्रबुद्ध विचारक 'जोरबा द बुद्धा' के जरिए समाज में रहकर संन्‍यस्‍त का भाव जगा नहीं पाते।
नदी और समाज तभी जीवित रहता है, जब तक उसमें प्रवाह है। जिसमें प्रवाह नहीं उस पानी और उस समाज से बदबू उठना शुरू हो जाता है। दुनिया भर की पुरानी सभ्‍यताओं में यदि भारत की सभ्‍यता और संस्‍कृति आज जीवित है तो सिर्फ इस वजह से कि यहां समय-समय पर समाज सुधारक आकर इसके प्रवाह को बनाए रखने में अपना योगदान देते रहे हैं। धर्म में बदलाव व्‍यवस्‍था से नहीं विद्रोह से से आता है। ईसा मसीह भी और मोहम्‍मद साहब भी अपने तात्‍कालिक समाज के लिए एक विद्रोही ही थे तभी वो समाज के विरुद्ध नए विचारों का सृजन कर सके। उस वक्‍त के कठमुल्‍लों से यदि वे डर जाते तो आज न ईसाई धर्म सामने आ पाता और न ही इस्‍लाम...!
जिन्‍हें आज आप भगवान, ईशपुत्र, ईश्‍वरदूत, पैगंबर, नबी कहते हैं वो और कुछ नहीं, बल्कि तात्‍कालिक समाज के विद्रोही विचारक थे, जिन्‍होंने अपने विचार और अपने ज्ञान को फैलाना चाहा और उसे फैलाया। उनके विचारों को उस समय का समाज आत्‍मसात करने को तैयार नहीं था, इसलिए आज की ही तरह उस समय के समाज व धर्म के ठेकेदारों ने भी उन सभी के विरुद्ध धर्म की आड़ लेकर युद्ध की घोषणा और फतवा जारी किया था। कृष्‍ण को मथुरा छोडकर द्वारका नगरी बसानी पड़ी थी, ईसा को सूली दी गई थी, मुहम्‍मद साहब को मक्‍का से मदीना भागना पड़ा था और आधुनिक काल में ओशो को अमेरिका की रीगन सरकार ने जहर देकर मारा था!
विद्रोही विचारकों को भागना या सूली पर चढ़ना तब भी पड़ा था और आज भी पड़ रहा है! न तब का समाज बदलाव को स्‍वीकार करने के लिए तैयार था और न आज का समाज ही बदलाव को तैयार है। मेरे लिए हर कलाकार चाहे वो सलमान रुश्‍दी हो, मकबूल फिदा हुसैन हो, तसलीमा नसरीन हो-सिर्फ एक स्‍वतंत्र विचारक हैं, जिनके विचारों से हमारी सहमति-असहमति हो सकती है, लेकिन उनके खिलाफ फतवा जारी करने का न तो हमें कोई अधिकार है और न ही हमारी कोई ठेकेदारी है।
...और यह कट्टरपंथी सोच इस्‍लाम में खुद ज्‍यादा ही नजर आता है, तभी तो बात-बात में 'इस्‍लाम खतरे में है' का नारा दे दिया जाता है! जैसे कुछ लोगों की अभिव्‍यक्ति की आजादी छीन कर इस्‍लाम की बुनियाद को मजबूत करने का काम पूरा हो जाएगा!
जिस धर्म की बुनियाद कोई व्‍यक्ति, कोई समूह, कोई साहित्‍य, कोई कला, कोई संगीत, कोई फिल्‍म आदि हिलाने लग जाए तो उस समाज के धर्मगुरुओं, विचारकों और बुद्धिजीवियों को मिल-बैठकर उस बुनियाद पर विचार करते हुए लोगों को आजादी से जीने का हक देने के लिए आगे आना चाहिए। बेवजह का वितंडा खड़ा करने से इस्‍लाम का भला नहीं हो रहा, बल्कि उसके प्रति उस और दूसरे समाज में अविश्‍वास की खाई चौड़ी होती जा रही है। इस अविश्‍वास को पाटने और लोगों के दिल से भय निकालने का काम मुस्लिम समाज को ही करना पड़ेगा और उन्‍हें समझना होगा कि इसके लिए अब कोई पैगंबर पृथ्‍वी पर नहीं आने वाले हैं! वैसे भी इस्‍लाम में पैगंबर मोहम्‍मद को आखिरी नबी माना जाता है। ऐसा लगता है कि मुस्लिम समाज यह मान चुका है कि आखिरी नबी के साथ ही इस्‍लाम में सुधार की सारी गुंजाइश भी समाप्‍त हो चुकी है, तभी तो 600 ईस्‍वी के सामाजिक और उससे उपजे धार्मिक विचार को 2013 के समाज और उसमें रहने वालों पर थोपने की कोशिश लगातार होती रहती है!


Wednesday, February 6, 2013

नरेंद्र मोदी के भाषण के मुख्य अंश.....


