Thursday, January 31, 2013

कोई नई बात नही है, मुस्लिमस के लिए हमेशा देश से पहले धर्म है चाहे इसके लिए देश से गद्दारी करनी पड़े, बावजुट इसके की इस्लाम मैं गद्दारी हराम है. जो अपनी बेटी का बाप नहीं बन सका जो अपनी बहन का भाई नहीं बन सका ,, जो जय चंद का दोस्त न बन सका जो अपने बाप का बेटा न बन सका वो हिन्दू का भाई कैसे बन सकता है ?? मुस्लिम आबादी देश की कुल आबादी का 25% तक...देश के कुल राजस्व में योगदान 5% भी नही.? भारतीय सेना और फोर्सेज में योगदान 1% सेभी कम.? ... देश में हुई आतंकी गतिविधियों में 99% में लिप्त.? जबकि आरक्षण चाहिए 20%.!!!!!!!!! वाह री कांग्रेस, लानत है तेरी वोट बैंक की मुल्ला तुष्टिकरण नीति पर... सत्ता के लोभियों ने मुस्लिम वोटों के लिए देश बेच दिया और अपनी भारत भूमि से गद्दारी की.. जागो हिन्दुओं जागो सेकुलर नहीं सनातनी बनो ... जय जय सियाराम ,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ||

कोई नई बात नही है, मुस्लिमस के लिए हमेशा देश से पहले धर्म है चाहे इसके लिए देश से गद्दारी करनी पड़े, बावजुट इसके की इस्लाम मैं गद्दारी हराम

है. जो अपनी बेटी का बाप नहीं बन सका जो अपनी बहन का भाई नहीं बन सका ,, जो जय चंद का दोस्त न बन सका जो अपने बाप का बेटा न बन

सका वो हिन्दू का भाई कैसे बन सकता है ??

मुस्लिम आबादी देश की कुल आबादी का 25% तक...देश के कुल राजस्व में योगदान 5% भी नही.?

भारतीय सेना और फोर्सेज में योगदान 1% सेभी कम.? ... देश में हुई आतंकी गतिविधियों में 99% में लिप्त.?

जबकि आरक्षण चाहिए 20%.!!!!!!!!!

वाह री कांग्रेस, लानत है तेरी वोट बैंक की मुल्ला तुष्टिकरण नीति पर... सत्ता के लोभियों ने मुस्लिम वोटों के लिए देश बेच दिया और अपनी भारत भूमि से गद्दारी की..

जागो हिन्दुओं जागो सेकुलर नहीं सनातनी बनो ...

जय जय सियाराम ,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ||

बिना संघ और भाजपा के पता चल गयी अन्ना को अपनी औकात

बिना संघ और भाजपा के पता चल गयी अन्ना को अपनी औकात
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आपको याद होगा अन्ना का वो रामलीला मैदान वाला अनशन जा पर संघ और भाजपा कार्यकर्ताओ ने अपने पुरे मनो योग से अनशन में सम्लित लोगो

को खाना, दवाइयां व् अन्य जरुरी चीजे बाटी थी और व्यवस्था संभाली थी. लेकिन अन्ना ये समझ बैठे कि ये सब उनके कद का असर है. उसके बाद

अन्ना ने सब पार्टियों को एक जैसा चोर बताया था और कहा था कि हमें किसी के सहारे कि कोई जरुरत नहीं....

अब देखे उनकी कैसी वाट लग गयी--

व्यवस्था परिवर्तन के अभियान के साथ वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे ने बुधवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जनतंत्र रैली की। रैली में

अन्ना ने कहा कि जन लोकपाल और राइट टू रिजेक्ट की लड़ाई और तेज की जाएगी। इस जनतंत्र रैली में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह और किरण

बेदी समेत कई जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।

अन्ना हजारे के समर्थकों ने इस रैली में एक लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद जताई थी, लेकिन ऐसी भारी भीड़ नहीं जुट पाई। फिर भी जो लोग भी

पहुंचे, उनमें काफी उत्साह था।

उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अन्ना के मुद्दों का पूरा समर्थन किया है। इस तरह की रैली होनी चहिए। जेपी का सपना था जिसमें काफी

लोग आए थे वो रैली भी परिवर्तन को लेकर ही थी। मालूम हो कि 1974 में जयप्रकाश नारायण ने इसी मैदान से संपूर्ण क्रांति का बिगुल फूंका था। उसके

बाद देश की हवा बदल गई थी। बिहार पहुंचे अन्ना को लेकर भी भारी उत्सुकता दिखी। लेकिन जनतंत्र रैली ने कोई बड़ी उम्मीद नहीं जगाई। कम से कम

भीड़ को पैमाना मानने वाले जानकारों का तो यही कहना है।

आशा है.....अन्ना जी अब तो आपको अपनी औकात पता चल चुकी होगी.. तो समझ जाये और समझा ले अपने उस लुलु चेले को भी...

जय श्री राम , जय हिंद

डा॰ हरी ओम पवार

बाबर हमलावर था मन में गढ़ लेना

इतिहासों में लिखा है पढ़ लेना

जो तुलना करते हैं बाबर-राम की

उनकी बुद्धि है निश्चित किसी गुलाम की

राम हमारे गौरव के प्रतिमान हैं

राम हमारे भारत की पहचान हैं

राम हमारे घट-घट के भगवान् हैं

राम हमारी पूजा हैं अरमान हैं

राम हमारे अंतरमन के प्राण हैं

मंदिर-मस्जिद पूजा के सामान हैं

राम दवा हैं रोग नहीं हैं सुन लेना

राम त्याग हैं भोग नहीं हैं सुन लेना

राम दया हैं क्रोध नहीं हैंजग वालो

राम सत्य हैं शोध नहीं हैं जग वालों

राम हुआ है नाम लोकहितकारी का

रावण से लड़ने वाली खुद्दारी का

दर्पण के आगे आओ

अपने मन को समझाओ

खुद को खुदा नहीं आँको

अपने दामन में झाँको

याद करो इतिहासों को

सैंतालिस की लाशों को

जब भारत को बाँट गई थी वो लाचारी मजहब की |

ऐसा ना हो देश जला दे ये चिंगारी मजहब की ||

----------------------------------- डा॰ हरी ओम पवार

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By Lokesh Sharma

कोई कह दे कब काशी ने काबा की दीवारें तोड़ी,

हमने कब मक्का में जाकर मस्जिद या मीनारें तोड़ी !!

तुम खूब पढो कुराने किन्तु हमको भी वेद पढ़ाने दो,

चन्दा से बैर नहीं लेकिन सूरज को अर्ध्य चढाने दो !!

पर अपनी धर्मसुरक्षा में सूरज की आग नहा लेंगें,

गंगा को पड़ी जरूरत यदि शोणित की नदी बहा देंगे !!

हम सागर हैं पर मत भूलो बलबावन बनकर तपते हैं,

बर्फीली परतों में भी लपटों वाले वंश पनपते हैं !!

तो साफ़ बता दूं अब हिंसक हर लहर मोड़ दी जाएगी,

क्रान्तिग्रंथ में एक कहानी और जोड़ दी जाएगी !!

जो उपवन पर घात करे वो शाख तोड़ दी जाएगी,

जन्मभूमि पर उठी हुई हर आँख फोड़ दी जाएगी !!

जय जय श्री राम ...जय हिंदुत्व.. जय माँ भारती...
जय हो सनातन धर्म की

संघ आतंकवाद की फैक्ट्री या ..... ?


संघ आतंकवाद की फैक्ट्री या ..... ?

by Akhil Bharat Hindu Mahasabha on Friday, January 25, 2013 at 2:19am ·

Press :- Dt.25 Jan.2013


         हिन्दू महासभा नेताओ ने रा.स्व.संघ की स्थापना पारस्पारिक सहयोग के लिए की थी।सन १९३९ कोलकाता हिन्दू महासभा राष्ट्रिय अधिवेशन में डा.हेडगेवार राष्ट्रिय उपाध्यक्ष पद का चुनाव जीते।गुरु गोलवलकर महामंत्री पद का चुनाव हारे इसका ठीकरा उन्होंने सावरकरजी पर फोड़ा और हिन्दू महासभा का त्याग किया। डा हेडगेवार उन्हें संघ दायित्व देकर शांत कर रहे थे तो सावरकरजी ने संघ का हिन्दू महासभा में विलय कर हिन्दू मिलेशिया नया संघठन बनाने की सलाह दे रहे थे।संघ प्रवर्तक डा मुंजे जी ने भी इस बात का समर्थन किया परन्तु,बात नहीं बनी।डा हेडगेवारजी की अकस्मात मृत्यु के बाद पिंगले जी को सर संघ चालक बनना था परन्तु,गुरूजी ने सरसंघ चालक पद कब्ज़ा किया।सैनिकी शिक्षा विभाग के संचालक जोगदंड को पदच्युत किया।संघ ने सावरकर महिमा रोकने के लिए हिन्दू महासभा के विरुध्द शंखनाद किया।इसलिए रामसेना सं.डा.मुंजे-वर्मा (नागपुर), हिन्दुराष्ट्र सेना डा.परचुरे ग्वालियर ,हिन्दुराष्ट्र दल अमरवीर नथुराम गोडसे पुणे में वैकल्पिक संगठन बनाये गए।

         १९४६ असेम्बलि चुनाव में विघटनवादी मानसिकता ने हिन्दू महासभा को पराजित करने गुरु गोलवलकर के सावरकर विद्वेष का लाभ उठाया।विभाजन का विरोध कर रही हिन्दू महासभा को रोकने नेहरू ने अखंड हिन्दुस्थान का वचन देकर संघ का समर्थन प्राप्त किया।संघ सभा परस्पर सहयोगी थे,संघ के प्रत्याशियों को महासभा ने चुनावी मैदान में उतारा था।गुरूजी ने अंतिम समय कांग्रेस समर्थन की घोषणा करते हुए संघ समर्थको को नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया। परिणामतः हिन्दू महासभा १६% मत लेकर पराभूत हुई तो कांग्रेस-मुस्लिम लीग विजयी।कांग्रेस को संघ समर्थन के कारण हिन्दुओ की प्रतिनिधि के रूप में विभाजन करार पर हस्ताक्षर के लिए आमंत्रित किया गया।फिर भी सावरकरजी ने कहा,'संसद में बहुमत से विभाजन रोका जाये !'

