Saturday, December 22, 2012

फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोग भी धयान दें


फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोग भी धयान दें 

यह आपकी की ही रचना का परिणाम है जिसका सीधा -सीधा प्रभाव इस समाज में बलात्कार जैसे घिनॊने अपराध के रूप में सामने है जिसके काफी हद तक आप सभी दोषी हैं जिन्होंने एक बुराई को मन में अनयंत्रित किया
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इस समाज में अकेले तुम ही तो नहीं हो और भी तो रहते है फिर क्यों तुमने ऐसी मानसिकता अपनाई जिससे समाज आज भ्रमित (गुमराह) होता जा रहा हैं इससे तुम्हे क्यों नहीं लेना देना क्या तुम इस समाज से बाहर हो जवाब दो अगर साहस है तो ……….

शर्लिन चोपड़ा, राखी सावंत, मल्लिका शेरावत, विपाशा बसु, केटरीना कैफ, मलाइका अरोड़ा जैसी ढेरों सिने तारिफिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोग भी धयान दें -----यह आपकी की ही रचना का परिणाम है जिसका सीधा -सीधा प्रभाव इस समाज में बलात्कार जैसे घिनॊने अपराध के रूप में सामने है जिससे मुकर नहीं सकतेकाओं तथा माडलों अगर इतनी ही चाह है कपडे उतरने की तो क्यों नहीं अपने समाज तथा गलियों में जा कर खुले में कपडे उतरती, आप में इतना साहस कभी नहीं हैं क्योंकि तुम समाजिक दबाव को पहचानते हो लेकिन फिर मंच पर ही क्यों कम से कम कपड़ों में अभद्र फिल्मिंग करवाती हो l केवल शोहरत पाने के लिए ही नहीं अपितु असीमित पैसा कमाने के लिए ही अपने कपडे कम करते जा रहे हो l मुझे तो समझ नहीं आता कैसी भूख है तुम्हारी !

सेक्सी कहलवाना बेशक तुम्हे अच्छा लगे लेकिन इसके साथ जुड़े सत्यो को भी स्वीकारने का दम रखे कि इसके साथ तुम्हारा मानसिक शारीरिक शोषण भी होता हैं l तुम तो झट से कह दोगे कि तुम्हारी सोच है हमारा क्या कसूर............ l लेकिन जरा समाजिक पक्ष की और भी ध्यान रखे की समाज तो वहीँ करता है जो देखता हैं या फिर देखता आया हैं l आप समाज को छोड़ों क्या तुम उम्मीद करोगे कि तुम्हारी बेटियां भी ऐसी ही मिसाल भविष्य में कायम करे जो कि समय के गतिमान चक्र में छिप जाए, नहीं न ............ फिर तुम क्यों और क्यों ऐसी अंधी दौड़ में शामिल हो चुकी हो जिसका कोई अंत ना हों l चलों स्त्री वर्ग को कुछ हद तक पुरुष वर्ग ने शारीरिक शोषण के लिए मजबूर किया लेकिन ये कैसी मज़बूरी जिसमे ना तो वैश्यावृत्ति दिखती है और ना ही कोई उद्द्येश्य पूर्ण अभिलाषा l भारत में रह रही हों जहाँ प्यार तो स्वतंत्र नहीं फिर तुम ये क्या कर रही हों पूछिए अपने आप से l मुझे तो लगता नहीं कि तुम्हारा कोई उद्द्येश्य हैं बेकार में उस होड़ में शामिल हो चुकी हो जिसके समाज पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ने स्वभाविक हैं नहीं यकीन हैं तो समाज कि मानसिकता का खुद अंदाजा लगा कर देख लें
इंसाफ ही करना है तो डा. किरण बेदी कि तरह मर्यादा शील कपड़ों में आकर निष्पक्ष इंसाफ करो l जोड़ने कि कोशिश करो ना कि समाजिक विघटन की ............... l

कार्यवाहक शासन प्रणाली से अपील है की देश में ऐसी मानसिकताओं को मौका ही ना दे ताकि ऐसा करने की सोच ही ना सके, ऐसी मानसिकताए अध्यात्मिक सोच का विघटन करने की पूर्ण दोषी हैं जोकि भारतीयता का आधार हैं इसलिए Internet की Website (अशलीलता को बढ़ावा देती ) को तुरत प्रभाव बैन कर देना चाहिए l विदेशी सोच तो शुरू से ही नग्न थी और हैं लेकिन हमारा समाज तो द्रोपदी चीर हरण के इलावा ढका ही था l आँखे खोलिए कार्यवाहिका सरकारी कार्यप्रणाली ! बढ़ते बलात्कार और नाजायज औलादे इसी दूषित मानसिकताओं से फैले दोषों के परिणाम है ऐसे समाजिक अपराध को जन्म देती इन मानसिकताओं को तवज्जो ना देकर समाज को गुमराह होने से बचाए इनका क्या ........

A MESSAGE OF THINK AND RETHINK
मां केवल मंदिरों में नहीं वेश्यालयों में भी निवास करती है

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