Narendra Modi's Fan Club, Haryana
नरेंद्र मोदी के भाषण के मुख्य अंश.....

1. व्यवस्था का विकास करने की जिम्मेदारी सुशासन
की
2. नए आयामों की खोज होनी चाहिए
3. इस संविधान और कानून के बूते ही आगे बढ़ सकते हैं.
4,हर चीज को देखने
का अलग-अलग नजरिया होती है.
5. आधी भरी हुई ग्लास को देखने के लिए मेरे पास तीसरी सोच है. वो ग्लास आधा पानी से आधा हवा से भरा हुआ.
6. मैं आशावादी हूं और विश्वास करता हूं कि हम चीजों को पलट सकते हैं.
7. अवसर को कैसे
पकड़ना यह हमारी नीति होनी चाहिए.
8. हमने प्राकृतिक
संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं किया
9. तीन आधार पर गुजरात को विकसित किया. कृषि, उद्योग और सेवा के क्षेत्र पर ध्यान दिया.
10. हमारा देश गरीब
नहीं है
11. मेरे लिए सुराज
का अर्थ है गुड गवर्नेंस है.
12. गुजरात में कृषि का विकास दर 10
फीसदी से ज्यादा.
13. देश की हर चाय में गुजरात का दूध.
14. यूरोप में गुजरात
की भिंडी.
15. गुजरात की अर्थव्यवस्था तीनों क्षेत्रों का बराबर का योगदान.
16. गुजरात का पर्यटन बढ़ा है.
17. गुजरात में देश
का पहला रक्षा विश्वविद्यालय
18. हमें अच्छे टीचर तैयार करने की जरूरत है. मैं चाहता हूं कि पूरे दुनिया में गुजरात का शिक्षक निर्यात हो.
19. 'मेड इन इंडिया'
का परचम पूरी दुनिया में लहरेँ.
20. तकनीक के जरिए
दुनिया में जगह बनानी होगी
21. पूरा विश्व भारत
को एक बड़े बाजार के तौर पर देखता है.
जबकि मेरा मानना है
कि हमें विश्व को अपना बाजार बनाना चाहिए.
22. हमें दक्षिण कोरिया से सीख लेनी होगी
23. उत्पादन और पैकेजिंग की जरूरतः नरेंद्र मोदी
24. अब हम संपेरों का देश नहीं रहे, अब हमारे देश के युवा कंप्यूटर के 'माउस' पर कमाल कर रहे हैं.
25. स्किल, स्पीड और स्केल पर ध्यान देने की जरूरत है.
26. 21वीं सदी ज्ञान
की सदी और इसकी अगुवाई भारत ही करेगा.
27. देश बर्बाद हुआ है वोट बैंक की राजनीति से:नरेंद्र मोदी
28. देश को विकास की राजनीति की जरूरतः नरेंद्र मोदी

शेयर करे और बाकी के पार्टी के नेताओ से सिर्फ विकास के मुद्दे पर उनका क्या विजन हैं और क्या उन्होंने किया हैं और क्या करना चाहते हैं इस
पर बोलने के लिए मजबूर करे|
 — 

Want to make rich - peaceful - powerful - Bharat Desh - Be Honest Just do it

Want to make rich - peaceful - powerful - Bharat Desh - Be Honest Just do it

1. Remove - all caste based reservation - mother of dirty politics 
2. Remove - all big currency - RS. 500/1000 - mother all rapes/murders/sex rackets /arms dealing/drugs etc..
3. No financial benefits on the basis of religion /caste to any one -dirty politics
4. No more than 2 children allowed at any cost to all - 3rd child will be national property for defense only.
5. seal the national border - Invaders r coming
6. 99% intruders of last 10 years should be sent back after screening
7. Cancel all MNC license in non techno products (anti dumping rule is not followed by Govt itself - how?) - MNC are looting /killing by costly & poisons food
8. Free food/medical/shelter/education upto 12 std. to all poor - mandatory
9. Bring all black money from 70 tax havens
10. capital punishment to any one (all big peoples first) within 1 years for cow killing/ rape/ murder/ corruption more than 1 crore - all big peoples first
11. Registration real estate should be min. 75% of market value by white money only.
12. All Taxes should be uniform and less than max. 10% in general cases
13. Compulsory yoga in school /college /office etc..- to remove criminal /bad habits
14. Military training to all min. 1 year -
15. Import should be not more than 50% of export at any condition
16. Change the name of this country back to original name Bharat varsh and remove the name of all invaders /criminals/killers /rapist from the cities /streets /area etc.
17. We have to live Bhrata varsh - vedic /sanatan culture & values etc..
18. Shanskrit should be national language and must for all
19. Cow should be national animal & we should have 10 times cows population
20. highest respect should be given to freedom fighter not film/cricket stars etc..