       विभाजनोत्तर शरणार्थी हिन्दुओ की घोर उपेक्षा हुई तो पाकिस्तान जा रहे लोगो को रोककर उनके मकान,तबेले में रह रहे शरणार्थी हिन्दुओ को भारी वर्षा और ठण्ड के बिच खुली सड़क पर निराश्रित किया गया।इससे क्रुध्द हिन्दू महासभा के पूर्व राष्ट्रिय महामंत्री अमरवीर पं नथुराम गोडसे जी ने कश्मीर आक्रमण के बाद भी पाकिस्तान और मुस्लिम परस्त मानसिकता के विरोध में गाँधी वध किया। संघ-सभा नेता धरे गए,अभियोग चले। १९४९ अयोध्या आन्दोलन में हिन्दू महासभा को मिली सफलता कुचलने का नेहरू ने भरसक प्रयास किया।यह सफलता राजनितिक जनाधार में न बदले इसलिए, नेहरू-पटेल ने गुरु गोलवलकर पर जिम्मेदारी सौपकर हिन्दू महासभा पक्ष ही तहसनहस कर दिया।उ.भा.संघ चालक बसंतराव ओक ने डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी को साथ लेकर हिन्दू महासभा में सेंध लगायी और भारतीय जनसंघ का निर्माण किया।हिंदुत्व की राजनीती पर यह भितराघात था।व्यक्ति वर्चस्व की राजनीती कहे या विद्वेष ने अखंड हिन्दुस्थान को विभाजन प्रदान किया,हिंदुत्व की राजनीती को च्छेद दिया।
       अखंड हिन्दुस्थान का विभाजन धार्मिक अल्पसंख्या के आधार और जनसंख्या के अनुपात में हुवा। पश्चात् २६ अक्तूबर १९४७ को ६६७ राष्ट्रिय मुसलमानों ने प्रधान मंत्री नेहरू से मिलकर पाकिस्तान समर्थक मुसलमानों को निष्कासित करने की मांग की थी,डॉक्टर आम्बेडकर जी ने लियाकत से समझौता कर जनसँख्या अदला बदली पर सहमती जताई थी।परन्तु,नेहरू ने उसे नकारा।खंडित देश में विभाजनोत्तर आश्रयार्थी मुसलमान धोखादायक बने है। क्यों कि,यह शिक्षा कुराण में ही अंतर्भूत है।विश्व इस्लाम का उद्देश्य है।एल जी वेल्स ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की रुपरेखा में स्पष्ट लिखा है कि,"जब तक दिव्य ग्रन्थ रहेगा,तब तक अरब राष्ट्र विश्व के सभ्य राष्ट्रों के बिच बैठने के योग्य नहीं होंगे !"और इस कथन की पुष्टि भी मिल रही है जमात ए इस्लाम के संस्थापक मौ.मौदूदी अपनी पुस्तक हिन्दू वल्ड के पृ.24 पर लिखता है कि,"इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है।जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा।राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश्य है। 
    खंडित हिंदुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानो के पूर्व निर्धारित अखंड पाक के  मनसुबे और अधिक दृढ हुए है।एक कसाब को फांसी देने से या किसी एक आतंकवादी संगठन पर प्रतिबन्ध डालने से कभी आतंकवाद समाप्त होनेवाला नहीं है।इस्लाम की स्थापना पूर्व की शोश्यल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने से पता चलेगा कि,विश्व ख्रिश्च्यानिती के विरोध में संगठित हुए शिव लिंग पूजक कबायली काब्बा में श्रध्दा पूर्वक संगठित कैसे हुए।अलिफ़ लाम मीम जिसे हरूफ ए मुक्तआत कहा जाता है वह ॐ है और उसे परम दयालु मान्य किया गया है।

       परन्तु,इस्लाम के उत्तराधिकारियों ने ग्रन्थ में प्रचलित प्रथाओ को धर्मज्ञा समझकर तथा अपनी आवश्यकता (अरबी साम्राज्यवाद) के अनुसार कुछ वचनों (आयत) को अंतर्भूत किया।उनके अनुसार अरबी साम्राज्यवाद का आन्दोलन अब विश्व इस्लाम का स्वरुप ले चूका है। ९/११ अमेरिका पर हमले करनेवाले मुसलमानों की, तथा २६/११ के पश्चात् मुस्लिम ब्रदरहुड की योजना यह है की,देश तोडना,सरकार गिराना। अरबी-इस्लामी राष्ट्रों में हो रहे राजनितिक आन्दोलन और सत्तांतरण तथा हत्या उस ही का परिणाम है।पाकिस्तान हो या अफ़गानिस्तान पूर्व हिन्दू आपसी वर्चस्व में लड़ रहे है क्यों की उनपर इस्लामी धर्मशिक्षा का प्रभाव है। विभाजन के पश्चात् भी आश्रयार्थी मुसलमानों की अखंड पाकिस्तान की मानसिकता राजनितिक प्रश्रय से दृढ़ हुई है। हिन्दू जाती-पंथ-भाषा भेद में विघटित होकर आपस में लड़ रहे है।उसके लिए आरक्षण समस्या बनी है।
            लाहोर से प्रकाशित होनेवाला इस्लामी पत्र "लिजट" में अलिगढ यूनिवर्सिटी के प्रा.कमरुद्दीन खान का लिखा हुवा पत्र पुणे के 'मराठा' व देहली के 'ऑर्गनायझर' में २१ अगस्ट १९४७ को प्रकाशित हुवा था।उसमे विभाजनोत्तर खंडित हिंदुस्थान को हजम करने के लिए मुसलमानो की 'गिध्ददृष्टी' का खुलासा हुवा है।कमरुद्दीन लिखता है ,"५ करोड मुसलमानो को पाकिस्तान निर्मिती के बाद भी हिंदुस्थान में रहने के लिए विवश किया है .उन्हें अपनी आझादी की दुसरी लढाई लढनी होगी और जब यह दुसरा संघर्ष आरंभ होगा तब हिंदुस्थान के पूर्व और पश्चिम सीमा प्रांत में पाकिस्तान की भौगोलिक तथा राजनीतिक स्थिती हमारे भारी हित की होगी इसमें कोई संदेह नहीं. कि,इस उद्देश्य के लिए दुनिया के सभी मुसलमानो का सहकार्य हमें प्राप्त होगा." इस उद्देश्य की पुर्ती के लिए उसने ४ उपाय बताये थे।
     * १)हिंदूंओ की वर्ण व्यवस्था में कमी का लाभ उठाकर ५ करोड अछुतोंको हजम कर (धर्मांतरित कर) मुसलमानो की जनसंख्या बढ़ाना. (जो एक से अधिक विवाह, लव जिहाद,धर्मान्तरण,परिवार नियोजन का विरोध कर वृध्दि हो गयी है. विस्तार से निचे लिखा है.)   * २)हिंदू  प्रांत के राजनीतिक महत्व के स्थानोंपर लक्ष केंद्रित करना.उदाहरणार्थ संयुक्त प्रांत (उ.प्र.) में मुसलमानो को पश्चिम क्षेत्र (पश्चिमी उ.प्र.) अधिक संख्या में आकर मुस्लीम बहुल क्षेत्र बनाना.बिहार के मुसलमानोने पूर्णिया में संगठित रूप से बसना और पूर्व पाकिस्तान से जुड़ जाना. (१९४७ पूर्व से मुंबई प्रान्त को मुस्लिम बहुल बनाने का षड्यंत्र इसलिए हो रहा है की सिंध से जोड़ा जाये परन्तु,विभाजनोत्तर भी यह षड्यंत्र जारी होने के प्रमाण ११/८/२०१२ आझाद मैदान,मुंबई रझा अकादमी के दंगे से स्पष्ट हुवा है.) * ३)पाकिस्तान से निकटतम संपर्क बनाकर रखना और उनके निर्देशोंका पालन करना. (जो हर गाव-शहर-प्रान्त में बसे स्लीपर सेल कहे जाते है.)  * ४)अलिगढ युनिवर्सिटी जैसी मुस्लीम संस्थाओ को दुनियाभर के मुसलमानों के लिए केंद्र बनाना।
* दिनांक १८ ऑक्टोबर १९४७ के नव भारत में एक लेख प्रकाशित हुवा था.विभाजनोत्तर पाकिस्तान सरकार व उसके हस्तक खंडित हिंदुस्थान के लोकतंत्र को दुर्बल बनाकर छोटे छोटे असंख्य पाकिस्तान खड़े करने का षड्यंत्र कैसे किया जा रहा है उसपर प्रकाश डालकर निझाम ने छह सप्ताह में एक लक्ष मुसलमानो को पाकिस्तान से लाकर कैसे लाकर बसाया उसपर दृष्टीक्षेप डाला है।
* 'हिंदुस्थान हेरॉल्ड' नुसार निझाम ने २ लक्ष रुपये खर्च कर वहा के अछुतोंको धर्मांतरित करने  आंदोलन खड़े करने के लिए हिंदूंओ को भगाने का षड्यंत्र आरम्भ किया था,को उजागर किया।( इस वार्ता के पश्चात् डॉ.बाबासाहेब ने निझाम को धमकी देकर बलात धर्मांतरण ना करने का इशारा मक्रणपूर चालिसगाव की महार परिषद में दिया. आंबेडकर अनुयायी इराप्पा ने निझाम का वध करने का असफल प्रयत्न किया.)
 *श्री.शंकर शरण जी ने  दैनिक जागरण २३ फरवरी २००३ में लिखे लेख पर एक पत्रक हिंदू महासभा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय श्री.जगदीश प्रसाद गुप्ता,खुर्शेद बाग,विष्णु नगर,लक्ष्मणपुरी (लखनौ) ने प्रकाशित किया था। १८९१ ब्रिटीश हिंदुस्थान जनगणना आयुक्त ओ.डोनेल नुसार ६२० वर्ष में हिंदू जनसंख्या विश्व से नष्ट होगी. १९०९ में कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने १८८१ से १९०१, ३ जनगणना नुसार ४२० वर्ष में हिंदू नष्ट होंगे ऐसा भविष्य व्यक्त किया था।१९९३ में  एन.भंडारे,एल.फर्नांडीस,एम.जैन ने ३१६ वर्ष में खंडित हिंदुस्थान में हिंदू अल्पसंख्यक होंगे ऐसा भविष्य बताया गया है।१९९५ रफिक झकेरिया ने अपनी पुस्तक द वाईडेनिंग डीवाईड में ३६५ वर्ष में हिंदू अल्पसंख्यांक होंगे ऐसा कहा है। परंतु,कुछ मुस्लीम नेताओ के कथाना नुसार १८ वर्ष में (अर्थात २००३+१८=२०२१ में ?) हिंदू (पूर्व अछूत-दलित-सिक्ख-जैन-बुध्द  भी)अल्प संख्यांक होंगे।अभी हिन्दुओ ने संविधानिक समान नागरिकता का स्वीकार कर विषमता नष्ट नहीं की तो आनेवाली पीढ़िया हमें कोसेंगी।

