बिना संघ और भाजपा के पता चल गयी अन्ना को अपनी औकात
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आपको याद होगा अन्ना का वो रामलीला मैदान वाला अनशन जा पर संघ और भाजपा कार्यकर्ताओ ने अपने पुरे मनो योग से अनशन में सम्लित लोगो
को खाना, दवाइयां व् अन्य जरुरी चीजे बाटी थी और व्यवस्था संभाली थी. लेकिन अन्ना ये समझ बैठे कि ये सब उनके कद का असर है. उसके बाद
अन्ना ने सब पार्टियों को एक जैसा चोर बताया था और कहा था कि हमें किसी के सहारे कि कोई जरुरत नहीं....
अब देखे उनकी कैसी वाट लग गयी--
व्यवस्था परिवर्तन के अभियान के साथ वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे ने बुधवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जनतंत्र रैली की। रैली में
अन्ना ने कहा कि जन लोकपाल और राइट टू रिजेक्ट की लड़ाई और तेज की जाएगी। इस जनतंत्र रैली में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह और किरण
बेदी समेत कई जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
अन्ना हजारे के समर्थकों ने इस रैली में एक लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद जताई थी, लेकिन ऐसी भारी भीड़ नहीं जुट पाई। फिर भी जो लोग भी
पहुंचे, उनमें काफी उत्साह था।
उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अन्ना के मुद्दों का पूरा समर्थन किया है। इस तरह की रैली होनी चहिए। जेपी का सपना था जिसमें काफी
लोग आए थे वो रैली भी परिवर्तन को लेकर ही थी। मालूम हो कि 1974 में जयप्रकाश नारायण ने इसी मैदान से संपूर्ण क्रांति का बिगुल फूंका था। उसके
बाद देश की हवा बदल गई थी। बिहार पहुंचे अन्ना को लेकर भी भारी उत्सुकता दिखी। लेकिन जनतंत्र रैली ने कोई बड़ी उम्मीद नहीं जगाई। कम से कम
भीड़ को पैमाना मानने वाले जानकारों का तो यही कहना है।
आशा है.....अन्ना जी अब तो आपको अपनी औकात पता चल चुकी होगी.. तो समझ जाये और समझा ले अपने उस लुलु चेले को भी...
जय श्री राम , जय हिंद
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आपको याद होगा अन्ना का वो रामलीला मैदान वाला अनशन जा पर संघ और भाजपा कार्यकर्ताओ ने अपने पुरे मनो योग से अनशन में सम्लित लोगो
को खाना, दवाइयां व् अन्य जरुरी चीजे बाटी थी और व्यवस्था संभाली थी. लेकिन अन्ना ये समझ बैठे कि ये सब उनके कद का असर है. उसके बाद
अन्ना ने सब पार्टियों को एक जैसा चोर बताया था और कहा था कि हमें किसी के सहारे कि कोई जरुरत नहीं....
अब देखे उनकी कैसी वाट लग गयी--
व्यवस्था परिवर्तन के अभियान के साथ वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे ने बुधवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जनतंत्र रैली की। रैली में
अन्ना ने कहा कि जन लोकपाल और राइट टू रिजेक्ट की लड़ाई और तेज की जाएगी। इस जनतंत्र रैली में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह और किरण
बेदी समेत कई जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
अन्ना हजारे के समर्थकों ने इस रैली में एक लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद जताई थी, लेकिन ऐसी भारी भीड़ नहीं जुट पाई। फिर भी जो लोग भी
पहुंचे, उनमें काफी उत्साह था।
उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अन्ना के मुद्दों का पूरा समर्थन किया है। इस तरह की रैली होनी चहिए। जेपी का सपना था जिसमें काफी
लोग आए थे वो रैली भी परिवर्तन को लेकर ही थी। मालूम हो कि 1974 में जयप्रकाश नारायण ने इसी मैदान से संपूर्ण क्रांति का बिगुल फूंका था। उसके
बाद देश की हवा बदल गई थी। बिहार पहुंचे अन्ना को लेकर भी भारी उत्सुकता दिखी। लेकिन जनतंत्र रैली ने कोई बड़ी उम्मीद नहीं जगाई। कम से कम
भीड़ को पैमाना मानने वाले जानकारों का तो यही कहना है।
आशा है.....अन्ना जी अब तो आपको अपनी औकात पता चल चुकी होगी.. तो समझ जाये और समझा ले अपने उस लुलु चेले को भी...
जय श्री राम , जय हिंद
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