ऐसा क्या हुआ कि सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चला पड़ा, मगर इस्लाम मार काट, दंगे, खून खराबे


एक बात जिस पर हमें गहन शोध करने की जरुरत है,

सिख और मुसलमान दोनों ही हिन्दुओं से अलग होकर बने, या हिन्दुओं को इन दोनों का पूर्वज भी कह सकते हैं,..

मगर ऐसा क्या हुआ कि सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चला पड़ा, मगर इस्लाम मार काट, दंगे, खून खराबे गैरमुसलमानों को मारना आदि जैसे चीजों पर चल पड़ा ?

सिख आज भी यदि तलवार उठाते हैं तो केवल देश के लिए और अपने सर कटवा देते हैं मगर कभी भी देश का सर नहीं कटने देते, मगर इसके विपरीत इस्लाम में जब भी कौमी ताकतें सर उठाती हैं तो केवल उस देश के विनाश के लिए जहाँ वे रह रहे होते हैं या फिर काफिरों के लिए या फिर अपने ही लोगों के लिए, आजतक कभी भी मुसलमानों ने देश हित के लिए तलवार उठाई है ?

सिख दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़ी ही शान्ति तथा अपने पड़ोसियों के साथ मेल जोल के साथ रहते हैं, और वहाँ की सरकारें उन्हें कभी भी तंग नहीं करती,

मगर इसके विपरीत मुसलमान दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़े ही अशांत तरीके से रहते हैं, अपने पड़ोसियों से उन्हें हमेशा समस्या रहती है, और उस देश की सरकारों द्वारा आए दिन उन पर आंतकवादी या जेहादी होने के आरोप लगते रहते हैं !

सिख केवल 1.5% हैं फिर भी कभी आजतक किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाया कि हमें सरकारी मदद में ये दो या वो दो, भले ही दो रोटी कम खा लेते हैं मगर कभी भी किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाते,

इसके विपरीत भारत में 25% होने के बाद भी मुसलमान आए दिन आरक्षण की माँग करते हैं, और यदि माँगे पूरी नहीं की जाती तो सड़कों पर आ जाते हैं दंगे- फसाद करते हैं, अपने ही देश की सरकारी संम्पति को नुकसान पहुँचाते हैं ?

भारत की आर्मी में सिखों का 55% से ज्यादा का हिस्सा है जबकि वे केवल 1.5% ही हैं, और इसके विपरीत मुसलमानों की 25% आबादी होने के बाद भी वे सेना में किसी समुद्र में एक बूंद की तरह हैं ?

एक सिख कभी भी आपको झुग्गियों या बस्तिओं में रहता हुआ नहीं मिलेगा, मगर मुसलमानों की ज्यादातर आबादी झुग्गियों या बस्तिओं में ही रहती हुई मिलेगी, जिसकी वजह से वे आराम से अपराध करके या गुनाह करके इन झुग्गियों, बस्तिओं में आकर छुप जाते हैं, और पुलिस भी झुग्गियों या बस्तिओं होने की वजह से इन अपराधिओं को पकड़ नहीं पाती है, और जब तक इनका कुछ पता लगता है, जब तक वे बांग्लादेश या पाकिस्तान भाग चुके होते हैं,

ऐसा नहीं है कि सिखों के नेता नहीं होते, मगर आजतक कभी भी किसी सिख नेता के मूह से ऐसी बात सुनी है कि जल्दी ही खलासा हिंदुस्तान पर राज करेगा ? या पन्द्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो फिर देखो हम 24करोड जनता को मार देंगे, या कभी भी सिखों द्वारा किसी भी मजहब के देवी, देवताओं को गाली देते सुना हो ? मगर मुसलमानों के नेता आपको कभी भी किसी मंच से देशहित या मानवता के हित में स्पीच देते हुए नहीं मिलेंगे जब भी उनके द्वारा स्पीच दी जाती है तो केवल देशविरोधी या अन्य धर्मों के खिलाफ गाली दी जाती है, मगर उससे भी ज्यादा दुःख जब होता है जब मुसलमान ऐसे मानवता के दुश्मनों का खुले दिल से समर्थन करते हैं !

सिखों के गुरुद्वारे में हमेशा ना जाने कितने ही भूखे लोगों के लिए लंगर किया जाता है, जिसमें उनका मजहब या उनकी जात- पात नहीं पूछी जाती, मगर मुसलमानों के जितने भी दंगे होते हैं, वे हमेशा ही शुक्रवार की नवाज़ के बाद किए जाते हैं, क्या ये अच्छी बात है अपने अल्ला को याद करने के तुरन्त बाद ही दंगे, मार, काट फसाद किए जाएँ या फिर वो अच्छा है कि अपने वाहेगुरु का नाम लेने के तुरंत बाद ही ना जाने कितने ही भूखे लोगों को लंगर करवाया जाए ?