           यु.एस.न्यूज एंड वल्ड रिपोर्ट या अमेरिकन साप्ताहिक के संपादक मोर्टीमर बी.झुकर्मेन ने २६/११ मुंबई हमले के पश्चात् जॉर्डन के अम्मान में मुस्लीम ब्रदरहूड संगठन के कट्टरवादी ७ नेताओ की बैठक सम्पन्न होने तथा पत्रकार परिषद का वृतांत प्रकाशित किया था।ब्रिटीश व अमेरिकन पत्रकारो ने उनकी भेट की और आनेवाले दिनों में उनकी क्या योजना है ? जानने का प्रयास किया। 'उनका लक्ष केवल बॉम्ब विस्फोट तक सिमित नहीं है, उन्हें उस देश की सरकार गिराना , अस्थिरता-अराजकता पैदा करना प्रमुख लक्ष है।' झुकरमेन आगे लिखते है ,' अभी इस्त्रायल और फिलिस्तीनी युध्द्जन्य स्थिति है। कुछ वर्ष पूर्व मुस्लीम नेता फिलीस्तीन का समर्थन कर इस्त्रायल के विरुध्द आग उगलते थे।अब कहते है हमें केवल यहुदियोंसे लड़ना नहीं अपितु, दुनिया की वह सर्व भूमी स्पेन-हिन्दुस्थान समेत पुनः प्राप्त करनी है,जो कभी मुसलमानो के कब्जे में थी।' पत्रकारो ने पूछा कैसे ? ' धीरज रखिये हमारा निशाना चूंक न जाये ! हमें एकेक कदम आगे बढ़ाना है। हम उन सभी शक्तियोंसे लड़ने के लिए तयार है जो हमारे रस्ते में रोड़ा बने है !' ९/११ संदर्भ के प्रश्न को हसकर टाल दिया.परन्तु, 'बॉम्ब ब्लास्ट को सामान्य घटना कहते हुए इस्लामी बॉम्ब का  धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद को पहचानेगी. ' कहा. झुकरमेन के अनुसार," २६/११ मुंबई हमले के पीछे ९/११ के ही सूत्रधार कार्यरत थे।चेहरे भले ही भिन्न होंगे परंतु, वह सभी उस शृंखला के एकेक मणी है।" इनको सरकार ने भी सेफ पैसेज दिया है।
         हिंदुस्थान सरकार तथा सभी दलोंको केवल मत पेटी की राजनीती छोड़कर राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टीसे देखकर पाकिस्तान देने के पश्चात् भी पीछे छूटे आश्रयार्थी राष्ट्रिय एकात्मता,संविधान तथा संविधानिक समान नागरिकता का विरोध करनेवाले राष्ट्रद्रोहियो की नागरिकता समाप्त करनी चाहिए। अराष्ट्रीय धर्मान्तरण,घुसपैठ,लव्ह जिहाद और जनसँख्या वृध्दि के कारण आतंरिक सुरक्षा के लिए मुसलमान विश्व में धोखादायक बने है। इसे आतंक कहा जाना चाहिए। ३१ जुलाई १९८६ मेट्रो पोलिटिन कोर्ट देहली ने विघातक मानी २४ आयत पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाना चाहिए,सुरक्षा क्षेत्र में किसी भी मुस्लिम को प्रवेश वर्जित हो।ऐसे सुरक्षात्मक पग नहीं उठाये तो घर में बैठा आस्तीन के सांप को,राजाश्रय से अखंड पाक बनाने में समय नहीं लगेगा। विघटनवाद-विदेशी धार्मिक-आर्थिक आतंकवाद को कुचलने के लिए मुलायम नहीं कठोर निर्णय लेकर संविधान की राष्ट्रद्रोह की धारा १२४ ए को और अधिक कठोर बनाये तथा राष्ट्रीय धर्म संस्कृति और जनता की रक्षा करे।खंडित हिन्दुस्थान में निःशस्त्र-विघटित हिन्दुओ को स्वरक्षा के लिए प्रतिकार के कारण बलि का बकरा बनाकर हिन्दू आतंकवाद का रंग न दिया जाये।देखिये इस्लाम की शिक्षा क्या है ?
कुराण  की चौबीस आयतें और उन पर मेट्रो पोलीटिन कोर्ट, देहली का निर्णय 
श्री इन्द्रसेन शर्मा (तत्कालीन राष्ट्रिय उपाध्यक्ष अ.भा.हिन्दू महासभा ) और राजकुमार आर्य जी ने कुरान मजीद (अनु. मौहम्मद फारुख खां, प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुर उ.प्र. १९६६) की कुछ निम्नलिखित आयतों का एक पोस्टर छपवाया जिसके कारण इन दोनों पर इण्डियन पीनल कोड की धारा १५३ए और २६५ए के अन्तर्गत (एफ.आई.आर. २३७/८३यू/एस, २३५ए, १ पीसी होजकाजी, पुलिस स्टेशन दिल्ली) न्यायालयीन विवाद चलाया गया।पढ़े !
१ -“फिर, जब हराम के महीने बीत जाऐं, तो ‘मुश्रिको’ को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे ‘तौबा’ कर लें ‘नमाज’ कायम करें और, जकात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है।” (पा० १०, सूरा. ९, आयत ५,२ख पृ. ३६८)
२ - “हे ‘ईमान’ लाने वालो! ‘मुश्रिक’ (मूर्तिपूजक) नापाक हैं।” (१०.९.२८ पृ. ३७१)
३ - “निःसंदेह ‘काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।” (५.४.१०१. पृ. २३९)
४ - “हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) उन ‘काफिरों’ से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।” (११.९.१२३ पृ. ३९१)
५ - “जिन लोगों ने हमारी “आयतों” का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं” (५.४.५६ पृ. २३१)
६ - “हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा ‘कुफ्र’ को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे” (१०.९.२३ पृ. ३७०)
७ - “अल्लाह ‘काफिर’ लोगों को मार्ग नहीं दिखाता” (१०.९.३७ पृ. ३७४)
८ - “हे ‘ईमान’ लाने वालो! उन्हें (किताब वालों) और काफिरों को अपना मित्र बनाओ। अल्ला से डरते रहो यदि तुम ‘ईमान’ वाले हो।” (६.५.५७ पृ. २६८)
९ - “फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।” (२२.३३.६१ पृ. ७५९)
१० - “(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे ‘जहन्नम’ का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।”
११ - “और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके ‘रब’ की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।” (२१.३२.२२ पृ. ७३६)
१२ - “अल्लाह ने तुमसे बहुत सी ‘गनीमतों’ का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,” (२६.४८.२० पृ. ९४३)
१३ - “तो जो कुछ गनीमत (का माल) तुमने हासिल किया है उसे हलाल व पाक समझ कर खाओ” (१०.८.६९. पृ. ३५९)
१४ - “हे नबी! ‘काफिरों’ और ‘मुनाफिकों’ के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना ‘जहन्नम’ है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे” (२८.६६.९. पृ. १०५५)
१५ - “तो अवश्य हम ‘कुफ्र’ करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।” (२४.४१.२७ पृ. ८६५)
१६ - “यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का (‘जहन्नम’ की) आग। इसी में उनका सदा का घर है, इसके बदले में कि हमारी ‘आयतों’ का इन्कार करते थे।” (२४.४१.२८ पृ. ८६५)
१७ - “निःसंदेह अल्लाह ने ‘ईमानवालों’ (मुसलमानों) से उनके प्राणों और उनके मालों को इसके बदले में खरीद लिया है कि उनके लिए ‘जन्नत’ हैः वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं।” (११.९.१११ पृ. ३८८)
१८ - “अल्लाह ने इन ‘मुनाफिक’ (कपटाचारी) पुरुषों और मुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से ‘जहन्नम’ की आग का वादा किया है जिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है। अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनके लिए स्थायी यातना है।” (१०.९.६८ पृ. ३७९)
१९ - “हे नबी! ‘ईमान वालों’ (मुसलमानों) को लड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तो एक हजार काफिरों पर भारी रहेंगे, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो समझबूझ नहीं रखते।” (१०.८.६५ पृ. ३५८)
२० - “हे ‘ईमान’ लाने वालों! तुम यहूदियों और ईसाईयों को मित्र न बनाओ। ये आपस में एक दूसरे के मित्र हैं। और जो कोई तुम में से उनको मित्र बनायेगा, वह उन्हीं में से होगा। निःसन्देह अल्लाह जुल्म करने वालों को मार्ग नहीं दिखाता।” (६.५.५१ पृ. २६७)
२१ - “किताब वाले” जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं न अन्तिम दिन पर, न उसे ‘हराम’ करते हैं जिसे अल्लाह और उसके रसूल ने हराम ठहराया है, और न सच्चे दीन को अपना ‘दीन’ बनाते हैं उनकसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित (अपमानित) होकर अपने हाथों से ‘जिजया’ देने लगे।” (१०.९.२९. पृ. ३७२)
२२ - “…….फिर हमने उनके बीच कियामत के दिन तक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा जो कुछ वे करते रहे हैं। (६.५.१४ पृ. २६०)
२३ - वे चाहते हैं कि जिस तरह से वे काफिर हुए हैं उसी तरह से तुम भी ‘काफिर’ हो जाओ, फिर तुम एक जैसे हो जाओः तो उनमें से किसी को अपना साथी न बनाना जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और यदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहीं पाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो। और उनमें से किसी को साथी और सहायक मत बनाना।” (५.४.८९ पृ. २३७)
२४ - उन (काफिरों) से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और ‘ईमान’ वालों लोगों के दिल ठंडे करेगा” (१०.९.१४. पृ. ३६९)
माननीय न्यायालय ने माना,"उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।" मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट श्री जेड़ एस. लोहाट ने ३१ जुलाई १९८६ को फैसला सुनाते हुए लिखाः ”मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद से मिलान किया और पाया कि सभी अधिकांशतः आयतें वैसे ही उधृत की गई हैं जैसी कि कुरान में हैं। लेखकों का सुझाव मात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाईं गईं तो साम्प्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल हो जाऐगा। मैं ए.पी.पी. की इस बात से सहमत नहीं हूँ कि आयतें २,५,९,११ और २२ कुरान में नहीं है या उन्हें विकृत करके प्रस्तुत किया गया है।” तथा उक्त दोनों महानुभावों को बरी करते हुए निर्णय दिया कि- “कुरान मजीद” की पवित्र पुस्तक के प्रति आदर रखते हुए उक्त आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा की शिक्षा देती हैं, जिनसे एक तरफ मुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेष समुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होने की सम्भावना है।”
                             (ह. जेड. एस. लोहाट, मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट दिल्ली ३१.७.१९८६)
इन आयातों को हटाये बिना मुस्लिम विश्व में और गैर मुस्लिम विश्व में भी शांति जिसे अमन कहते है,प्रस्थापित नहीं होगी।सभी धर्म-पंथ के धर्माचार्यो-सरकार को इस पर गंभीरता से अध्ययन करने की आवश्यकता है।संघ आतंकवादी है या हिन्दुघाती यह देश का हिन्दू तय करेगा। २६/११ हमले में मुस्लिम आतंकवाद-आक्रमण को प्रोत्साहन देनेवाले, श्री.नारायण राणे को न्यायालय में साक्ष देने को जाने से रोकते है।अगस्त में आझाद मैदान में हमले के आरोपियों को मुक्त करती है। यह सरकार आतंकवादियों को प्रोत्साहन देकर लक्षित सांप्रदायिक हिंसा कानून (विधि विधान ) लाकर हिन्दुओ को प्रतिकार से भी रोकना चाहती है ऐसी सरकार आतंकवाद को पोषित करती है और संघ को आतंकवाद की फैक्ट्री कहकर आनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए समर्थन देने के लिए बाध्य करती है तो उसका परिणाम अखंड पाकिस्तान ही होगा। हिन्दू बंटा,देश टुटा !
जनता जनार्दन तय करे सर्व दलीय हिन्दू संसद एकमात्र विकल्प है !
संस्थापक-हिन्दू पार्लियामेंट्री बोर्ड,सेन्ट्रल हाल,हिन्दू महासभा भवन,मंदिर मार्ग,नई देहली-११० ००१

