Wednesday, February 6, 2013

ऐसा क्या हुआ कि सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चला पड़ा, मगर इस्लाम मार काट, दंगे, खून खराबे


एक बात जिस पर हमें गहन शोध करने की जरुरत है,

सिख और मुसलमान दोनों ही हिन्दुओं से अलग होकर बने, या हिन्दुओं को इन दोनों का पूर्वज भी कह सकते हैं,..

मगर ऐसा क्या हुआ कि सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चला पड़ा, मगर इस्लाम मार काट, दंगे, खून खराबे गैरमुसलमानों को मारना आदि जैसे चीजों पर चल पड़ा ?

सिख आज भी यदि तलवार उठाते हैं तो केवल देश के लिए और अपने सर कटवा देते हैं मगर कभी भी देश का सर नहीं कटने देते, मगर इसके विपरीत इस्लाम में जब भी कौमी ताकतें सर उठाती हैं तो केवल उस देश के विनाश के लिए जहाँ वे रह रहे होते हैं या फिर काफिरों के लिए या फिर अपने ही लोगों के लिए, आजतक कभी भी मुसलमानों ने देश हित के लिए तलवार उठाई है ?

सिख दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़ी ही शान्ति तथा अपने पड़ोसियों के साथ मेल जोल के साथ रहते हैं, और वहाँ की सरकारें उन्हें कभी भी तंग नहीं करती,

मगर इसके विपरीत मुसलमान दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़े ही अशांत तरीके से रहते हैं, अपने पड़ोसियों से उन्हें हमेशा समस्या रहती है, और उस देश की सरकारों द्वारा आए दिन उन पर आंतकवादी या जेहादी होने के आरोप लगते रहते हैं !

सिख केवल 1.5% हैं फिर भी कभी आजतक किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाया कि हमें सरकारी मदद में ये दो या वो दो, भले ही दो रोटी कम खा लेते हैं मगर कभी भी किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाते,

इसके विपरीत भारत में 25% होने के बाद भी मुसलमान आए दिन आरक्षण की माँग करते हैं, और यदि माँगे पूरी नहीं की जाती तो सड़कों पर आ जाते हैं दंगे- फसाद करते हैं, अपने ही देश की सरकारी संम्पति को नुकसान पहुँचाते हैं ?

भारत की आर्मी में सिखों का 55% से ज्यादा का हिस्सा है जबकि वे केवल 1.5% ही हैं, और इसके विपरीत मुसलमानों की 25% आबादी होने के बाद भी वे सेना में किसी समुद्र में एक बूंद की तरह हैं ?

एक सिख कभी भी आपको झुग्गियों या बस्तिओं में रहता हुआ नहीं मिलेगा, मगर मुसलमानों की ज्यादातर आबादी झुग्गियों या बस्तिओं में ही रहती हुई मिलेगी, जिसकी वजह से वे आराम से अपराध करके या गुनाह करके इन झुग्गियों, बस्तिओं में आकर छुप जाते हैं, और पुलिस भी झुग्गियों या बस्तिओं होने की वजह से इन अपराधिओं को पकड़ नहीं पाती है, और जब तक इनका कुछ पता लगता है, जब तक वे बांग्लादेश या पाकिस्तान भाग चुके होते हैं,

ऐसा नहीं है कि सिखों के नेता नहीं होते, मगर आजतक कभी भी किसी सिख नेता के मूह से ऐसी बात सुनी है कि जल्दी ही खलासा हिंदुस्तान पर राज करेगा ? या पन्द्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो फिर देखो हम 24करोड जनता को मार देंगे, या कभी भी सिखों द्वारा किसी भी मजहब के देवी, देवताओं को गाली देते सुना हो ? मगर मुसलमानों के नेता आपको कभी भी किसी मंच से देशहित या मानवता के हित में स्पीच देते हुए नहीं मिलेंगे जब भी उनके द्वारा स्पीच दी जाती है तो केवल देशविरोधी या अन्य धर्मों के खिलाफ गाली दी जाती है, मगर उससे भी ज्यादा दुःख जब होता है जब मुसलमान ऐसे मानवता के दुश्मनों का खुले दिल से समर्थन करते हैं !