गुरुद्वारे के गेट हमेशा ही सब के लिए तथा सब मजहब के लोगों के लिए खुले रहते हैं, मगर यदि आप गैरमुसलमान हैं तो आपको मक्का, मदीना में घुसने नहीं दिया जाएगा और आपको गेट से ही भगा दिया जाएगा,

सिख कभी भी किसी के धर्म को नीच या बुरा नहीं कहते, मगर मुसलमानों की सारी जिंदगी केवल गैरमुसलमानों के धर्म को गाली देते- देते ही गुजर जाती है,

एक सिख भी अपने सर को कपडे से ढकता है और एक मुसलमान भी इस्लामिक टोपी से अपने सर को ढकता है, दाढ़ी एक सिख भी रखता है और एक मुसलमान भी रखता है, सिख भी केवल एक वाहेगुरु को मानता है, और मुसलमान भी केवल एक अल्ला में विश्वास रखता है, और दोनों के ही मूल में हिन्दू हैं, जिससे सिख बने और मुसलमान भी बने.

फिर क्यों इतनी सारी समानताएँ होने के बाद भी सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चलता है और इस्लाम धर्म मार, काट, हिंसा, जेहाद के मार्ग पर ?? .

नोट:- इस पोस्ट को मुसलमानों से किसी भी प्रकार के मनमुटाव की वजह से नहीं अपितु इसलिए लिखा है ताकि ये जाना सके कि एक ही मूल से पैदा हुए इन दोनों मजहबों में इतना बड़ा फर्क क्यों है ?

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जय महाकाल, हर- हर महादेव

जय श्री राम, जय माँ भवानी, भारत माता की जय, जय भगवा, जय भारत, जय हिन्दुराष्ट्र, जय गौमातरम...
एक बात जिस पर हमें गहन शोध करने की जरुरत है,


सिख और मुसलमान दोनों ही हिन्दुओं से अलग होकर बने, या हिन्दुओं को इन दोनों का पूर्वज भी कह सकते हैं,..


मगर ऐसा क्या हुआ कि सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चला पड़ा, मगर इस्लाम मार काट, दंगे, खून खराबे गैरमुसलमानों को मारना आदि जैसे चीजों पर चल पड़ा ?

सिख आज भी यदि तलवार उठाते हैं तो केवल देश के लिए और अपने सर कटवा देते हैं मगर कभी भी देश का सर नहीं कटने देते, मगर इसके विपरीत इस्लाम में जब भी कौमी ताकतें सर उठाती हैं तो केवल उस देश के विनाश के लिए जहाँ वे रह रहे होते हैं या फिर काफिरों के लिए या फिर अपने ही लोगों के लिए, आजतक कभी भी मुसलमानों ने देश हित के लिए तलवार उठाई है ?


सिख दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़ी ही शान्ति तथा अपने पड़ोसियों के साथ मेल जोल के साथ रहते हैं, और वहाँ की सरकारें उन्हें कभी भी तंग नहीं करती,

मगर इसके विपरीत मुसलमान दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़े ही अशांत तरीके से रहते हैं, अपने पड़ोसियों से उन्हें हमेशा समस्या रहती है, और उस देश की सरकारों द्वारा आए दिन उन पर आंतकवादी या जेहादी होने के आरोप लगते रहते हैं !

सिख केवल 1.5% हैं फिर भी कभी आजतक किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाया कि हमें सरकारी मदद में ये दो या वो दो, भले ही दो रोटी कम खा लेते हैं मगर कभी भी किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाते, 

इसके विपरीत भारत में 25% होने के बाद भी मुसलमान आए दिन आरक्षण की माँग करते हैं, और यदि माँगे पूरी नहीं की जाती तो सड़कों पर आ जाते हैं दंगे- फसाद करते हैं, अपने ही देश की सरकारी संम्पति को नुकसान पहुँचाते हैं ?

भारत की आर्मी में सिखों का 55% से ज्यादा का हिस्सा है जबकि वे केवल 1.5% ही हैं, और इसके विपरीत मुसलमानों की 25% आबादी होने के बाद भी वे सेना में किसी समुद्र में एक बूंद की तरह हैं ? 

एक सिख कभी भी आपको झुग्गियों या बस्तिओं में रहता हुआ नहीं मिलेगा, मगर मुसलमानों की ज्यादातर आबादी झुग्गियों या बस्तिओं में ही रहती हुई मिलेगी, जिसकी वजह से वे आराम से अपराध करके या गुनाह करके इन झुग्गियों, बस्तिओं में आकर छुप जाते हैं, और पुलिस भी झुग्गियों या बस्तिओं होने की वजह से इन अपराधिओं को पकड़ नहीं पाती है, और जब तक इनका कुछ पता लगता है, जब तक वे बांग्लादेश या पाकिस्तान भाग चुके होते हैं, 

ऐसा नहीं है कि सिखों के नेता नहीं होते, मगर आजतक कभी भी किसी सिख नेता के मूह से ऐसी बात सुनी है कि जल्दी ही खलासा हिंदुस्तान पर राज करेगा ? या पन्द्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो फिर देखो हम 24करोड जनता को मार देंगे, या कभी भी सिखों द्वारा किसी भी मजहब के देवी, देवताओं को गाली देते सुना हो ? मगर मुसलमानों के नेता आपको कभी भी किसी मंच से देशहित या मानवता के हित में स्पीच देते हुए नहीं मिलेंगे जब भी उनके द्वारा स्पीच दी जाती है तो केवल देशविरोधी या अन्य धर्मों के खिलाफ गाली दी जाती है, मगर उससे भी ज्यादा दुःख जब होता है जब मुसलमान ऐसे मानवता के दुश्मनों का खुले दिल से समर्थन करते हैं ! 