Wednesday, January 30, 2013

शाकाहारी हो जाएं सावधान


शाकाहारी हो जाएं सावधान
दैनिक उपयोग की वस्तुओं में पशु चर्बी और अन्य पशु अवयवों की मिलावट का गोरखधंधा

बेईमान लोगों ने आज अपनी सारी सीमाएं लांघ दी हैं सामाजिक जीवन में हिंसा और मांसाहार का बोलबाला है. जो शाकाहारी हैं उनको जाने-अनजाने मांसाहार करने को मजबूर किया जा रहा है. दैनिक उपयोग की वस्तुओं में पशु चर्बी और अन्य पशु अवयवों की मिलावट का गोरखधंधा बिना रोकटोक के जारी है और आम आदमी असहाय सा खड़ा दूसरों को ताक रहा है और सोच रहा है कि कोई तो आएगा जो इस षड्यंत्र को रोकेगा.

जीवन की भागदौड़ में लोग इतने उलझे हैं कि उन्हें इस सब के बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं है. यदि आप ऐसे लोगों को बताएँ कि अमुक वस्तु में किसी जानवर की चर्बी, खून या अन्य कोई पशु अंग मिलाया गया है या जानवर या किसी निरीह पक्षी को मारकर या कठोर पीड़ा देकर फलां सौंदर्य प्रसाधन (कोस्मैटिक ) बनाया गया है तो उनके जवाब मन को बड़ी पीड़ा पहुँचाने वाले होते हैं :

हम क्या कर सकते हैं? मेक-अप के लिए अहिंसक सामग्री मिलती कहाँ है? क्या हम खाना-पीना छोड़ दें? हमारे पास ये सब देखने का समय नहीं कि किस डिब्बाबंद सामान में क्या (Ingredients of Items) मिलाया गया है?

समाधान :- भारत में खाद्य-सामग्री पर हरा वृत्त ग्रीन सर्कल’ (शाकाहार के लिए )/ कत्थई वृत्त ब्राउन सर्कल’ (मांसाहार के लिए ) निशान लगाने का क़ानूनी नियम है ताकि ग्राहक को पता चल सके कि अमुक आइटम शाकाहारी है या मांसाहारी.  पर इस क़ानूनी नियम का भी दुरूपयोग किया जा रहा है, बड़ी-बड़ी और नामी कम्पनियाँ भी इसमें शामिल हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई कदम उठाया गया हो, ऐसा सुनने-पढ़ने में नहीं आया, जबकि अक्सर समाचार-पत्रों, टी.वी में पढ़ने-सुनने में आता रहता है कि चोकलेट -बिस्किट-चिप्स-वेफर्स आदि में पशु चर्बी-अंग आदि मिलाये जाते हैं और हम शाकाहारी हरा निशान देखकर ऐसे डिब्बाबंद खाद्यपदार्थ उपयोग में ले लेते हैं
जबकि ई-नम्बर्स (ये संख्याएँ यूरोप में डिब्बाबंद खाद्य-सामग्री (पैक्ड फ़ूड आइटम्स)के अवयव (घटक पदार्थ) दर्शाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं) की छानबीन की जाए तो पता चलता है कि फलां आइटम तो मांसाहारी है.

यह तो एक तरह का षड्यंत्र है, धोखा है, उपभोक्ता की धार्मिक भावनाओं का मखौल उड़ाने जैसा है. जो कम्पनियाँ और व्यक्ति ऐसा कर रहे हैं उनके विरुद्ध सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए और शाकाहार-अहिंसा में विश्वास रखने वाली भारत की आम जनता को ऐसी कंपनियों का पूर्ण बहिष्कार कर देना चाहिए.

हम अनुरोध करते हैं कि आप जब भी कुछ खरीदे , उसके घटक (ingredients) अवश्य जांच लें, संदेह हो तो कंपनी को उसके कस्टमर-केयर पे संपर्क करें, इंटरनेट पर खोजबीन कर लें. जब आप संतुष्ट हो जाएं कि अमुक पदार्थ पूर्ण रूप से शाकाहारी है तथा इसमें किसी पशु-पक्षी को मारा नहीं गया है तब ही ऐसे उत्पादों को खरीदें.कई चीजों में ऐसे सब मिलाया जा रहा है ऒर हमें पता नही है कि हम क्या खा रहे हैं जैसे मैगी ऒर Lays chips में भी E-631 पाया ग्या है

यदि कोई कम्पनी हरे निशान का गलत इस्तेमाल करती है तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करें, अब चुप बैठने का समय नहीं है. हम चुप रहे तो कम्पनियां इसी तरह हमारी धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करती रहेंगी.

निम्नलिखित ई-नम्बर्स सूअर की चर्बी (Pig Fat )को दर्शाते हैं: आप चाहे तो google पर देख सकते है इन सब नम्बर्स को:-

E100, E110, E120, E 140, E141, E153, E210, E213, E214, E216, E234, E252 ,E270, E280, E325, E326, E327, E334, E335, E336, E337, E422, E430, E431, E432, E433, E434, E435, E436, E440, E470, E471, E472, E473, E474, E475,E476, E477, E478, E481, E482, E483, E491, E492, E493, E494, E495, E542,E570, E572, E631, E635, E904.

सूअर/पशुओं की चर्बी/ हड्डियों का चूर्ण (पाउडर) अन्य कई दैनिक उपयोग की सामग्री के साथ-२ इन उत्पादों में भी इस्तेमाल किया जाता है:- टूथ पेस्ट , शेविंग क्रीम, चुइंगम, चोकलेट,  मिठाइयाँ,  बिस्किट्स,  कोर्न फ्लेक्स,  केक्स,  पेस्ट्री,  कैन/टीन के डिब्बों में आने वाले खादपदार्थ फ्रूट टिन, साबुन, मैगी, कुरकुरे.

