Monday, December 31, 2012

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता

॥ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ॥

भारत में बलात्कारों की संख्या में पिछले 5 वर्षों में 20% की भयावह वृद्धि
हुई है जबकि '1953 से 2001' तक दुष्कर्म के मामलों में 873% की चौंका देने
वाली वृद्धि हुई है। क्या कारण है कि इतनी तेज़ी से ऐसे कुकृत्य बढ़ रहे हैं ??

प्रमुख कारण: "टीवी और सिनेमा के रूप में परोसी जा रही पश्चिमी सभ्यता और उसका
अंधानुकरण करते देश के युवा।"

जब हम अच्छे चरित्र देख कर अच्छे बन सकते है...बुरे चरित्र देख कर बुरे बन सकते है.


हम सन्नी लिओन को देख कर क्या बनेंगे...बताईये जरा ??? 

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सोचिए हम किस शर्मनाक सभ्यता का अनुसरण कर रहे हैं जहां नारी सिर्फ भोग की
वस्तु है और उससे भी शर्मनाक बात ये है की हम उस भोगवादी सभ्यता के पक्ष में
कुतर्क देकर उसे सही साबित करने की कोशिश भी करते हैं।
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॥ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ॥









तेरी नजर में खोट है , मेरे कपडो मे नहि


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