सिखों के गुरुद्वारे में हमेशा ना जाने कितने ही भूखे लोगों के लिए लंगर किया जाता है, जिसमें उनका मजहब या उनकी जात- पात नहीं पूछी जाती, मगर मुसलमानों के जितने भी दंगे होते हैं, वे हमेशा ही शुक्रवार की नवाज़ के बाद किए जाते हैं, क्या ये अच्छी बात है अपने अल्ला को याद करने के तुरन्त बाद ही दंगे, मार, काट फसाद किए जाएँ या फिर वो अच्छा है कि अपने वाहेगुरु का नाम लेने के तुरंत बाद ही ना जाने कितने ही भूखे लोगों को लंगर करवाया जाए ?

गुरुद्वारे के गेट हमेशा ही सब के लिए तथा सब मजहब के लोगों के लिए खुले रहते हैं, मगर यदि आप गैरमुसलमान हैं तो आपको मक्का, मदीना में घुसने नहीं दिया जाएगा और आपको गेट से ही भगा दिया जाएगा,

सिख कभी भी किसी के धर्म को नीच या बुरा नहीं कहते, मगर मुसलमानों की सारी जिंदगी केवल गैरमुसलमानों के धर्म को गाली देते- देते ही गुजर जाती है, 

एक सिख भी अपने सर को कपडे से ढकता है और एक मुसलमान भी इस्लामिक टोपी से अपने सर को ढकता है, दाढ़ी एक सिख भी रखता है और एक मुसलमान भी रखता है, सिख भी केवल एक वाहेगुरु को मानता है, और मुसलमान भी केवल एक अल्ला में विश्वास रखता है, और दोनों के ही मूल में हिन्दू हैं, जिससे सिख बने और मुसलमान भी बने.

फिर क्यों इतनी सारी समानताएँ होने के बाद भी सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चलता है और इस्लाम धर्म मार, काट, हिंसा, जेहाद के मार्ग पर ?? . 

नोट:- इस पोस्ट को मुसलमानों से किसी भी प्रकार के मनमुटाव की वजह से नहीं अपितु इसलिए लिखा है ताकि ये जाना सके कि एक ही मूल से पैदा हुए इन दोनों मजहबों में इतना बड़ा फर्क क्यों है ? 

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जय महाकाल, हर- हर महादेव

जय श्री राम, जय माँ भवानी, भारत माता की जय, जय भगवा, जय भारत, जय हिन्दुराष्ट्र, जय गौमातरम...

‎786 -हरे कृष्णा का सूचक है !



‎786 -हरे कृष्णा का सूचक है !


मुसलमान हर जगह यह संख्या लिख देते हैं .और इसे पवित्र और शुभ अंक मानते है ,उनका मानना है कि यह संख्या कुरआन की प्रमुख आयत "बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम "का संख्यात्मक रूप है .क्योंकि अरबी भाषा के 29 अक्षरों के लिए एक एक अंक होता है .चौथी सदी के एक यहूदी "मुरामिर इब्ने मुर्रा "यह विधी बनाई थी .बाद में अरबों ने भी इसे अपना लिया .क्योंकि उस समय दशमलव प्रणाली अरबों को ज्ञात नहीं थी .अरब अक्षरों को अंकों की जगह प्रयोग करते थे .इसके अनुसार 786 का सूचक "हरे कृष्णा "हम पूरी तालिका दे रहे हैं .यद् रहे अरबी भाषा में मात्राएँ नहीं होती हैं .

Letter valuesā/' ا 1 y/ī ي 10 q ق 100

b ب 2 k ك 20 r ر 200

j ج 3 l ل 30 sh ش 300

d د 4 m م 40 t ت 400

h ه 5 n ن 50 th ث 500

w/ū و 6 s س 60 kh خ 600

z ز 7 ` ع 70 dh ذ 700

H ح 8 f ف 80 D ض 800

T ط 9 S ص 90 Z ظ 900

gh غ 1000

अब इसी चार्ट के अनुसार "हरे कृष्णा "शब्द के अक्षर जोड़ रहे है .पाहिले अरबी अक्षर के नाम ,फिर उसका अंगरेजी ,और फिर अक्षर का अंक या उसकी numerical value दे रहे हैं

हे H =5 +रे R =200 +ऐ E =10 +काफ K =20 +रे R =200 +शीन SH =300 +नून N =50 +अलिफ़ A =1 total 786

इस प्रकार से मुसलमान 786 के नाम पर भगवान कृष्ण की उपासना कर रहे हैं

लेकिन इस गणित में मुसलमान भूल कर गए .उनहोंने "रहमान "शब्द के अलिफ़ का एक अंक छोड़ दिया जिस से शब्द "र ह म न "बन गया है .अगर अलिफ़ का एक अंक जोड़ दें तो संख्या 787 हो जायेगी .