समस्या का हल
आप गाय(केवल देसी) पालन पर जोर दे. अगर गाय पाल नहीं सकते तो गाय के दूध लेकर केवल उसका प्रयोग करे. जितना ज्यादा हो सके गाय के दूध से निर्मित पदार्थ का सेवन करे.  धर्म के साथ-साथ आपकी और राष्ट्र की सर्वांगीण वृद्धि होगी.

क्या आप जानते है यह काला कोट पेहेनके अदालत में क्यों जाते है

हिंदुस्तान की न्याय व्यवस्था में काम करने वाले जो एडवोकेट्स मित्र है उनसे माफ़ी मांगते हुए आप सबसे ये पूछता हूँ के क्या आप जानते है यह काला कोट पेहेनके अदालत में क्यों जाते है ? क्या काले को छोड़ के दूसरा रंग नही है भारत में ? सफ़ेद नही है नीला नही है पिला नही है हरा नही है ?? और कोई रंग ही नही है कला ही कोट पहनना है । वो भी उस देश की न्यायपालिका में जहाँ तापमान 45 डिग्री हो। तो 45 तापमान जिस देशमे रहता हो उहाँ के वोकिल काला कोट पेहेनके बहेस करे, तो बहस के समय जो पसीना आता है वो और गर्मी के कारन जो पसीना आता है वो, तरबतर होते जाये और उनके कोट पर पसीने से सफ़ेद सफ़ेद दाग पड़ जाये पीछे कोलार पर और कोट को उतारते ही इतनी बदबू आये की कोई तिन मीटर दूर खिसक जाये लेकिन फिर भी कोट का रंग नही बदलेंगे। क्योंकि ये अंग्रेजो का दिया हुआ है।

पूरी पोस्ट नही पड़ सकते तो यहाँ Click करें :
http://www.youtube.com/watch?v=0fo5tDYfMi8

... आपको मलिम है अंग्रेजो की अदालत में काला कोट पहनके न्यायपालिका के लोग बैठा करते थे। और उनके यहाँ स्वाभाविक है क्योंकि उनके यहाँ नुन्यतम -40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होता है जो भयंकर ठण्ड है । तो इतनी ठण्ड वाली देश में काला कोट ही पेहेनना पड़ेगा कियोंकि वो गर्मी देता है। ऊष्मा का अच्छा अवशोषक है। अन्दर की गर्मी को बाहर नही निकलने देता और बाहर से गर्मी को खिंच के अन्दर डालता है । इसीलिए ठण्ड वाले देश के लोग काला कोट पेहेनके अदालत में बहस करे तो समझ में आता है पर हिंदुस्तान के गरम देश के लोग काला कोट पेहेनके बहस करे !!!!!! 1947 के पहले होता था समझमे आता है पर 1947 के बाद भी चल रहा है ??? हमारी बार काउन्सिल कोइत्नि समझ नही है क्या? के इस छोटी सी बात को ठीक कर ले बदल ले । सुप्रीम कोर्ट की बार काउन्सिल है हाई कोर्ट की बार काउन्सिल है डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की बार काउन्सिल है सभी बार काउन्सिल मिलके एक मिनट में फैसला कर सकते है की काल से हम ये काला कोर्ट नही पहनेंगे।

वो तो भला हो हिंदुस्तान में कुछ लोगों का हमारे देश पहले अंग्रेज न्यायाधीश हुआ करते थे तो सर पे टोपा पेहेनके बैठते थे, उसमे नकली बाल होते थे। आज़ादी के बाद 40 -५० साल तक टोपा लगा कर यहाँ बहुतसारे जज बैठते रहे है इस देश की अदालत में। अभी यहाँ क्या विचित्रता है के काला कोट पेहेन लिया ऊपर से काला पंट पेहेन लिया, बो लगा लिया सब एकदम टाइट कर दिया हवा अन्दर बिलकुल न जाये फिर मांग करते है के सभी कोट में एयर कंडीशनर होना चाहिए!! ये कोट उतर के फेंक दो न एयर कंडीशन की जरुरत क्या है ? और उसके ऊपर एक गाउन और लाद लेते है वो निचे तक लहंगा फैलता हुआ। ऐसी विचित्रताए इस देश में आज़ादी के ६० साल बाद भी दिखाई दे रहा है।

अंग्रेजो की गुलामी की एक भी निशानी को आज़ादी के 65 साल में हमने मिटाया नही, सबको संभाल के रखा है।
राजीव दीक्षित
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हिंदुस्तान की न्याय व्यवस्था में काम करने वाले जो एडवोकेट्स मित्र है उनसे माफ़ी मांगते हुए आप सबसे ये पूछता हूँ के क्या आप जानते है यह काला कोट पेहेनके अदालत में क्यों जाते है ? क्या काले को छोड़ के दूसरा रंग नही है भारत में ? सफ़ेद नही है नीला नही है पिला नही है हरा नही है ?? और कोई रंग ही नही है कला ही कोट पहनना है । वो भी उस देश की न्यायपालिका में जहाँ तापमान 45 डिग्री हो। तो 45 तापमान जिस देशमे रहता हो उहाँ के वोकिल काला कोट पेहेनके बहेस करे, तो बहस के समय जो पसीना आता है वो और गर्मी के कारन जो पसीना आता है वो, तरबतर होते जाये और उनके कोट पर पसीने से सफ़ेद सफ़ेद दाग पड़ जाये पीछे कोलार पर और कोट को उतारते ही इतनी बदबू आये की कोई तिन मीटर दूर खिसक जाये लेकिन फिर भी कोट का रंग नही बदलेंगे। क्योंकि ये अंग्रेजो का दिया हुआ है।



पूरी पोस्ट नही पड़ सकते तो यहाँ Click करें :

http://www.youtube.com/watch?v=0fo5tDYfMi8



आपको मलिम है अंग्रेजो की अदालत में काला कोट पहनके न्यायपालिका के लोग बैठा करते थे। और उनके यहाँ स्वाभाविक है क्योंकि उनके यहाँ नुन्यतम -40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होता है जो भयंकर ठण्ड है । तो इतनी ठण्ड वाली देश में काला कोट ही पेहेनना पड़ेगा कियोंकि वो गर्मी देता है। ऊष्मा का अच्छा अवशोषक है। अन्दर की गर्मी को बाहर नही निकलने देता और बाहर से गर्मी को खिंच के अन्दर डालता है । इसीलिए ठण्ड वाले देश के लोग काला कोट पेहेनके अदालत में बहस करे तो समझ में आता है पर हिंदुस्तान के गरम देश के लोग काला कोट पेहेनके बहस करे !!!!!! 1947 के पहले होता था समझमे आता है पर 1947 के बाद भी चल रहा है ??? हमारी बार काउन्सिल कोइत्नि समझ नही है क्या? के इस छोटी सी बात को ठीक कर ले बदल ले । सुप्रीम कोर्ट की बार काउन्सिल है हाई कोर्ट की बार काउन्सिल है डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की बार काउन्सिल है सभी बार काउन्सिल मिलके एक मिनट में फैसला कर सकते है की काल से हम ये काला कोर्ट नही पहनेंगे।



वो तो भला हो हिंदुस्तान में कुछ लोगों का हमारे देश पहले अंग्रेज न्यायाधीश हुआ करते थे तो सर पे टोपा पेहेनके बैठते थे, उसमे नकली बाल होते थे। आज़ादी के बाद 40 -५० साल तक टोपा लगा कर यहाँ बहुतसारे जज बैठते रहे है इस देश की अदालत में। अभी यहाँ क्या विचित्रता है के काला कोट पेहेन लिया ऊपर से काला पंट पेहेन लिया, बो लगा लिया सब एकदम टाइट कर दिया हवा अन्दर बिलकुल न जाये फिर मांग करते है के सभी कोट में एयर कंडीशनर होना चाहिए!! ये कोट उतर के फेंक दो न एयर कंडीशन की जरुरत क्या है ? और उसके ऊपर एक गाउन और लाद लेते है वो निचे तक लहंगा फैलता हुआ। ऐसी विचित्रताए इस देश में आज़ादी के ६० साल बाद भी दिखाई दे रहा है।



अंग्रेजो की गुलामी की एक भी निशानी को आज़ादी के 65 साल में हमने मिटाया नही, सबको संभाल के रखा है।