सिखों के गुरुद्वारे में हमेशा ना जाने कितने ही भूखे लोगों के लिए लंगर किया जाता है, जिसमें उनका मजहब या उनकी जात- पात नहीं पूछी जाती, मगर मुसलमानों के जितने भी दंगे होते हैं, वे हमेशा ही शुक्रवार की नवाज़ के बाद किए जाते हैं, क्या ये अच्छी बात है अपने अल्ला को याद करने के तुरन्त बाद ही दंगे, मार, काट फसाद किए जाएँ या फिर वो अच्छा है कि अपने वाहेगुरु का नाम लेने के तुरंत बाद ही ना जाने कितने ही भूखे लोगों को लंगर करवाया जाए ?

गुरुद्वारे के गेट हमेशा ही सब के लिए तथा सब मजहब के लोगों के लिए खुले रहते हैं, मगर यदि आप गैरमुसलमान हैं तो आपको मक्का, मदीना में घुसने नहीं दिया जाएगा और आपको गेट से ही भगा दिया जाएगा,

सिख कभी भी किसी के धर्म को नीच या बुरा नहीं कहते, मगर मुसलमानों की सारी जिंदगी केवल गैरमुसलमानों के धर्म को गाली देते- देते ही गुजर जाती है,

एक सिख भी अपने सर को कपडे से ढकता है और एक मुसलमान भी इस्लामिक टोपी से अपने सर को ढकता है, दाढ़ी एक सिख भी रखता है और एक मुसलमान भी रखता है, सिख भी केवल एक वाहेगुरु को मानता है, और मुसलमान भी केवल एक अल्ला में विश्वास रखता है, और दोनों के ही मूल में हिन्दू हैं, जिससे सिख बने और मुसलमान भी बने.

फिर क्यों इतनी सारी समानताएँ होने के बाद भी सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चलता है और इस्लाम धर्म मार, काट, हिंसा, जेहाद के मार्ग पर ?? .

नोट:- इस पोस्ट को मुसलमानों से किसी भी प्रकार के मनमुटाव की वजह से नहीं अपितु इसलिए लिखा है ताकि ये जाना सके कि एक ही मूल से पैदा हुए इन दोनों मजहबों में इतना बड़ा फर्क क्यों है ?

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जय महाकाल, हर- हर महादेव

जय श्री राम, जय माँ भवानी, भारत माता की जय, जय भगवा, जय भारत, जय हिन्दुराष्ट्र, जय गौमातरम...
एक बात जिस पर हमें गहन शोध करने की जरुरत है,


सिख और मुसलमान दोनों ही हिन्दुओं से अलग होकर बने, या हिन्दुओं को इन दोनों का पूर्वज भी कह सकते हैं,..


मगर ऐसा क्या हुआ कि सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चला पड़ा, मगर इस्लाम मार काट, दंगे, खून खराबे गैरमुसलमानों को मारना आदि जैसे चीजों पर चल पड़ा ?

सिख आज भी यदि तलवार उठाते हैं तो केवल देश के लिए और अपने सर कटवा देते हैं मगर कभी भी देश का सर नहीं कटने देते, मगर इसके विपरीत इस्लाम में जब भी कौमी ताकतें सर उठाती हैं तो केवल उस देश के विनाश के लिए जहाँ वे रह रहे होते हैं या फिर काफिरों के लिए या फिर अपने ही लोगों के लिए, आजतक कभी भी मुसलमानों ने देश हित के लिए तलवार उठाई है ?


सिख दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़ी ही शान्ति तथा अपने पड़ोसियों के साथ मेल जोल के साथ रहते हैं, और वहाँ की सरकारें उन्हें कभी भी तंग नहीं करती,

मगर इसके विपरीत मुसलमान दुनिया में जहाँ कहीं भी रह रहे होते हैं बड़े ही अशांत तरीके से रहते हैं, अपने पड़ोसियों से उन्हें हमेशा समस्या रहती है, और उस देश की सरकारों द्वारा आए दिन उन पर आंतकवादी या जेहादी होने के आरोप लगते रहते हैं !

सिख केवल 1.5% हैं फिर भी कभी आजतक किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाया कि हमें सरकारी मदद में ये दो या वो दो, भले ही दो रोटी कम खा लेते हैं मगर कभी भी किसी सरकार के आगे हाथ नहीं फैलाते, 

इसके विपरीत भारत में 25% होने के बाद भी मुसलमान आए दिन आरक्षण की माँग करते हैं, और यदि माँगे पूरी नहीं की जाती तो सड़कों पर आ जाते हैं दंगे- फसाद करते हैं, अपने ही देश की सरकारी संम्पति को नुकसान पहुँचाते हैं ?