यह एक निरर्थक शब्द है .यह सिर्फ र -ह -म -न है अगर इसमे अलिफ़ लगाएं तभी रहमान शब्द बन सकता है .परन्तु कुल संख्या 786 की जगह 787 हो जायेगी .आप पूरा चार्ट देखिये -

Table 5. The 19 Arabic letters of the Basmalah and their corresponding gematrical values. They all add to 786.

Letter No. corresponding gematrical values. They all add to 786.

1 Baa' B 2

2 Siin S 60

3 Miim M 40

4 'Alif A 1

5 Laam L 30

6 Laam L 30

7 Haa' H 5

8 'Aif A 1

9 Laam L 30

10 Raa' R 200

11 H!aa' H 8

12 Miim M 40

13 Nuun N 50

14 'Alif A 1

15 Laam L 30

16 Raa' R 200

17 H!aa' H 8

18 Yaa' Y 10

19 Miim M 40 ----------------------Total =786 ---------------------

अब हिन्दू भी 786 सही अर्थ समझ जायेंगे .हम तो यही मानेगे कि मुसलमान 786 के बहाने कृष्ण की इबादत कर रहे है .

जय श्री कृष्ण

Source
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=335911739860722&set=at.327841357334427.77036.327800040671892.100001392600077.100004180750352.100004241740739.100002427953523&type=1&theater

Tuesday, February 5, 2013

सत्य ना कभी झुका हैं ना कभी झुकेगा


||सत्य ना कभी झुका हैं ना कभी झुकेगा ||

झूटे इतिहास को पढ़ाकर हिन्दुओं को नपुंशक बनाने का षड्यंत्र :-

हम लोगों को जो झुटा इतिहास पढाया जाता हैं इसलिए की ताकि हमे गुलामी की आदत
पड़ जाय |

येही पढ़ते हैं हम हमेशा की

मुगलों ने ४०० साल राज किया, गौरी गजनवी आये, और हमारे मंदिर लूट कर चले गये,

तुर्क अफगान आये, और हम पर सैंकड़ो सालो तक राज करके चले गए, आदि आदि हमको
डराने वाली बातें जिससे हमारे अंदर हीन भावना आजाये ||

कब तक नेहरु गाँधी का झूठा इतिहास पढ़ते रहोगे,

कब तक ये कहते रहोगे, की मुसलमानों ने हम पर ८०० साल राज किया,

____________________

अरे मैं कहता हूँ >>>>>>>>>>>>>>

जला डालो ऐसी किताबो को जहा ये लिखा है की अकबर महान था,

फाड़ दो उन पृष्ठों को जो कहते है की बाबर बहुत शक्तिशाली था,

फेंक दो उन दस्तावेजो को जो कहते है की औरंगजेब ने लाखो कश्मीरी पंडितो के
जनेऊ उतरवाए पर किसी हिन्दू ने प्रतिकार नहीं किया,

1.) अफगानिस्तान के अटक से लेके कटक तक और दक्षिण से दिल्ली तक मुस्लीम सत्ता
को हिंदू वीरो ने महावीरो ने परास्त कर चूर चूर कर दिया |

ये इतिहास गांधी-नेहरू जैसे असुर तुमको कभी नही बतायेंगे....

2.) अफगाणिस्तान पर आक्रमण करके मराठा सेना ने ४५०००/- पठानो को काट फेका और
८०० वर्षो बाद गांधार पर भगवा झंडा लहराया .

3.)सोमनाथ मंदिर तोड़ने वाला भी कुत्ते की तरह टुकड़े टुकड़े कर के चील गिद्धों
को खिला दिया गया इसी देश मैं यह कोई नहीं बताएगा

4.) शिवाजी महाराज के सेनापति हम्बिराव ने ३ घंटे मैं ६०० मुल्लो को काट डाला
था यह कोई नहीं बताएगा ||

5.) दिल्ली का गौरी शंकर मंदिर आज भी उस वीर हिदू गाथा का गवाह है जब वीर
हिन्दू नायक बाजी राव पेशवा प्रथम ने मुगलों की ईंट से ईंट बजा कर दिल्ली पर
भगवा झंडा फहराया था और 800 पुराने गौरी शंकर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था