राजीव दीक्षित

Tuesday, January 29, 2013

हिन्दुओं को चाहिए सम्पूर्ण आरक्षण



हिन्दुओं को चाहिए सम्पूर्ण आरक्षण

संसार में इस्लाम ही एक ऐसा मजहब है जिसके अनुयायी कभी संतुष्ट नहीं हो सकते. जितना उनको मिला है उससे और अधिक प्राप्त करना.,उससे और अधिक प्राप्त करना,ज्यादा से ज्यादा प्राप्त करना, और सारी दुनिया को इस्लाम के रंग में रंगना, ये उनका, प्रत्येक मुसलमान का जन्मजात उद्देश्य है, ध्येय है, लक्ष्य है, स्वभाव है. और पैगम्बर नबी ने उनको ये आदेश दिए हैं, कि हर तरीके से सारी दुनिया में इस्लाम को फैलाओ. और इस आधार  पर सारा संसार जो गैर इस्लामिक है, उसको इस्लाम के रंग में कैसे रंगा जाए, यही उनका दैनिक कार्यक्रम, दिन को, रात को, चौबीसों घंटे, हर मुसलमान, जो सच्चा मुसलमान है वो यही सोचता है. इस स्थिति में यदि कोई राजनैतिक दल या कोई राजनैतिक नेता ये अनुभव करता है  कि देश के मुसलमान संतुष्ट हो जाएंगे, तो वे कभी भी संतुष्ट नहीं होंगे. वे अगर संतुष्ट होते तो देश के टुकड़े नहीं होते, पाकिस्तान नहीं बनता. गांधीजी ने फार्मूला पेश किया था कि मुहम्मद अली जिन्नाह को हम देश का राष्ट्रपति बना देते हैं, अथवा प्रधानमन्त्री बना देते हैं, दोनों पदों में से जो उसे पसंद हो, और हिंदुस्तान अखंड रहने दिया जाए. लेकिन  किसी भी कीमत पर जिन्नाह राजी नहीं हुआ. परिणामस्वरूप जो मारकाट हुई जो रक्त से रंग दिया गया पंजाब को, सिंध को, बंगाल को और मारकाट के बल पर, खून खच्चर के बल पर, धौंसपट्टी से, आतंकवाद के बल पर पाकिस्तान का जन्म  हुआ है. आतंकवाद जिस पाकिस्तान का जन्मदाता है, उस पाकिस्तान से ये उम्मीद करना कि वो कभी शान्ति के मार्ग पर चलेगा या प्रेम या बंधुत्व के रास्ते को अपनाएगा, ये मूर्खता है. पराकाष्ठा की मूर्खता है. और 1947 में केवल मजहब के आधार पर जिन लोगों ने अपना "हक", ,,जो कि नहीं था, लेकिन हक न होते हुए भी जिन्होंने "तथाकथित हक" ले लिया. .. तो उस कम्युनिटी के तो किसी भी आदमी को भारत में किसी भी प्रकार का रिजर्वेशन या आरक्षण मांगने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. .. .. ."नैतिक अधिकार". . .. ...  यदि नैतिकता में कोई कम्युनिटी विश्वास करती है-तो.  और अगर नैतिकता पर ही किसी का भरोसा नहीं है तो अनैतिकता कि तो कोई सीमा होती ही नहीं है. आखिर किस आधार पर आरक्षण की मांग मुसलमान करते हैं, और सोचते हैं कि उनको आरक्षण दिया जाना चाहिए? और फिर, उनका जो समर्थन करता है, वो किसी भी राजनैतिक पार्टी का हो. उसको हम कभी भी देशभक्त नहीं मान सकते. 'तीन करोड़ मुसलमान केवल'विभाजन के बाद भारत में रह गए थे. जिन्ना ने कहा था कि इन तीन करोड़ को भी पाकिस्तान आ जाना चाहिए और पाकिस्तान से जितने हिन्दू हैं उनको हिन्दुस्थान चले जाना चाहिए. यह अत्यंत प्रमाणिक बात है. नितांत अप्रमाणिक पाकिस्तान का जन्मदाता एक प्रमाणिक बात कह रहा था. उसने जिंदगी में ईमानदारी की बात अगर "कोई" कही तो यही कही. मैं अपने शब्दों में बोल रहा हूँ-कि बेईमानी के आधार पर बना हुआ जो पाकिस्तान था उसको बनवाने वाले यदि ईमानदार होते तो उनको भारत में एक क्षण भी नहीं रहना चाहिए था, पाकिस्तान चले जाना चाहिए था. और वहां के हिन्दुओं को ’सुरक्षा’ के साथ यहाँ भेज देना चाहिए था. लेकिन उनको  तो धक्के  मार के, तबाह करके, एकदम नोच कर के अमानवीय अत्याचारों के बल पर उनको तो वहां से खदेड़ दिया गया. और आज जो बचे-खुचे मूर्ख या अभागे हिन्दू जो वहां पर पड़े हैं, उनकी जो दशा है, वो सारा संसार जानता है. भारत में तीन करोड़ मुसलमान जो गांधीजी की मूर्खता एवं कायरता के कारण यहाँ  पर रह गए थे, वो आज पैंसठ वर्षों में बढ़कर के तेईस-चौबीस करोड़ हो गए हैं. पच्चीस करोड़ भी हो गए हों तो आश्चर्य की बात नहीं है. और दूसरा ये ध्यान रखना चाहिये कि पाकिस्तान का जन्मदाता उत्तर प्रदेश है. अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश में है. और पाकिस्तान की डिमांड करने वाले सारे चाहे वो अल्लामा इकबाल हों, या बरेल वाले चाहे देवबंद  वाले सब के सब उत्तर प्रदेश की उपज हैं. .. यू पी के मुसलमान को ‘क्या नहीं मिला’ जिसके लिए वो छटपटाता रहा है. हकीक़त ये है कि हिन्दुस्थान हिन्दुओं का देश होना चाहिए "था". जब पाकिस्तान मुसलमानों का देश है, तो हिन्दुस्थान हिन्दुओं का देश क्यों नहीं होना चाहिए था? ?? ???ये बेईमानी की पराकाष्ठा है, कि पाकिस्तान तो मुसलमानों का देश है, लेकिन हिन्दुस्थान हिन्दुओं का देश नहीं है. ये धर्मशाला है, सराय है. होटल में भी कम से कम, फीस तो दी जाती है, किराया तो दिया जाता है, भाडा तो दिया जाता है. यहाँ तो वो भी नहीं है. और सारे संसार में आतंकवाद को कौन फैला रहा है? ?? इस्लाम के अलावा कौन है, आतंकवाद का जन्मदाता? ?? ये पूछा जाना चाहिए, उन लोगों से जो आरक्षण की मांग कर रहे हैं. और बिना किसी आरक्षण के फकरूद्दीन अली अहमद, जाकिर हुसैन साहब और अपवाद के रूप में देशभक्त प्रोफ़ेसर ऐ पी जे अब्दुल कलाम, जो भारत के सर्वोच्च पदों पर उपराष्ट्रपति पद पर, राष्ट्रपति पद पर, सर्वोच्च न्यायाधीश के पद पर, ऐसा कौन सा पद है? ?? मुख्यमंत्री का, गवर्नर का जिसपर बिना आरक्षण मुसलमान ना पहुंचे हों. और जितनी मलाई, मलाई नहीं कहना चाहिए जितना   बेईमानी का कबाब और कोरमा इन्होने खाया है, बिना आरक्षण के, और हिन्दुओं को तो रूखा सूखा सत्तू भी नहीं मिल रहा है. ये  बेईमानी की पराकाष्ठा है. ये जो सलमान खुर्शीद साहब हैं, ये किस मुहँ से आरक्षण की मांग कर रहे हैं? ?? लोकतंत्र की जो जड़ है चुनाव आयोग, उसको चुनौती देना और कांग्रेस की बेशर्मी की पराकाष्ठा है कि इतनी बड़ी हिमाक़त को वो केवल हजम ही नहीं कर रही है, बल्कि उसकी पीठ थपथपाई जा रही है. अब बेनी प्रसाद जी उतर आये हैं. तो बेनी प्रसाद जी और ऐसे जितने भी प्रसाद जी हों, मुलायम सिंह हों या उनके उत्तराधिकारी हो और सब के सब लोगों के वामपंथी, दक्षिणपंथी हों जितने भी दल हैं भारत में, उनके सारे नेताओं को समझना चाहिए कि कितना भी आरक्षण दे दिया जाए, मुसलमान जब तक खुश नहीं होगा, जब तक कि सो कॉल्ड धर्मनिरपेक्ष नेता खतना करवा के, अपनी सुन्नत करवा कर के, जब तक इस्लाम क़ुबूल नहीं कर लेंगे, तब तक भारत का ही नहीं, संसार का कोई मुसलमान संतुष्ट होने वाला नहीं है. ये मृगमरीचिका और ये वोटलोलुपता है जिसके कारण वोट प्राप्त करने के लिए देश को जो लोग बेचने की कोशिश कर रहे हैं उनको देशभक्त कहा जाए या क्या जाए, ये देश की प्रबुद्ध जनता को, देश के विवेकशील नागरिकों को ये तय करना चाहिए. तो मुझे, केवल में ही नहीं सारे संसार भर के देशभक्त भारत संतानें इसके लिए व्यथित हैं, बहुत ज्यादा व्यथित और व्याकुल हैं. और अब क्या किया जाए पूरे के पूरे कुँए में शराब घुली हुई है. सुप्रीम कोर्ट का लॉयर कह रहा है, कि कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए, और उसको  ईमानदारी के जो शिरोमणि हैं, नगाड़ा बजाने वाले, अन्ना हजारे जी, वो उसको अपने सर पर  पगड़ी के समान सर पर बांधे नाचते हुए फिर रहे हैं, सब जगह. कश्मीर के अस्तित्व के मामले में जो जनमत संग्रह की मांग करता है तो ऐसे ढोंगियों से, ऐसे धूर्तों से पूछा जाना चाहिए, कि कहाँ कहाँ जनमत संग्रह करवाओगे मियां? ?? "आज"अगर उत्तर प्रदेश में जनमत संग्रह करवा लिया जाए तो पूरा उत्तर प्रदेश पाकिस्तान में चला जाएगा. केरल में  जनमत संग्रह करवाओगे या आसाम में करवाओगे या बंगाल में करवाओगे? कितने पाकिस्तान और बनवाने हैं? ? तो हिन्दुओं को क्या करना चाहिए? ?? हिन्द महासागर में डूब कर मर जाना चाहिए क्या? ?एक ईसाई फैमिली बिना किसी आरक्षण के. .. ... .... .. ... ईसाई कितने हैं?  मुसलमानों कि तुलना में बहुत नगण्य हैं, उन्होंने अभी तक आरक्षण की मांग नहीं की है,लेकिन विदाउट  आरक्षण के एक वर्णसंकर परिवार, उन्नीस सौ सैंतालीस ले कर के अब तक. .. ... एक ईसाई, क्रिश्चियन परिवार, उस क्रिश्चियन परिवार के सारे सदस्य डंके की चोट पर ईसाई हैं. हमारी प्रियंका जी जो हैं. पता नहीं क्यों प्रियंका नाम अब तक उन्होंने बर्दाश्त कर रखा है. ““”लेकिन उनके पतिदेव रॉबर्ट वाड्रा हैं” “”. एक अरब हिन्दुओं में सोनिया जी को जंवाई बनाने के लिए कोई हिन्दू नहीं मिला? ?? ??? जो हिन्दू सोनियाजी को अपने माथे पर बैठा कर नाच रहे हैं, उस कम्युनिटी में मतलब एक भी, एक भी बंदा, एक भी योग्य पात्र, जो प्रियंका जी का पाणिग्रहण कर सके तो उनके पति रॉबर्ट भी ईसाई हैं, और उनके पुत्र और पुत्री, जिनको ले कर के फिर रही हैं, सब जगह मतदाताओं के मन में करुणा उत्पन्न करने के लिए, उनके भी हिन्दू नाम नहीं हैं ना? वो भी क्रिश्चियन हैं ना? उन्होंने भी बपतिस्मा  ले रखा है ना?  तो ये बिना किसी आरक्षण के हो रहा है. वेटिकन सिटी देश पर राज्य कर रही है. विदाउट ऐनी रिजर्वेशन. इस देश में हिन्दुओं के अतिरिक्त जो भी लोग हैं उनको किसी प्रकार का आरक्षण कभी, किसी सपने में भी नहीं मिलना चाहिए, और अगर मिलना चाहिए तो केवल हिन्दुओं को आरक्षण मिलना चाहिए, और वो आरक्षण ये होना चाहिए-
"कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और अफगानिस्तान की सीमा से लेकर बर्मा की सीमा तक जो सम्पूर्ण भारतवर्ष है, वो हिन्दुओं का देश है". ..बाकी लोगों को, जो इस तर्क में इस सिद्धांत पर विश्वास नहीं करते उनको जहाँ जाना हो,जहाँ उनको बढ़िया चिकन बिरयानी मिल रही हो, और जहाँ उनको बहुत ज्यादा सुविधाएं मिल रही हों, उनको वहां चले जाना चाहिए. इसमें क्या दिक्कत है?  अगर यहाँ बहुत ज्यादा अन्याय हो रहा है, तो तशरीफ़ ले जाईये ना. .. ... किसने रोका है? ?? कौन सा बैरियर, कौन सा बैरिकेड लगा हुआ है? ??इसलिए इस पाखण्ड का जितनी जल्दी हो सके, इसका पर्दाफाश किया जाए. और जब तक हिन्दू अपने अधिकारों को नहीं समझेंगे और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए नहीं खड़े होंगे तब तक हिन्द महासागर के अलावा और कोई रास्ता उनको डूब मरने के लिए मिलने वाला नहीं है, इस सारे षड्यंत्र का एक ही उद्देश्य है-कि- --हिन्दुओं जाओ चूंकि तुम हिन्दू हो, काफिर हो इसलिए तुमको दुनिया में "कहीं भी" जीने का कोई हक नहीं है, एक भी देश नहीं है,जहाँ तुम रह सको.