भारत की आर्मी में सिखों का 55% से ज्यादा का हिस्सा है जबकि वे केवल 1.5% ही हैं, और इसके विपरीत मुसलमानों की 25% आबादी होने के बाद भी वे सेना में किसी समुद्र में एक बूंद की तरह हैं ? 

एक सिख कभी भी आपको झुग्गियों या बस्तिओं में रहता हुआ नहीं मिलेगा, मगर मुसलमानों की ज्यादातर आबादी झुग्गियों या बस्तिओं में ही रहती हुई मिलेगी, जिसकी वजह से वे आराम से अपराध करके या गुनाह करके इन झुग्गियों, बस्तिओं में आकर छुप जाते हैं, और पुलिस भी झुग्गियों या बस्तिओं होने की वजह से इन अपराधिओं को पकड़ नहीं पाती है, और जब तक इनका कुछ पता लगता है, जब तक वे बांग्लादेश या पाकिस्तान भाग चुके होते हैं, 

ऐसा नहीं है कि सिखों के नेता नहीं होते, मगर आजतक कभी भी किसी सिख नेता के मूह से ऐसी बात सुनी है कि जल्दी ही खलासा हिंदुस्तान पर राज करेगा ? या पन्द्रह मिनट के लिए पुलिस हटा लो फिर देखो हम 24करोड जनता को मार देंगे, या कभी भी सिखों द्वारा किसी भी मजहब के देवी, देवताओं को गाली देते सुना हो ? मगर मुसलमानों के नेता आपको कभी भी किसी मंच से देशहित या मानवता के हित में स्पीच देते हुए नहीं मिलेंगे जब भी उनके द्वारा स्पीच दी जाती है तो केवल देशविरोधी या अन्य धर्मों के खिलाफ गाली दी जाती है, मगर उससे भी ज्यादा दुःख जब होता है जब मुसलमान ऐसे मानवता के दुश्मनों का खुले दिल से समर्थन करते हैं ! 

सिखों के गुरुद्वारे में हमेशा ना जाने कितने ही भूखे लोगों के लिए लंगर किया जाता है, जिसमें उनका मजहब या उनकी जात- पात नहीं पूछी जाती, मगर मुसलमानों के जितने भी दंगे होते हैं, वे हमेशा ही शुक्रवार की नवाज़ के बाद किए जाते हैं, क्या ये अच्छी बात है अपने अल्ला को याद करने के तुरन्त बाद ही दंगे, मार, काट फसाद किए जाएँ या फिर वो अच्छा है कि अपने वाहेगुरु का नाम लेने के तुरंत बाद ही ना जाने कितने ही भूखे लोगों को लंगर करवाया जाए ?

गुरुद्वारे के गेट हमेशा ही सब के लिए तथा सब मजहब के लोगों के लिए खुले रहते हैं, मगर यदि आप गैरमुसलमान हैं तो आपको मक्का, मदीना में घुसने नहीं दिया जाएगा और आपको गेट से ही भगा दिया जाएगा,

सिख कभी भी किसी के धर्म को नीच या बुरा नहीं कहते, मगर मुसलमानों की सारी जिंदगी केवल गैरमुसलमानों के धर्म को गाली देते- देते ही गुजर जाती है, 

एक सिख भी अपने सर को कपडे से ढकता है और एक मुसलमान भी इस्लामिक टोपी से अपने सर को ढकता है, दाढ़ी एक सिख भी रखता है और एक मुसलमान भी रखता है, सिख भी केवल एक वाहेगुरु को मानता है, और मुसलमान भी केवल एक अल्ला में विश्वास रखता है, और दोनों के ही मूल में हिन्दू हैं, जिससे सिख बने और मुसलमान भी बने.

फिर क्यों इतनी सारी समानताएँ होने के बाद भी सिख धर्म शान्ति और भाईचारे के मार्ग पर चलता है और इस्लाम धर्म मार, काट, हिंसा, जेहाद के मार्ग पर ?? . 

नोट:- इस पोस्ट को मुसलमानों से किसी भी प्रकार के मनमुटाव की वजह से नहीं अपितु इसलिए लिखा है ताकि ये जाना सके कि एक ही मूल से पैदा हुए इन दोनों मजहबों में इतना बड़ा फर्क क्यों है ? 

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जय महाकाल, हर- हर महादेव

जय श्री राम, जय माँ भवानी, भारत माता की जय, जय भगवा, जय भारत, जय हिन्दुराष्ट्र, जय गौमातरम...

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