6.) ये वो राजपूती शुरमे थे जिनके नाम मात्र से मुग़ल सेना काँप जाती थी .|

क्यूँ ??>>>>>>>>>कहीं हिन्दू फिर से तलवार लेकर खड़ा हो गया तो सारे गद्दार कट
कट कर मारे जायेंगे और बचने को कोई छेद नहीं मिलेगा ||

@धन्यवाद ||
@जय श्री राम ||
@जय महाकाल ||
||सत्य ना कभी झुका हैं ना कभी झुकेगा ||

झूटे इतिहास को पढ़ाकर हिन्दुओं को नपुंशक बनाने का षड्यंत्र :-

हम लोगों को जो झुटा इतिहास पढाया जाता हैं इसलिए की ताकि हमे गुलामी की आदत
पड़ जाय |

येही पढ़ते हैं हम हमेशा की

मुगलों ने ४०० साल राज किया, गौरी गजनवी आये, और हमारे मंदिर लूट कर चले गये,

तुर्क अफगान आये, और हम पर सैंकड़ो सालो तक राज करके चले गए, आदि आदि हमको
डराने वाली बातें जिससे हमारे अंदर हीन भावना आजाये ||


कब तक नेहरु गाँधी का झूठा इतिहास पढ़ते रहोगे,

कब तक ये कहते रहोगे, की मुसलमानों ने हम पर ८०० साल राज किया,

____________________

अरे मैं कहता हूँ >>>>>>>>>>>>>>

जला डालो ऐसी किताबो को जहा ये लिखा है की अकबर महान था,

फाड़ दो उन पृष्ठों को जो कहते है की बाबर बहुत शक्तिशाली था,

फेंक दो उन दस्तावेजो को जो कहते है की औरंगजेब ने लाखो कश्मीरी पंडितो के
जनेऊ उतरवाए पर किसी हिन्दू ने प्रतिकार नहीं किया,

1.) अफगानिस्तान के अटक से लेके कटक तक और दक्षिण से दिल्ली तक मुस्लीम सत्ता
को हिंदू वीरो ने महावीरो ने परास्त कर चूर चूर कर दिया |

ये इतिहास गांधी-नेहरू जैसे असुर तुमको कभी नही बतायेंगे....

2.) अफगाणिस्तान पर आक्रमण करके मराठा सेना ने ४५०००/- पठानो को काट फेका और
८०० वर्षो बाद गांधार पर भगवा झंडा लहराया .

3.)सोमनाथ मंदिर तोड़ने वाला भी कुत्ते की तरह टुकड़े टुकड़े कर के चील गिद्धों
को खिला दिया गया इसी देश मैं यह कोई नहीं बताएगा

4.) शिवाजी महाराज के सेनापति हम्बिराव ने ३ घंटे मैं ६०० मुल्लो को काट डाला
था यह कोई नहीं बताएगा ||

5.) दिल्ली का गौरी शंकर मंदिर आज भी उस वीर हिदू गाथा का गवाह है जब वीर
हिन्दू नायक बाजी राव पेशवा प्रथम ने मुगलों की ईंट से ईंट बजा कर दिल्ली पर
भगवा झंडा फहराया था और 800 पुराने गौरी शंकर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था

6.) ये वो राजपूती शुरमे थे जिनके नाम मात्र से मुग़ल सेना काँप जाती थी .|

क्यूँ ??>>>>>>>>>कहीं हिन्दू फिर से तलवार लेकर खड़ा हो गया तो सारे गद्दार कट
कट कर मारे जायेंगे और बचने को कोई छेद नहीं मिलेगा ||


@धन्यवाद ||
@जय श्री राम ||
@जय महाकाल ||

Monday, February 4, 2013

कुत्ता काटने का उपचार



  • Bidyaram Khuswaha shared क्रांतिकारी सोच जो लोगो का स्वाभिमान जगा दे's photo.
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अगर घरेलु कुत्ता काटे तो कोई दिककत नही है पर पागल कुत्ता कटे तो समस्या है। सड़क वाला कुत्ता काटले तो आप जानते है नही उसको इंजेक्शन दिए हुए है या नही, उसने काट लिया तो आप डॉक्टर के पास जायेंगे फिर वो 14 इंजेक्शन लगाएगा वो भी पेट में लगाता है, उससे बहुत दर्द होता है और खर्च भी हो जाता है कम से कम 50000 तक कई बार, गरीब आदमी के पास वो भी नही है । 