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  • Gill Sardar I hate that politics,
    dis may be danger for india's image
    so kindly remove it and i requested to fb plz block this person
  • विवेक कुमार मालवीय aap mahaan hai acharya ji...ise sabhi hindu bhai maane ya na maane . lekin aap sampurn hindu dharm ke liye mahaan karya kr rhe hai, aap jaise maahan insaan ko mera sat sat naman....
  • Dharam Sharma Acharya Ji You are Real Hero and Eye Opener for Innocent Indiens.
  • Gopal Bairagi Pranam maharajji
  • DeshDeepak Singh uttar pradesh me ram ka mandir banane ke baat karne walo uttar pradesh ram ke mandir me puja karne wale hinduo ki bhi thodi chinta karo,our pujya mahara shri ki vani se kuchh seekh kar a pna aachran sudhar lo varna congress to jinah ki party thi aur rahegi.
  • Vikash Munshi hamare dharmik grantho me kabhi kisi dharam ki burai nahi ki gayi hai, ye acharya jee desh me bhaichara badhane ke bajai jahar ghol rahe hain!! Kuch bure logo ke karan pure kom ko ye dosh de rahe hain aur aap sab log inka samarthan krte hai? kyun? me v congress ko pasand nahi krta lekin 60 yr pehle jo hua uske karan aaj tak aise log hamare bhavnao se khel rahe hai. ab bas karie...jai hind. jai bharat.
  • Sachin Sharma प्रणाम महाराज जी ....... हिन्दुओ की व्यथा और मुस्लिमो की जुतिया चाटने वाले इन नेताओ की नीचता को बहत शशक्त तरीके से उकेरा है .....बहुत सुंदर लेख ......आखिर किस बात का आरक्षण चाहिए इन इस्लामी कीड़ो को... देश को बांटकर ये सबसे बड़ा आरक्षण तो पहले ही ले चुके ,आतंकवाद में आरक्षण लेकर दुनिया की नाक में दम कर रखा है ....एक बात बहुत सुंदर और प्रखर सत्य कही .... कि ये कुजाति कभी संतुष्ट हो ही नहीं सकती ......जय जय श्री राम
  • Madan Sharma इस स्थिति के लिए मुस्लिम कम अपितु हमारा चाटुकार सेकुलर हिंदू ही अधिक दोषी है जो सत्ता सुख के लिए देश को भी बेचने के लिए तैयार है ....
  • Sachin Sharma @विकाश मुंशी ........ कभी ग्रंथ खोलकर देखे है तुमने ? गीता पढ़ी है रामायण पढ़ी है ? उसमे बुराई नहीं .... दुराचारियों , आताताईओ, जो मातृभूमि अथवा धर्म की क्षति कर रहे हो , उनका नाश करने की शिक्षा दी गयी है .... तुमने ग्रंथो के नाम पर कौन सी किताब पढ़ ली ? ...... और भाईचारा ? विश्वास नहीं होता .....गधों में भी इतनी बुद्धि होती है कि कोई उनके सामने नमक की डली लाये तो वो सावधान हो जाते है कि शायद ये नमक से मेरी आँख फोड़ेगा..... पर हिन्दूओ मे ऐसे मूर्ख पैदा नहीं पैदा नहीं उत्पादित हो रहे है जो अपने ही हाथो से पैरो पर नहीं सर पर कुल्हाड़ी मारते है ..... पिछले 1400 सालो में इन मोहम्मद की औलादों ने किस्से भाईचारा निभाया है , जरा बताओगे ?इस्लाम के इतिहास में सिर्फ दुराचार , बलात्कार , व्यभिचार ,अधर्म के अतिरिक्त और क्या है ? भारत में ही मुस्लिमो का इतिहास देख लो ... आजादी के बाद से लेकर अब तक .... कौन सा भाईचारा निभाया है इन मुसलमानो ने ? अयोध्या में मंदिर नहीं बनने दे रहे , हर कुछ महीने मे विस्फोट करके हिन्दुओ को कुत्ते की मौत मार देते है सड़कों पर ...कश्मीर में नहीं रहने दे रहे , केरल सहित कई शहरो में हिन्दुओ की नाक में दम कर रखा है .....पर नहीं जब तक तुम जैसे धर्मनिरपेक्षी , कटुओ द्वारा , गलेमान पकड़कर सड़क पर नहीं घसीटे जाओगे , तब तक अकल नहीं आएगी ..........
  • Sachin Sharma और ये जो तुम मिमिया रहे हो कि 60 साल पहले जो हुआ ....अरे वो हुआ तो हुआ अब कौन सी कसर छोड़ी जा रही है ........ अखबार , या खबर देखते हो कभी या नहीं ? कश्मीर के पूरे के पूरे मुसलमान जो , आए दिन तिरंगा जलाते है , हिंदुस्तान मुर्दाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद ...See More
  • Madan Sharma आज धर्म निरपेक्ष का मतलब है मुस्लिम परास्त तथा आतंकी का मतलब है संघ परस्त, हिंदू परस्त .....
  • Sachin Sharma Madan Sharma भाई ..........इन धर्मनिरपेक्षी हिन्दुओ की बुद्धि कितनी दूषित हो गयी है कि... आतंकवादी मुस्लिमो के लिए कोई दो शब्द बोल दे तो इनके पेट खराब हो जाते है , और हिन्दुओ पर जो अत्याचार हुये थे ,और हो रहे है , उसके ऊपर बोलने में इनकी जीभ में लकवा मार जाता है ...
  • Madan Sharma जी हां बिलकुल सही कहा सचिन जी आपने ....... ...यदि आप बोल नहीं सकते आप की जानकारी कम है तो कृपया चुप ही रहिये किन्तु गलत बातों का समर्थन तो न किजिये ........पहले संघ के बारे जानकारी तो लो ....लेकिन नहीं .....कोई भी घटना हो संघ ही दोषी है ....
  • Sachin Sharma आचार्य धर्मेंद्र जी , ऐसे धर्मनिरपेक्षियों के लिए अक्सर कहते है - "तुम मार नहीं सकते तो कम से कम मारो मारो तो चिल्लाओ न बाबा " हा हा aacharya ji rocks
  • Madan Sharma आज आर्य समाज तथा आर एस एस जैसी संस्थाओं के कारण ही हिंदू समाज बचा हवा है कृपया इन्हें तो गाली मत दीजिए
  • Ashish Mishra sach kathor hota hai..........or issi liye har vyakti acharya dharmendra ji ki baato ko accept nahi kar pata..............secular chola pehenkar aap apna hi nuksaan kar rahe hain...........
  • Shree Yantra आचार्य जी का लेख है सो प्रतिक्रिया तो रहेंगी ही पर प्रेरणा पाने वाले भी कम नहीं हैं।
  • Umesh Raghav desh ko fir se bantne ka kaam mt kro..
  • Ravi Kumar Bhadra acharya dharmendra ji is great aur inse to prerit hi hote hai log...kuch secular kuttey bhonkte hai to bhonkne do
  • शीतल कुमार सोनी आचार्य जी को चरण वंदन, बिलकुल ठीक कहा अपने पर उत्तर प्रदेश में ऐसा खूब 
    ढोल नगाड़े बजाकर सारे मुसलमानों को ये हक दिया जा रहा है, उत्तर प्रदेश के सारे मुस्लमान गुडगाँव में कई तरीके के काम करके बढ़िया पैसा कमा रहे है, हम सारे हिन्दुओ के लिए तो अब हिंद महासागर में ही डूबने का समय आ गया है
  • शीतल कुमार सोनी इन चुनावो में भाजपा का हाल बुरा ही होना ही चाहिय क्यूंकि राम के रथ पर सवार हो कर इस पर पार्टी ने हर बार हिन्दुओ को छाला चाहे राम जन्मभूमि का आन्दोलन हो या फिर गोरक्षा (१९६६) का आन्दोलन हो.
  • Sanjiv Kumar vikash munshi jee app kin dharm gramtho ki baat kar rahe hai maharaj jee ne aisa kaun si baat kar diye bhai , maharaj jee ne sirf ITIHAAS ke kuch kadi ka jikra kiya . kya ye sachai nahi hai ? inhone majhab ke naam pe aarkchan ka birodh kiya mai in saale congresiyo se puchana cahta hu aur kitne tukde karega hamare Hindutan ko ! aaj majhab ke naam par aarkchan ki mang kar raha , kal ko majhab ke naam par alag desh ko mang karega jaise ki jinaah ne kiya tha , aur app jaise hindu log unki pairbi ko lag jate hai aur secular hone garve karte hai . lanat hai un hindu maao par jisne har mandir jakar aise beta mangti ho jo secuar hone ka dhong rache . Mai ye kabhi nahi kahta ki musalmao ko yaha se bhaga do lekin ye majhab ke naam par reservation mai nahi manta aur marte dam tak iska birodh karunga jai hind jai bharat bharat mata ki jai
  • Madan Sharma वह संजीव जी क्या बात कही है ..सहमत हू मै आपसे ...
  • Gulshan Sharma Muje lagata hai geedhed se pehle secular kutton ko niptana chahiye.. Jai maharaj ji ki ..
  • Dishant David 100% sahi correct hain kash tum angrejon ke jawana mein hote
  • Arun Bhardwaj sochna to padega...........kahin 20 saal baad bachon ko dikkat na ho jaye....
  • Shashank Sharma Kam se kam in mullo ko to india me rehne ka koi haq nhi hai
  • Shashank Sharma Or arakshan ke khwab to ye chod hi de to behter ha...i
  • Yogesh Bhardwaj bhai jab tak ye congress hai...tab tak is desh ka beda isi trah ..gark hota rehega
  • Anshu Pathak हिंदू भाईओं क्या कभी सोचा आपने, इतनी महान और वैज्ञानिक संस्कृति यदि इसाई और इस्लाम की होती तो आज दुनिया का बच्चा बच्चा भारतीय संस्कृति और पताका के नीचे होता ! जय.... जय... श्री.. राम .......
  • Ashish Sonik Truth and nothing else.....
  • Sunil Sharma Super duper like...kaash is desh ke saare hindu(including media,ministers etc) jhootha secularism chod ke asli mudd par aa jaayein...
  • Umesh Bhati ab hum unki bhook kam kardenge
  • नरेश वत्ता jaago hindu jaago jai shree ram
    ghar baithkar kuch nai hone wala
  • Vimal J Soni मुंशी की बातो का क्या ..... हम जितने मुसलमानों के कारनामो से ट्रस्ट है उस से कही ज्यादा इन वर्न्शंकारो के कारनामो से दुखी है.... इन्हें पता भी नहीं कि ये क्या कह रहे है क्यों कह रहे है..... गीता ने कर्ण वध पर श्री कृष्ण ने साफ़ कहा है कि मार डाल इस को ये ही धरम है जैसा करे वैसा भरे
  • Vimal J Soni संम्भव है इन ........ 