कुत्ता कभी भी काटे, पागल से पागल कुत्ता काटे, घबराइए मत, चिंता मत करिए बिलकुल ठीक होगा वो आदमी बस उसको एक दावा दे दीजिये । दावा का नाम है Hydrophobinum 200 और इसको 10-10 मिनट पर जीभ में तिन ड्रोप डालना है । ये दवा आपको किसी भी होमियोपैथिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएगी, कितना भी पागल कुत्ता काटे आप ये दवा दे दीजिये और भूल जाइये के कोई इंजेक्शन देना है। इस दावा को सूरज की धुप और रेफ्रीजिरेटर से बचाना है। रेबिस सिर्फ पागल कुत्ता काटने से ही होता है पर साधारण कुत्ता काटने से रेबिस नही होता। आवारा कुत्तों अगर काट दिया है तो राजीव भाई के अनुसार आप अपना मन का बहम दूर करने के लिए ये दवा दे सकते है लेकिन उससे कुछ नही होता वो हमारा मन का वहम है जिससे हम परेशान रहते है, और कुछ डर डॉक्टरों ने बिठा रखा है के इंजेक्शन तो लेना ही पड़ेगा। अपने शरीर में थोड़े बहुत resistance सबके पास है अगर कुत्ते के काटने से उनके लारग्रंथी के कुछ वायरस चले भी गये है तो उनको ख़तम करने के लिए हमारे रक्त में काफी कुछ है और वो ख़तम कर ही लेता है । लेकिन क्योंकि मन में भय बिठा दिया है शंका हो जाती है हमको confirm नही होता जबतक 20000-50000 खर्च नही कर लेते ये उस समय लिए राजीव भाई ने ये दावा लेने की बात कही है। और इसका एक एक ड्रोप 10-10 मिनट में जीभ पे तीन बार डाल के छोड़ दीजिये । 30 मिनट में ये दवा सब काम कर देगा। ये दवा आपको किसी भी होमियोपैथिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएगी

कई बार कुत्ता घर के बच्चो से साथ खेल रहा होता है और गलती से उसका कोई दाँत लग गया तो आप उस जखम में थोडा हल्दी लगा दीजिये पर साबुन से उस जखम को बिलकुल मत धोये नही तो वो पक जायेगा; हल्दी Antibiotic, Antipyretic, Antititetanatic, Antiinflammatory है।
—
पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !
http://www.youtube.com/watch?v=U0ttweHqcsY

पोस्ट अच्छा लगा तो हमसे जुडिये -@[188234524543882:274:क्रांतिकारी सोच जो लोगो का स्वाभिमान जगा दे]
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    अगर घरेलु कुत्ता काटे तो कोई दिककत नही है पर पागल कुत्ता कटे तो समस्या है। सड़क वाला कुत्ता काटले तो आप जानते है नही उसको इंजेक्शन दिए हुए है या नही, उसने काट लिया तो आप डॉक्टर के पास जायेंगे फिर वो 14 इंजेक्शन लगाएगा वो भी पेट में लगाता है, उससे बहुत दर्द होता है और खर्च भी हो जाता है कम से कम 50000 तक कई बार, गरीब आदमी के पास वो भी नही है ।

    कुत्ता कभी भी काटे, पागल से पागल कुत्ता काटे, घबराइए मत, चिंता मत करिए बिलकुल ठीक होगा वो आदमी बस उसको एक दावा दे दीजिये । दावा का नाम है Hydrophobinum 200 और इसको 10-10 मिनट पर जीभ में तिन ड्रोप डालना है । ये दवा आपको किसी भी होमियोपैथिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएगी, कितना भी पागल कुत्ता काटे आप ये दवा दे दीजिये और भूल जाइये के कोई इंजेक्शन देना है। इस दावा को सूरज की धुप और रेफ्रीजिरेटर से बचाना है। रेबिस सिर्फ पागल कुत्ता काटने से ही होता है पर साधारण कुत्ता काटने से रेबिस नही होता। आवारा कुत्तों अगर काट दिया है तो राजीव भाई के अनुसार आप अपना मन का बहम दूर करने के लिए ये दवा दे सकते है लेकिन उससे कुछ नही होता वो हमारा मन का वहम है जिससे हम परेशान रहते है, और कुछ डर डॉक्टरों ने बिठा रखा है के इंजेक्शन तो लेना ही पड़ेगा। अपने शरीर में थोड़े बहुत resistance सबके पास है अगर कुत्ते के काटने से उनके लारग्रंथी के कुछ वायरस चले भी गये है तो उनको ख़तम करने के लिए हमारे रक्त में काफी कुछ है और वो ख़तम कर ही लेता है । लेकिन क्योंकि मन में भय बिठा दिया है शंका हो जाती है हमको confirm नही होता जबतक 20000-50000 खर्च नही कर लेते ये उस समय लिए राजीव भाई ने ये दावा लेने की बात कही है। और इसका एक एक ड्रोप 10-10 मिनट में जीभ पे तीन बार डाल के छोड़ दीजिये । 30 मिनट में ये दवा सब काम कर देगा। ये दवा आपको किसी भी होमियोपैथिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएगी

    कई बार कुत्ता घर के बच्चो से साथ खेल रहा होता है और गलती से उसका कोई दाँत लग गया तो आप उस जखम में थोडा हल्दी लगा दीजिये पर साबुन से उस जखम को बिलकुल मत धोये नही तो वो पक जायेगा; हल्दी Antibiotic, Antipyretic, Antititetanatic, Antiinflammatory है।

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