    1- सबसे पहले भारत के देशभक्त इस्लाम जिहाद, उसके उद्‌देश्य, भारत में मुस्लिम इतिहास की वास्तविकता और इस्लाम के राजनैतिक स्वरूप को समझें। साथ ही इस सच्चाई को भी समझें कि मुसलमान पाकिस्तान पाकर ही सन्तुष्ठ नहीं हैं; उनका अन्तिम उद्‌देश्य शेष भारत में भी इस्लामी राज्य स्थापित करना है। 

    2- कुरान (५८ः१९-२२) के अनुसार सारा विश्व 'मोमिनों' और 'काफिरों' में बाँटा गया है और इस्लाम ''काफिरों'' को खुला दुश्मन मानता हैं।' (४ः१०१, पृ. २३९) और उनके धर्म को समाप्त करना चाहता है, तो विश्व के 'काफिरों' के सामने एक ही व्यावहारिक विकल्प रह जाता है कि वे भी आपस में इकट्‌ठे होकर अपने-अपने धर्म व राज्यों की रक्षा करें तथा एक दूसरे की रक्षा में सहायता करें। 

    3- इस्लामी देश अपने गैर-मुस्लिम अल्पसंखयक नागरिकों के साथ सभी प्रकार के भेदभाव करते हैं। अतः गैर-इस्लामी राज्यों को इसका विरोध करना चाहिए। 

    4- इसके लिए विश्व भर के गैर-मुस्लिम राज्य संयुक्त राष्ट्र संघ पर दबाब डालें कि वे इस्लामी देशों में अल्पसंखयकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कानून बनाऐं और इसकी विशेष पहल करें। 

    5- वैज्ञानिक शोध द्वारा पेट्रोल का विकल्प विकसित करें। तब तक प्रत्येक गैर-इस्लामी देश इस्लामी देशों से न्यूनतम पेट्रोल का आयात करें। 

    6- भारत में १५ प्रतिशत मुसलमान किसी भी मापदण्ड से अल्पसंखयक नहीं हैं। अतः अल्पसंखयकवाद के नाम पर उनका तुष्टीकरण नहीं करना चाहिए। 

    7- जब १९४७ में समस्त भारतीय मुसलमानों को उनका मनचाहा देश पाकिस्तान मिल गया तो उन्हें जाकर बसना चाहिए। उनका भारत में बसाए रखना और उन्हें किसी प्रकार के आर्थिक व राजनैतिक अधिकार देने का कोई औचित्य नहीं है। अगस्त १९४७ का अधूरा एजेंडा पूरा किया जाना चाहिए। 

    8- भारत एक सेक्यूलर राज्य है। अतः कोई भी राजनैतिक दल और सरकार संविधान के विरुद्ध किसी भी समुदाय को धर्म के आधार पर कोई धार्मिक, आर्थिक व राजनैतिक अधिकार न दें। 

    9- संविधान की २५ से ३० तक की धाराएँ निरस्त की जाऐं क्योंकि इनकी भ्रमित व्याखया करके देश में अलगाववाद और हिन्दुओं का धर्मान्तरण बढ़ रहा है। 

    10- जिहादी और नक्सलवादी आतंकवाद रोकने के लिए सखत कानून बनाए एवं उन्हें अपनाए जाऐं। 

    11- बंगला देशी मुस्लिम घुसपेठियों पर सखती से रोक लगाई जाए। जो बसे हैं उन्हें निकाला जाए और जिन विदेशियों की बीसा अवधि समाप्त हो गई हो उन पर और उनको संरक्षण देने वालों पर कानूनन सखती की जाए। 

    12- म्यूनिस्पल, राज्य या केन्द्र सरकार के चुनावों में राष्ट्र की सुरक्षा व अखंडता का प्रयास करने वाले व्यक्तियों व दलों को प्राथमिकता दी जाए और अल्पसंखयक-तुष्टीकरण करने वाले दलों का बहिष्कार किया जाए। केवल राष्ट्र की रक्षा व अखंडता के लिए समर्पित देशभक्त व्यक्तियों व राजनैतिक दलों का ही समर्थन किया जाए।
    Sumit Tripathi जी ने वाकई बहुत सार गर्भित आंकड़े प्रस्तुत किये है.....आभारी हू मई इनका ....
  • आज़ादी का इतिहास कही काली स्याही लिख पाती हैं ?
    इसको लिखने के लिए खून की नदी बहाई जाती हैं.
    आज़ादी का संग्राम कही पैसे पर खेला जाता हैं ,
    यह शीश काटने का सौदा नंगे सर झेला जाता हैं.
    आज़ादी के चरणों में जो जयमाल चढ़ाई जायेगी,
    वह सुनो तुम्हारे शीशों के फूलों से गूँथी जायेगी.
  • Sanjay Yadav bhut shi guru ji, ye netayo ko bhi thoda apane sharan me lijiye, nahi samjhe to maar maar kar smajhayiye
  • भूपट शूट इस पर पढ़ने के बाद कुच्छ लिखूंगा !
  • Sambahaji Bhosle vikas munshiji hum to pahle se hi musalmano ko kahte hi aap bhi jiyo aur hume bhi shanti se jine do.mai yeh nahi kahta ki sabhi musalman atankvadi hai lekin mere bhai munshi mumbai me 26/11 ko pune me 13/2 ko jo hamle aur blast hue usme tumhare bhai tumhare dost musalman hi pakde gaye.satya ko chupate ho aap kayar ho aap dharm badalkar musalman ho jao.`
  • सनातन धर्म ही एक मात्र प्राचीन धर्म है अन्यथा सभी धर्मो की उत्पत्ति इसी सनातन धर्म से हुई है| समय समय पर ज्ञानी मनुष्यों ने इन बातो को सिद्ध भी किया है| आईये कुछ और बातें इस महान सनातन धर्म के बारे में जाने| >>>>>>>जय श्री राम <<<<<<<<<<<
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